वर्ष 2022 कांग्रेस के अस्तित्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण

Thursday, Sep 23, 2021 - 04:08 AM (IST)

200 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जहां भारतीय जनता पार्टी तथा इसके गठबंधन सहयोगियों की कांग्रेस के साथ सीधी टक्कर है। इन निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव परिणामों का सीधा नतीजा यह निकलेगा कि अगले 5 वर्षों के लिए देश पर कौन शासन करेगा। इसलिए मतदाताओं सहित सभी संबंधित के लिए यह महत्वपूर्ण है कि पार्टी के भीतर घटनाक्रमों पर करीबी नजर रखी जाए। 

2009 के लोकसभा चुनावों में विजय के बाद यह पतन की ओर अग्रसर है सिवाय कुछ राज्यों में विजय के। मोदी नीत राजग के हाथों दूसरी पराजय के बाद से पार्टी और भी अधिक तेजी से गिरावट की ओर बढ़ रही है। इसके अध्यक्ष राहुल गांधी दुखी हो गए और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जब तक कोई बदल नहीं मिल जाता उनकी मां सोनिया गांधी को ‘कार्यवाहक अध्यक्ष’ के तौर पर कमान संभालनी पड़ी। पार्टी को कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला और प्रत्यक्ष तौर पर गांधी परिवार भी किसी ऐसे सक्षम व्यक्ति को कमान सौंपने को तैयार दिखाई नहीं देता है। 

यहां तक कि 23 वरिष्ठ पार्टी नेताओं  के समूह द्वारा चुनाव करवाने तथा पार्टी को पुनर्जीवित करने के आह्वान के बाद भी यह भव्य प्राचीन पार्टी एक्शन में नहीं आई। अधिकतर अन्य नेताओं ने हाथ बढ़ाने से इंकार कर दिया तथा पार्टी जड़ता की स्थिति में बनी हुई है। पंजाब में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम संकेत देते हैं कि 136 वर्ष पुरानी वैभवशाली पार्टी अब अपनी नींद से बाहर आने की कोशिश कर रही है। ऐसे भी घटनाक्रम हैं कि युवा भाई-बहन, राहुल तथा प्रियंका गांधी की जोड़ी अब अपनी मां सोनिया गांधी की छाया से बाहर निकल कर आगे आने का प्रयास कर रही है। यह सर्वविदित है कि सोनिया गांधी अहमद पटेल की सलाह पर बहुत अधिक निर्भर करती थीं जिनका गत वर्ष नवम्बर में निधन हो गया। पार्टी द्वारा लिए जाने वाले सभी महत्वपूर्ण निर्णयों में उनकी केंद्रीय भूमिका होती थी तथा असंतुष्ट पार्टी नेताओं के बीच कड़ी का भी काम करते थे उनके निधन से पार्टी दिशाविहीन हो गई है। उनके निधन के बाद पंजाब में राजनीतिक घटनाक्रम पहला प्रमुख राजनीतिक मामला था।

यह पहली बार भी था कि युवा गांधी-प्रियंका तथा राहुल ने अपना दबदबा बनाने की कोशिश की। यह सर्वविदित है कि सोनिया गांधी कम से कम चुनावों तक कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को बनाए रखने के पक्ष में थीं। हालांकि युवा गांधियों ने नवजोत सिंह सिद्धू का समर्थन किया और कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की इच्छा के विपरीत पंजाब में उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाने में केंद्रीय भूमिका निभाई। इसके बाद सिद्धू कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की छुट्टी करवाने में भी सफल रहे। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि अगला उत्तराधिकारी उनकी पसंद का व्यक्ति हो। यही कारण है कि पार्टी नेतृत्व मुख्यमंत्री का नाम घोषित करने में आखिरी समय तक दुविधा में रहा। जिस तरह से पंजाब में सारी स्थिति से निपटा गया वह नेतृत्व की अच्छी छवि नहीं बनाता। नई सरकार के लिए आकांक्षाओं को पूरा करना तथा इस निर्णय के प्रभाव को देखना एक बड़ा काम होगा। 

युवा गांधियों के उत्थान की अब कांग्रेस शासित बाकी दो राज्यों राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ पर भी छाया पडऩे की आशा है। दोनों राज्यों में संकट उभर रहा है। राजस्थान में युवा नेता सचिन पायलट प्रतीक्षा में हैं और उनके समर्थक पंजाब में घटनाक्रमों से संभवत: खुश होंगे जिसमें अपेक्षाकृत युवा मुख्यमंत्री की नियुक्ति शामिल है। छत्तीसगढ़ में राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर विवाद है जो पार्टी उच्च कमान के लिए एक परीक्षा साबित होगा। 

मगर अधिक दांव उत्तर प्रदेश के आने वाले चुनावों पर है। सबसे बड़े राज्य पर कई दशकों तक राज करने वाली कांग्रेस का अब राज्य में लगभग कोई अस्तित्व नहीं है। अपने पुनरुत्थान  के लिए पार्टी को राज्य में बेहतर कारगुजारी दिखानी होगी। किसी को भी इसके विजय के कहीं करीब आने की आशा नहीं है लेकिन जिस चीज पर करीबी नजर रहेगी वे राज्य में इसके द्वारा चुने गए व्यक्ति तथा गठबंधन होंगे। सोनिया गांधी के पृष्ठभूमि में चले जाने के कारण अब सारा भार उनके बच्चों पर होगा कि वे अपना दमखम दिखाएं। वर्ष 2022, जिसमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात, उत्तराखंड तथा गोवा में विधानसभा चुनाव होने हैं, पार्टी के अस्तित्व अथवा पुनर्जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण होगा।-विपिन पब्बी 
 

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