तृणमूल कांग्रेस तथा वाम मोर्चे द्वारा कांग्रेस को संसद का अधिवेशन चलने देने की सलाह
punjabkesari.in Sunday, Dec 01, 2024 - 05:05 AM (IST)
25 नवम्बर को शुरू हुए संसद के शीतकालीन अधिवेशन का पहला सप्ताह दोनों सदनों में विपक्षी दलों के हंगामे की भेंट चढ़ जाने के कारण इसमें कोई महत्वपूर्ण विधायी कामकाज नहीं हो पाया। अधिवेशन के चौथे दिन 29 नवम्बर को सदन की कार्रवाई शुरू होते ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल शुरू करवाया तो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के सदस्य आसन के नजदीक आकर नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस के सांसद अडानी समूह का मामला तथा समाजवादी पार्टी के सांसद संभल ङ्क्षहसा का मामला उठा रहे थे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें अपने स्थान पर जाने और सदन की कार्रवाई चलने देने की अपील की परंतु कोई परिणाम न निकला तथा सदन 2 दिसम्बर तक स्थगित कर दिया गया।
वर्तमान अधिवेशन के पहले 4 दिनों में लोकसभा में केवल 40 मिनट और राज्यसभा में 75 मिनट ही काम हो पाया और इस तरह के हालात के बीच ‘इंडिया’ गठबंधन के कुछ दलों ने कांग्रेस से अगले सप्ताह के अधिवेशन के दौरान अपनी रणनीति बदलने का अनुरोध किया है। हाल ही में टी.एम.सी. ने कांग्रेस को संदेश दिया था कि वह संसद में केवल अडानी का मुद्दा ही नहीं बल्कि मणिपुर और संभल में ङ्क्षहसा तथा महंगाई जैसे जनता से जुड़े मुद्दों को उठाना चाहती है। अब वामदलों ने भी कांग्रेस से संसद में अपनी रणनीति बदलने का अनुरोध करते हुए कांग्रेस नेतृत्व को संदेश भिजवाया है कि गतिरोध पैदा करने की बजाय सदन में 2 और 3 दिसम्बर को संविधान पर संभावित बहस के दौरान देश को दरपेश समस्याएं उठानी चाहिएं।
इस समय जबकि देश उक्त समस्याओं के अलावा कानून व्यवस्था, जी.डी.पी. और विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आदि समस्याओं का सामना कर रहा है, तृणमूल कांग्रेस तथा वाम मोर्चे द्वारा कांग्रेस को दिए गए परामर्श में दम है।आखिर संसद जनता से जुड़ी समस्याओं पर सभी विचारधारा के नेताओं द्वारा चर्चा और उस पर सरकार से जवाब-तलबी करने का मंच है, जिसमें कामकाज के एक घंटे का खर्च लगभग डेढ़ करोड़ रुपए है, अत: इस मूल्यवान समय को गतिरोध की भेंट चढ़ाना किसी भी दृष्टिï से उचित नहीं है।—विजय कुमार