उद्धव ठाकरे बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री वास्तविक परीक्षा शुरू होगी अब

Friday, Nov 29, 2019 - 12:17 AM (IST)

आखिर 20 वर्षों के इंतजार के बाद महाराष्ट्र में एक बार फिर शिवसेना के राज का आगाज हो ही गया जब भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद राकांपा और कांग्रेस के सहयोग से उद्धव ठाकरे ने अपने गठबंधन ‘महाराष्ट्र विकास अघाड़ी’ (एम.वी.ए.) की सरकार बनाने में सफलता प्राप्त कर ली। 28 नवम्बर को शाम के 6.40 बजे तीनों दलों से लिए गए 2-2 नेताओं ने शिवाजी पार्क में आयोजित समारोह में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा की साक्षी में उद्धव ठाकरे के साथ मंत्री पद की शपथ ग्रहण की । वह अब 3 दिसम्बर को सदन में बहुमत सिद्ध करेंगे।

इनमें शिवसेना की ओर से एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई, राकांपा की ओर से जयंत पाटिल और छगन भुजबल तथा कांग्रेस की ओर से बाला साहब थोराट तथा नितिन राऊत शामिल हैं। शरद पवार के भतीजे अजीत पवार भी उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले थे परंतु अंतिम समय पर उनका शपथ ग्रहण टल गया। 70,000 की क्षमता वाले शिवाजी पार्क में शपथ ग्रहण के लिए विशेष रूप से बनाए गए मंच पर 100 कुर्सियां तथा इसका सीधा प्रसारण दिखाने के लिए 20 एल.ई.डी. (LED) स्क्रीन भी लगाई गईं।

कई दशकों से महाराष्ट्र की राजनीति को प्रभावित करने वाले ठाकरे परिवार का कोई सदस्य पहली बार मुख्यमंत्री बना है। उद्धव की राज्य के 18वें मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी के लिए शिवसेना ने व्यापक तैयारियां कीं और मुम्बई को बाल ठाकरे व इंदिरा गांधी के चित्रों वाले पोस्टरों से पाट दिया। इस बीच जहां उद्धव ठाकरे ने ‘सामना’ के सम्पादक पद से त्यागपत्र दे दिया है वहीं बम्बई उच्च न्यायालय में मौजूदा गठबंधन को अवैध करार देते हुए शपथ ग्रहण पर रोक लगाने के लिए कुछ वकीलों ने याचिका दायर कर दी जिस पर तत्काल सुनवाई करने से हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया है।

शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में सभी गैर भाजपा दलों के नेताओं और मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित करने के अलावा सिने संसार से जुड़ी हस्तियों और किसानों के 500 परिजनों को विशेष रूप से निमंत्रित किया गया। शिवसेना छोड़कर अपनी अलग पार्टी ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ बनाने वाले उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे सहित शरद पवार, अहमद पटेल, पृथ्वीराज चौहान, सुशील कुमार शिंदे, कमलनाथ, कपिल सिब्बल, एम.के. स्टालिन, टी.आर. बालू, सुप्रिया सुले, अजीत पवार, उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि, मुकेश अम्बानी, नीता अम्बानी और अनंत अम्बानी, देवेंद्र फडऩवीस आदि मंच पर उपस्थित थे। मंच पर इतने नेता उपस्थित थे कि वहां रखी हुई कुर्सियां कम पड़ गईं।

यह मात्र शपथ ग्रहण समारोह ही नहीं शिवसेना द्वारा शक्ति का प्रदर्शन भी था। सत्ता प्राप्ति की पहली लड़ाई में तो गठबंधन जीत गया है परंतु इसकी वास्तविक परीक्षा तो तब शुरू होगी जब इसे राज्य को दरपेश अनेक समस्याओं से जूझना पड़ेगा। इनमें किसानों की आत्महत्याएं, राज्य के कुछ भागों में सूखे और पानी के अभाव तथा कुछ भागों में बाढ़, बेरोजगारी आदि हैं। पार्टी की विचारधारा एक ओर रख कर तीनों दलों ने अपने न्यूनतम सांझा कार्यक्रम में देश की सर्वोपरि रखने, धर्म निरपेक्षता बचाने, महिलाओं के सशक्तिकरण, किसानों को राहत देने, बेरोजगारी दूर करने, 1 रुपए में इलाज और 10 रुपए में भोजन उपलब्ध करने आदि की बातें कही हैं परंतु वे इसमें कितना सफल होते हैं इसका जवाब भविष्य ही देगा।    —विजय कुमार 

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