नेताओं पर जूते, अंडे, बोतेलें व अन्य चीजें फैंकने और थप्पड़ आदि मारने की असभ्य परंपरा

Thursday, Jun 10, 2021 - 04:39 AM (IST)

किसी जमाने में लोग नेताओं को सिर-आंखों पर बिठाते थे, उनका सम्मान करते थे और अपनी असहमति व्यक्त करने के लिए भी स य तरीके ही अपनाते थे परंतु अब कुछ समय से नेताओं से सहमत न होने और उनसे नाराजगी के कारण लोग अपना रोष व्यक्त करने के लिए उन पर जूतों, अंडों, बोतलों व अन्य चीजों के अलावा मिर्च पाउडर से प्रहार करने के साथ-साथ उन्हें थप्पड़ मारने व उनसे मारपीट करने के अस य तरीके अपनाने लगे हैं। 

यहां हमने कुछ वर्षों के ही उदाहरण दिए हैं परंतु यह बुराई दशकों से चली आ रही है तथा किसी एक देश तक सीमित न रह कर सारी दुनिया में फैल गई है। इसी कारण समय-समय पर ऐसे समाचार आते रहते हैं जब नाराज लोगों ने नेताओं पर हमले किए। 

* 13 दिसंबर, 2009 को इटली के पूर्व प्रधानमंत्री बर्लूस्कोनी पर ‘मिलान’ शहर में एक हमलावर ने धातु की कोई चीज इतने जोर से फैंक कर मारी कि इससे उनकी नाक और दो दांत टूट गए। वह बुरी तरह घायल हो गए और अपना चेहरा ठीक करवाने के लिए उन्हें अपने डैंटिस्ट तथा कास्मैटिक सर्जन के यहां काफी समय बिताना पड़ा। 

* 15 अगस्त, 2010 को नैशनल कांफ्रैंस नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर एक पुलिस अधिकारी ने जूता फैंका था।
* 4 सितंबर, 2010 को इंगलैंड के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर जब एक समारोह में भाग लेने डबलिन (आयरलैंड) गए तो एक व्यक्ति ने उन पर जूते के साथ अंडे मारे। इसके अगले दिन भी एक बार फिर उन पर जूतों, अंडों और खाली बोतलों की बौछार की गई। 

* 13 अक्तूबर, 2011 को वरिष्ठ वकील और अन्ना हजारे की टीम के सदस्य प्रशांत भूषण की कश्मीर संबंधी टिप्पणी से नाराज 2 युवकों ने उनके चैंबर में घुस कर उन्हें बुरी तरह पीटा।
* 24 नवंबर 2011 को राकांपा अध्यक्ष और यू.पी.ए. सरकार में मंत्री रहे शरद पवार को दिल्ली में एक युवक ने थप्पड़ मार दिया था। थप्पड़ इतना जोरदार था कि शरद पवार लडख़ड़ा गए थे।
* 23 जनवरी, 2012 को राहुल गांधी पर देहरादून में एक रैली के दौरान जूता फैंका गया और एक बार फिर 2016 में उनके साथ यह घटना दोहराई गई।
* 30 मार्च, 2013 को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर कराची में तज मुल लोधी नामक एक वकील ने जूता मारा। इससे पहले 8 फरवरी, 2011 को भी उन पर जूता फैंका गया था। 

* 2013 में ताईवान के राष्ट्रपति मा-यंग-झियू पर विभिन्न समारोहों में एक-दो बार नहीं बल्कि पूरे वर्ष में 9 बार जूतों से हमला किया गया।
* 2 फरवरी, 2014 को दिल्ली के संगम विहार में पानी की सप्लाई में हो रही दिक्कत के चलते ‘आप’ विधायक दिनेश मोहनियां से मिलने गए लोगों में शामिल एक महिला ने उनके गाल पर थप्पड़ जड़ दिया।
* 2 फरवरी, 2014 को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को एक रोड शो के दौरान एक युवक ने थप्पड़ मारा।
* 1 मई, 2014 को ब्रिटिश राजनीतिज्ञ नाईजेल फरागे पर चुनाव प्रचार अभियान के दौरान उनके विरोधियों ने चाशनी वाला मिल्क शेक उंडेल कर अपनी नाराजगी जाहिर की।
* 16 मार्च, 2019 को आस्ट्रेलियाई सीनेटर फ्रेजर ऐनिंग की टिप्पणी से नाराज होकर विल कनोली नामक एक युवक ने उनके सिर पर अंडा फोड़ दिया। ऐङ्क्षनग ने भी फुर्ती से उस युवक को पकड़ कर उसके चेहरे पर 2 घूंसे जमा दिए। 

* 19 अप्रैल, 2019 को गुजरात के सुरेंद्र नगर में कांग्रेस नेता हाॢदक पटेल जब एक रैली में भाषण दे रहे थे तो अचानक एक व्यक्ति ने कुछ बुदबुदाते हुए मंच पर आकर उनके मुंह पर तमाचा जड़ दिया।  
* 4 मई, 2019 को दिल्ली के मु यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मोतीनगर में एक रोड शो के दौरान एक युवक ने थप्पड़ मार दिया। इससे पहले भी उन पर थप्पड़, जूते, चप्पल, स्याही, अंडों व मिर्च पाऊडर से हमले हो चुके हैं। 

* और अब 8 जून को राजनीतिज्ञों को थप्पड़ मारने की घटना का नवीनतम शिकार फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों हुए हैं जिन्हें दक्षिण-पूर्वी फ्रांस के एक शहर की यात्रा के दौरान एक व्यक्ति ने उस समय थप्पड़ मार दिया जब वह एक स्कूल का दौरा करने के बाद अपनी प्रतीक्षा कर रहे लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। लोकतंत्र में निश्चय ही इस प्रकार के अस यतापूर्ण आचरण के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। यह हमला करने वालों की संकीर्ण मानसिकता ही दर्शाता है जो सरासर निंदनीय और अस्वीकार्य है।—विजय कुमार 

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