ब्रिटेन के मतदाता भ्रमित हैं ... कि कौन सच्चा है और कौन झूठा

Monday, Dec 02, 2019 - 12:01 AM (IST)

अंग्रेजों का हमेशा से विश्वास रहा है कि उनका लोकतंत्र (जिसे वे समस्त लोकतंत्रों की मां कहते हैं) विश्व में सर्वाधिक मजबूत और ब्रिटेन के नेताओं का अत्यंत गरिमामय चयन है परंतु अब ऐसा नहीं है तथा ब्रिटेन के चुनाव एक बेबाक और अलग-थलग प्रक्रिया बन कर रह गए हैं।

लंदन के एक समाचार पत्र ने लिखा है,‘‘ब्रिटिश मतदाताओं पर तरस आता है। इसलिए नहीं कि वे घबराए हुए और स्वयं को हारे हुए महसूस कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पिछले 4 वर्षों में 3 आम चुनावों में मतदान केंद्रों पर पहुंचने के लिए विवश कर दिया गया है, ब्रिटिश मतदाताओं पर दया इसलिए आती है क्योंकि उन्हें इस बार उठापटक, बिखराव और गलत सूचनाओं का शिकार बनाया गया है जिसकी इस देश में परम्परा नहीं थी।’’

इस इंटरनैट युग में ब्रिटेन में भी वही समस्याएं घर कर गई हैं जिनका सामना करने के लिए तमाम लोकतंत्रों को मजबूर कर दिया गया है या जिनका वे चुनावों के दौरान सामना कर रहे हैं। ब्रिटेन में 12 दिसम्बर को मतदान के दिन ऐतिहासिक दृष्टि से 2 अलोकप्रिय उम्मीदवारों बोरिस जानसन तथा जेरेमी कोरबिन का भाग्य सील हो जाएगा।

अपने ‘उचित व्यवहार’ के लिए विख्यात ब्रिटेन अब झूठ फरेब, छल कपट और डिजीटल हेराफेरी, जिसने विश्व भर में अनेक देशों को अपनी लपेट में ले रखा है, के वायरस का उद्गम स्रोत बन गया है। पत्रकारों के एक वर्ग का मानना है कि प्रधानमंत्री बोरिस जानसन आदतन झूठे हैं जिन्हें एक पत्रकार के रूप में अपनी पिछली नौकरी अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भांति तरह-तरह के ‘कोट्स’ का आविष्कार करने के कारण खोनी पड़ी थी।

इसी तरह जेरेमी कोरबिन के खिलाफ भी लंदन बम धमाकों के समय आयरिश विद्रोहियों को समर्थन प्रदान करने के बारे में सोशल मीडिया पर  बातें की जाती हैं। आज सोशल मीडिया एक नाटक का मंच बन गया है। श्री जानसन और कोरबिन के बीच हाल ही में टी.वी. पर एक बहस के दौरान कंजर्वेटिव पार्टी ने अपने ट्विटर अकाउंट का नाम बदल कर ‘फैक्टचैक यू.के.’ (actchek UK) रख दिया है जो स्वतंत्र पुष्टिकरण जैसे प्रतीत होने वाले पक्षपातपूर्ण संदेशों को खारिज करने के लिए बनाया गया है।

टैलीविजन पर उक्त बहस के प्रसारण के मुश्किल से 24 घंटों के बाद कन्जर्वेटिवों ने लेबर पार्टी के चुनाव घोषणापत्र जैसी प्रतीत होने वाली एक बोगस वैबसाइट्स लांच कर दी लेकिन लेबर पार्टी की (ब्रैग्जिट) नीति के विपरीत इसमें कहा गया था, ‘‘ब्रैग्जिट के लिए कोई योजना नहीं।’’दूसरी ओर लेबर पार्टी के समर्थक समूहों ने ‘अक्सर आक्रामक डिजीटल विज्ञापनों’ पर भारी खर्च किया। लिबरल डैमोक्रेटों ने चुनावी पम्फलेट जारी किए हैं जो स्थानीय समाचारपत्रों जैसे प्रतीत होते हैं।

इस सबके परिणामस्वरूप मतदाता अत्यधिक भ्रमित हैं क्योंकि उन्हें यह मालूम नहीं है कि कौन सा उम्मीदवार सच बोल रहा है। एक बार फिर इंटरनैट हैरान कर सकता है कि क्योंकि मतदाता अपने उम्मीदवारों का नकली तर्कों के आधार पर समर्थन कर रहे हैं। - विजय कुमार

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