यही बातें हैं ‘कि हस्ती मिटती नहीं हमारी’

Tuesday, Jan 14, 2020 - 12:48 AM (IST)

बेशक आज देश तरह-तरह की सस्याओं से जूझ रहा है, इसके बावजूद देश में मौजूद अच्छाई की ताकतें रह-रह कर दिलासा दे रही हैं कि बुराई कभी जीत नहीं पाएगी। परस्पर भाईचारा, सहानुभूति, सौहार्द और सद्भाव सदा बना रहेगा जो चंद निम्र ताजा उदाहरणों से स्पष्ट है: 
महाराष्ट्र के चुनावों में नवनिर्वाचित निर्दलीय विधायक बाचू काडू ने 5 जनवरी को पहले मुम्बई में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष नतमस्तक होकर अपने समर्थकों के साथ रक्तदान किया और फिर उद्धव ठाकरे मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री की शपथ ग्रहण की।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास (आई.आई.टी.-एम) से पढ़ कर निकले इसके एक प्रसिद्ध भूतपूर्व छात्र ने संस्थान के डिजाइन विभाग के अंतर्गत रोबोटिक्स अनुसंधान और शिक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए एक करोड़ रुपए का दान दिया। संस्थान के इंजीनियरिंग डिजाइन विभाग के प्रमुख प्रोफैसर टी. अशोकन के अनुसार, ‘‘ इससे उच्च तकनीकी कर्मचारियों तथा छात्रों की कई पीढिय़ों को प्रशिक्षित करने में सहायता मिलेगी।’’ 

आज जबकि देश में कन्याओं पर अत्याचार हो रहे हैं। महाराष्ट्र के एक व्यक्ति की हर ओर प्रशंसा हो रही है जिसने कार खरीदने के बाद उसकी पूजा की और अपनी 2 वर्ष की बेटी के पैरों को कुमकुम में भिगोकर उसके पैरों की छाप अपनी कार के बोनेट पर देवी लक्ष्मी की प्रतीक के रूप में लगाई। 

ओडिशा के क्योंझर जिले में ‘कानपुर’ नामक गांव के सेवानिवृत्त वैटर्नरी तकनीशियन गंगाधर राऊत ने अपने गांव के निकट बहने वाली ‘सालांदी’ नदी को पार कर शहर जाने में गांववासियों को आने वाली परेशानी दूर करने के लिए नदी पर 15 वर्ष से अधूरे पड़े 270 फुट लम्बे पुल का निर्माण अपनी रिटायरमैंट के पैसों से पूरा करवा कर एक मिसाल कायम की है। इससे उनके तथा साथ लगते 8 गांवों के लोगों का शहर जाना-आना आसान हो गया है। 

तमिलनाडु के पुड्डूकोटेई जिले के हिन्दू बहुल ‘सेरियालुर ईनाम’ नामक गांव के निवासियों ने 7 जनवरी को मोहम्मद जियावुद्दीन नामक एक मुसलमान को गांव का प्रधान चुन कर साम्प्रदायिक सद्भाव का प्रमाण दिया है। इस गांव में कुल 1360 वोटों में से मुसलमानों के केवल 60 वोट हैं लेकिन जियावुद्दीन ने 554 वोट प्राप्त कर अपने हिन्दू प्रतिद्वंद्वी को हरा दिया।

10 जनवरी को फरीदाबाद के पलवली गांव के रहने वाले एक गरीब आटो चालक शीश पाल के पौने दो साल के बेटे पर कुत्तों के एक झुंड ने हमला करके उसका मुंह, आंखें, नाक, कान और पेट बुरी तरह नोच लिया जिसके इलाज पर आने वाला खर्च शीश पाल के वश से बाहर था।

जब शहर की एक पॉश कालोनी के लोगों को इसका पता चला तो उन्होंने तुरंत चंदा इकट्ठा करके बच्चे की सर्जरी के लिए 35000 रुपए जुटा कर शीश पाल को दिए और अस्पताल के संबंधित डाक्टर कामेश्वर ने भी मुफ्त सर्जरी करके अपने मसीहा होने का सबूत दिया और बच्चे की जान बचाई। 

इसी से मिलता-जुलता उदाहरण राजस्थान में माऊंट आबू की रहने वाली ज्योति खंडेलवाल, उनकी बहन और भाई ने पेश करते हुए बीमार और बेसहारा कुत्तों की देखभाल के लिए अपनी पुश्तैनी सम्पत्ति का एक हिस्सा बेच कर उनके लिए एक ‘रैस्क्यू सैंटर’ बनाया है।

मकान के ग्राऊंड फ्लोर पर खंडेलवाल परिवार रहता है तथा ऊपर वाली दो मंजिलों पर आवारा और बेसहारा कुत्ते रखे गए हैं। ज्योति ने बेसहारा कुत्तों की देखभाल का काम 4 वर्ष पूर्व शुरू किया था जब उन्होंने अपने पड़ोस में रहने वाली एक बेसहारा कुतिया के 6 पिल्लों की दयनीय हालत को देखा जो ठंड और भूख की वजह से हर समय रोते रहते थे। 

समाज के प्रति सरोकार का एक उदाहरण गोवा में नृत्य निदेशक सेसिल रोड्रिग्स (38),एक मां एवं नर्स सीमा चिमुलकर (60) और एक टैक्सी ड्राइवर प्रकाश मलानी (32) ने भी पेश किया है। इन तीनों ने सड़कों पर बने स्पीड ब्रेकरों के नजर न आने के कारण वाहन चालकों को होने वाली असुविधा और दुर्घटनाओं को रोकने तथा सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए 17 दिसम्बर से रात को अपने खाली समय में स्पीड ब्रेकरों को पीले रंग से रंगने का अभियान शुरू कर रखा है तथा अभी तक वह अपने सामूहिक प्रयास से 71 स्पीड ब्रेकर रंग चुके हैं। 

जनसेवा, शिक्षा प्रसार, कन्या संतान को प्रोत्साहन और साम्प्रदायिक सौहार्द, जरूरतमंदों की सहायता, जीव दया, सड़क सुरक्षा के प्रति सरोकार, के ये चंद उदाहरण किसी प्रकाश स्तम्भ से कम नहीं हैं जो लोगों को परस्पर मेलजोल से देश को खुशहाल बनाने का संदेश देते हैं।     —विजय कुमार 

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