‘बिहार चुनाव में टिकटों को लेकर’ अधिकांश पार्टियों में खींचतान जारी!

punjabkesari.in Thursday, Oct 16, 2025 - 03:58 AM (IST)

6 तथा 11 नवम्बर को 2 चरणों में होने जा रहे बिहार विधानसभा के चुनावों में भाजपा के साथ गठबंधन में रह कर 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने को प्रयत्नशील जद (यू) सुप्रीमो नीतीश कुमार का इस बार ‘राजद’ नीत ‘महागठबंधन’ व ‘प्रशांत किशोर’ की ‘जन सुराज पार्टी’ से मुकाबला है तथा अधिकांश पाॢटयों में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। 

इस बीच  प्रशांत किशोर ने सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा करने के साथ ही 51 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। उनका कहना है कि उन्होंने 3 वर्ष मेहनत करके पार्टी खड़ी की है। राजग द्वारा 12 अक्तूबर को फाइनल किए गए सीटों के बंटवारे के अनुसार भाजपा और जद (यू) दोनों को 101-101 सीटें देना तय हुआ है और बाकी 41 सीटों में से ‘चिराग पासवान’ की ‘लोजपा’ (राम विलास) को सर्वाधिक 29, ‘जीतन राम मांझी’ की ‘हम’ तथा ‘उपेंद्र कुशवाहा’ की ‘राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमा)’ को 6-6 सीटें देने की बात कही गई है। इस बंटवारे की खास बात यह है कि इस बार भाजपा तथा जद (यू) को एक समान सीटें मिली हैं जबकि इससे पहले जद (यू) को अधिक सीटें दी जाती थीं और वह ‘बड़े भाई’ की भूमिका में रहती थी। नीतीश कुमार ने पहले जद (यू) के लिए 103 सीटें फाइनल की थीं परंतु बंटवारे के दौरान पार्टी को केवल 101 सीटें ही मिलीं। इनमें से 9 सीटें ऐसी हैं जिन्हें नीतीश कुमार ने ‘लोजपा’ को देने से इंकार कर दिया है। 

दूसरी ओर भाजपा द्वारा ‘महुआ’ की सीट ‘लोजपा’ (राम विलास) को देने पर ‘उपेंद्र कुशवाहा’ नाराज हैं। भाजपा ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। इसी कारण वह 15 अक्तूबर को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ‘नित्यानंद राय’ तथा अन्य के साथ केंद्रीय गृह मंत्री ‘अमित शाह’ से मिलने दिल्ली पहुंचे। दिल्ली जाने से पहले उन्होंने कहा कि ‘नङ्क्षथग इज वैल इन एन.डी.ए.’ अर्थात राजग में सब कुछ ठीक नहीं है। सीटों को लेकर ‘राजद’ और कांग्रेस में सहमति नहीं बन रही। ‘लालू यादव’ और ‘तेजस्वी यादव’ गत दिवस दिल्ली तो गए लेकिन ‘राहुल गांधी’ से मिले बिना ही लौट आए। 

उल्लेखनीय है कि 1996 में सामने आए 950 करोड़ रुपए के चारा घोटाले में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री ‘लालू प्रसाद यादव’ (जो उस समय जनता दल में थे) तथा उनके साथियों की संलिप्तता उजागर होने पर अपनी गिरफ्तारी की नौबत आने पर ‘लालू यादव’ ने 5 जुलाई, 1997 को अपनी नई पार्टी ‘राष्ट्रीय जनता दल (राजद)’ बनाकर 25 जुलाई, 1997 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देकर अपनी पत्नी ‘राबड़ी देवी’ को मुख्यमंत्री बना दिया। इस बीच 13 अक्तूबर, 2025 को ‘महागठबंधन’ के नेताओं ‘लालू यादव’, उनकी पत्नी ‘राबड़ी देवी’ तथा पुत्र ‘तेजस्वी यादव’ आदि के विरुद्ध आई.आर.सी.टी.सी. में धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार व आपराधिक षड्यंत्र में दिल्ली की एक अदालत ने आरोप तय कर दिए हैं। इन चुनावों की दिलचस्प बात यह भी है कि इस बार राजद से बगावत करके ‘तेज प्रताप यादव’ भी अपनी अलग पार्टी ‘जनशक्ति जनता दल’ बना कर अपने ही परिवार को चुनौती दे रहे हैं।

दूसरी ओर ‘नीतीश कुमार’ देश के ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं जो पिछले 25 वर्षों में बार-बार पाला बदलकर 9 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। उनका समूचा कार्यकाल लगभग 19 वर्ष का है।  इस बीच जहां विभिन्न पार्टियों में दलबदल का खेल जारी है, वहीं टिकटों की बिक्री भी जोरों पर है। इसका रेट 5 लाख रुपए से 20 लाख रुपए तक बताया जा रहा है और इसके बदले में चुनाव लडऩे के अभिलाषियों को अनेक सुविधाएं देने के वादे किए जा रहे हैं। कुल मिलाकर बिहार के चुनाव को लेकर फिलहाल कुछ इस तरह की स्थिति बन रही है। अब भविष्य में स्थिति क्या रूप लेती है यह तो समय आने पर ही पता चलेगा। अलबत्ता चुनावों से ठीक पहले बिहार के लिए की गई 25,625 करोड़ रुपयों की रेवडिय़ों की घोषणाओं का राजग को कुछ लाभ मिल सकता है।—विजय कुमार 


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