स्कूली बच्चों की सुरक्षा, जश्न फायरिंग व स्वच्छता संबंधी तीन महत्वपूर्ण निर्णय

Tuesday, Nov 13, 2018 - 03:48 AM (IST)

समय-समय पर सरकारी विभाग जनहित से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण आदेश जारी करते रहते हैं। ऐसे आदेशों की शृंखला में हाल ही में हिमाचल सरकार, दिल्ली उच्च न्यायालय और पुणे नगर निकाय ने 3 ऐसे आदेश जारी किए हैं जिनका आम लोगों की सुरक्षा और सेहत से सीधा संबंध है। 

पहला आदेश हिमाचल प्रदेश के परिवहन विभाग ने ‘हिमाचल प्रदेश मोटर वाहन (प्रथम संशोधन) नियम 2018’ के तहत स्कूल बसों में यात्रा करने वाले बच्चों की सुरक्षा यकीनी बनाने के लिए जारी किया है। इसके अनुसार स्कूली बच्चों को ढोने के लिए प्रयुक्त होने वाली बसें 15 वर्ष से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिएं। न्यूनतम 5 वर्ष के अनुभवी ड्राइवर के पास वैध लाइसैंस हो तथा उसकी आयु 60 वर्ष से अधिक न हो। प्रतिवर्ष उसे पात्र अधिकारी से शारीरिक फिटनैस प्रमाणपत्र लेना होगा। 

इन नियमों का पालन स्कूल प्रबंधन, प्राइवेट ठेकेदारों या हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम द्वारा संचालित बच्चों को ढोने वाली सभी बसों को करना होगा। स्कूलों द्वारा लीज पर ली गई बसों के ड्राइवरों के लिए स्कूल के साथ अनुबंध की प्रति अपने साथ रखना अनिवार्य किया गया है। आसानी से पहचान में आने के लिए सभी स्कूल बसों या वाहनों को गहरे पीले रंग से रंगना व उनके दोनों ओर साफ तौर पर स्कूल का नाम लिखना अनिवार्य किया गया है। पांच वर्ष से छोटे बच्चों को वाहन की फ्रंट सीट पर बैठाने, ड्राइवर द्वारा वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करने तथा 40 कि.मी. प्रति घंटे से अधिक गति से वाहन चलाने पर भी रोक लगाई गई है। 

स्कूल की मैनेजमैंट के लिए निकटवर्ती पुलिस थाने में चालक का नाम और वाहन संबंधी विवरण दर्ज करवाना और वाहनों में ‘टैम्पर प्रूफ स्पीड गवर्नर’ जी.पी.एस. प्रणाली एवं सी.सी.टी.वी. की व्यवस्था करना भी अनिवार्य किया गया है। स्कूल प्रबंधन और वाहन के मालिक इन सभी प्रणालियों का सही ढंग से काम करना सुनिश्चित बनाएंगे तथा इनके रिकार्ड की नियमित रूप से पड़ताल भी करवाएंगे। जनहित से जुड़े दूसरे मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि विवाह और इस जैसे अन्य कार्यक्रमों में जश्न मनाने के दौरान चलाई जाने वाली गोली से अगर कोई दुर्घटना होती है तो इसके लिए समारोह के आयोजक भी जिम्मेदार ठहराए जाएंगे। न्यायमूर्ति विभु बाख्रू ने कहा कि समारोह के आयोजक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कार्यक्रम में शामिल होने वाले उनके अतिथि गोली नहीं चलाएं और अगर ऐसा होता है तो उन्हें पुलिस को इसकी सूचना देनी होगी। 

मान्य न्यायाधीश के अनुसार, ‘‘उस व्यक्ति की जिम्मेदारी तय करने की जरूरत है जिसने समारोह का आयोजन किया है। यदि आप कोई कार्यक्रम आयोजित करते हैं और वहां जश्न के दौरान गोली चलाई जाती है तो इसके लिए आप जिम्मेदार ठहराए जाएंगे। आप यह नहीं कह सकते कि आपने अपने अतिथि को बंदूक लाने के लिए नहीं कहा था।’’ इसी प्रकार जनहित से जुड़ा तीसरा फैसला पुणे नगर निकाय ने लिया है। सड़कों पर थूकने वालों को शिष्टाचार सिखाने और शहर की सड़कों को साफ रखने के लिए इसने आदेश दिया है कि यदि कोई व्यक्ति सड़क पर थूकता हुआ पाया जाएगा तो उसे न सिर्फ अपनी थूक स्वयं साफ करनी पड़ेगी बल्कि जुर्माना भी देना होगा क्योंकि सड़क पर थूकने वालों पर लगाम लगाने के लिए सिर्फ अार्थिक जुर्माना लगाना काफी नहीं है। 

उल्लेखनीय है कि पुणे में पिछले 8 दिनों में सड़क पर थूकते हुए 156 लोगों को पकड़ा गया। उन सभी को तुरंत अपना थूक साफ करने को कहा गया और प्रत्येक पर 150 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। इस सजा के पीछे एक ही मकसद है कि गलती करने वालों को थूक साफ करने के लिए कहने पर उन्हें शर्म आएगी और अगली बार से वे ऐसी गलती नहीं करेंगे तथा एक बार सजा मिलने के बाद ऐसा करने से पहले वे दो बार सोचेंगे। उक्त तीनों ही फैसले सराहनीय एवं अनुकरणीय हैं। इनसे जहां स्कूल बसों को दुर्घटनाओं से रोकने में सहायता मिलेगी वहीं अनेक लोगों की जान लेने वाली जश्र फायरिंग पर रोक लगने के साथ-साथ स्वच्छता को भी बढ़ावा मिलेगा। देश के सभी राज्यों में इन निर्णयों को लागू किया जाना चाहिए, यह समय की जरूरत है।—विजय कुमार  

Pardeep

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