‘नशा तस्करी रोकने व देश की सुरक्षा के लिए’ ‘उन्नत ड्रोन रोधी प्रणाली की तुरंत जरूरत’

punjabkesari.in Wednesday, Aug 21, 2024 - 05:07 AM (IST)

पाकिस्तानी तस्करों ने अब हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रोनों का इस्तेमाल काफी बढ़ा दिया है। उल्लेखनीय है कि ये ड्रोन काफी सस्ते होने तथा इनके द्वारा नशों व हथियारों की तस्करी से मुनाफा अधिक होने के कारण पाकिस्तानी नशा तस्कर सुरक्षा बलों द्वारा किसी ड्रोन को गिरा दिए जाने की भी परवाह नहीं करते। ड्रोनों द्वारा मात्र पंजाब व राजस्थान की सीमाओं पर पिछले 3 सप्ताह के दौरान नशे और हथियार गिराने की घटनाएं निम्न में दर्ज हैं : 

* 24 जुलाई को राजस्थान में बीकानेर रेंज पुलिस के साथ संयुक्त कार्रवाई में बी.एस.एफ. ने अनूपगढ़ में सीमा के निकटवर्ती 2 अलग-अलग स्थानों पर ड्रोनों द्वारा फैंकी गई 6 किलो हैरोइन बरामद की। 
* 10 अगस्त को राजस्थान के अनूपगढ़ जिले में ‘30 ए.पी.डी.’ गांव के निकट पाकिस्तान से हैरोइन का पैकेट गिराने भारतीय क्षेत्र में घुसा एक ड्रोन पाकिस्तानी तस्करों के नियंत्रण से बाहर हो जाने के परिणामस्वरूप एक खेत में गिर गया। ड्रोन के साथ बंधे एक बड़े आकार के पीले रंग के पैकेट में 3 किलो हैरोइन बरामद की गई। 

* 14 अगस्त को बी.एस.एफ. की 116 बटालियन के जवानों ने फिरोजपुर सीमा पर ‘पचारिया’ गांव के निकट ड्रोन की हरकत देखने पर तुरंत कार्रवाई करके पाकिस्तान द्वारा भेजा गया एक चीन निर्मित ड्रोन मार गिराया। 
इसकी तलाशी के दौरान नशे की डिलीवरी लेने वाले को लोकेशन और स्थान का संकेत देने के लिए एक रोशनी करने वाली छड़ी तथा एक प्लास्टिक की बोतल में 538 ग्राम हैरोइन बरामद हुई। 

* 17 अगस्त को बी.एस.एफ. अमृतसर सैक्टर की टीम ने सीमावर्ती गांव ‘रोड़ांवाला खुर्द’ के इलाके में ड्रोन द्वारा फैंका गया एक मकान के बाहर पड़ा हैरोइन का पैकेट जब्त किया जिसके साथ एक रोशनी करने वाली छड़ी बंधी हुई थी। 
और अब तस्करों ने चीन से खरीदे छोटे ड्रोनों के जरिए नशीले पदार्थ और हथियार लाने का सिलसिला शुरू किया है जिसने बी.एस.एफ. के लिए चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है। पिछले कुछ समय के दौरान तकनीकी खराबी के कारण हथियारों और नशे की खेप के साथ भारतीय क्षेत्र में गिरे अनेक ड्रोनों को बी.एस.एफ. ने जब्त किया है। आकाश में काफी ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम इन छोटे ड्रोनों की आवाज सुनाई नहीं देने के कारण ये मुश्किल से पकड़ में आ पाते हैं। 

भारत-पाकिस्तान सीमा पर जहां ड्रोनों द्वारा हथियार और नशे आना भारत के लिए एक बड़ी समस्या है वहीं भारत-चीन सीमा पर ड्रोनों का इस्तेमाल जासूसी के लिए भी किया जा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध तथा आर्मेनिया और अजरबैजान के संघर्ष ने सिद्ध कर दिया है कि ड्रोनों के इस्तेमाल से टैंकों, जमीनी सेनाओं और सेना के काफिलों को भारी नुकसान पहुंचाया जा सकता है। पाकिस्तान और चीन के साथ लगती सीमाओं पर ड्रोनों के बढ़ रहे इस्तेमाल से ङ्क्षचतित रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में इन ड्रोनों का मुकाबला करने के लिए नई तकनीक तलाश करने की घोषणा की है। सेना एक ऐसी ‘ग्राऊंड बेस्ड’ प्रणाली प्राप्त करने की इच्छुक है जो 50 किलो तक वजन उठाने तथा 6 इंच से 2 मीटर तक के ड्रोनों का स्वत: पता लगा कर उन्हें पकडऩे में सक्षम हो। 

रक्षा मंत्रालय के अनुसार जासूसी करने तथा शत्रु के ड्रोनों का पीछा करने में सक्षम यह प्रणाली ऐसे माइक्रोप्रोसैसर से लैस होगी जिसके द्वारा शत्रु के ड्रोन को 3 किलोमीटर की दूरी से नष्ट या नाकारा किया जा सके तथा इसके अलावा मंत्रालय निर्माताओं द्वारा इस प्रणाली में और भी अनेक सुविधाएं शामिल किए जाने का इच्छुक है। देश की सुरक्षा को जोखिम में पडऩे से रोकने तथा ड्रोनों द्वारा भारत में नशे और हथियारों की तस्करी पर लगाम लगाने के लिए इस तरह की उन्नत ड्रोन रोधी प्रणाली प्राप्त करने की तुरंत आवश्यकता है ताकि पाकिस्तानी और चीनी ड्रोनों से हमारे देश को पैदा हुए खतरे का मुकाबला किया जा सके।—विजय कुमार 


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