‘आतंकवादी गतिविधियों के लिए’ ‘नेपाल की धरती का हो रहा इस्तेमाल’

punjabkesari.in Wednesday, Mar 03, 2021 - 02:00 AM (IST)

विश्व के एकमात्र हिन्दू देश और अपने निकटतम पड़ोसी नेपाल के साथ हमारे सदियों से गहरे संबंध चले आ रहे हैं। दोनों ही देशों के लोगों के बीच ‘रोटी और बेटी’ का रिश्ता है। दोनों देशों की धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषाई और ऐतिहासिक स्थिति में बहुत अधिक समानता है। नेपाल में 2008 में राजशाही की समाप्ति के बाद नया संविधान अस्तित्व में आया और अब वहां चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा समॢथत प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ‘ओली’ की सरकार है। 

भारत और नेपाल के तत्कालीन शासकों के बीच 1950 में हुई ‘शांति एवं मैत्री संधि’ में कहा गया था कि ‘‘दोनों ही देशों की सरकारें किसी विदेशी आक्रामक द्वारा एक-दूसरे की प्रतिरक्षा को पैदा खतरा बर्दाश्त नहीं करेंगी और दोनों ही देशों के बीच संबंधों में कटुता पैदा करने वाले कारणों के बारे में एक-दूसरे को सूचित करेंगी।’’इस संधि से दोनों देशों में ‘विशेष’ संबंध मजबूत हुए थे जिसके अनुसार भारत में रहने वाले नेपालियों को अपने देश के समान ही समानता का दर्जा प्राप्त है। 

भारतीय सेना में नेपाली समुदाय के लोगों के लिए विशेष रूप से गठित ‘गोरखा रैजीमैंट’ में अभी भी गोरखों की भर्ती की जाती है परन्तु पाकिस्तानी आतंकवादी भारत विरोधी गतिविधियों के लिए दो दशक से अधिक समय से नेपाल की धरती का इस्तेमाल करते आ रहे हैं और वहां की सरकार मौन है। 

इसका पहला उदाहरण 24 दिसम्बर, 1999 का कंधार विमान अपहरण कांड है जब आतंकवादी 150 यात्रियों सहित एयर इंडिया के विमान का काठमांडू हवाई अड्डे से अपहरण करके अफगानिस्तान के कंधार शहर ले गए और चुनौती दे दी कि भारत में बंद आतंकवादी मसूद अजहर व 2 अन्य आतंकियों की रिहाई के बाद ही विमान छोड़ा जाएगा। 

अपहृत यात्रियों के परिजनों द्वारा सहायता की गुहार करने पर श्री वाजपेयी ने आतंकियों की मांग स्वीकार करके तत्कालीन विदेश मंत्री श्री जसवंत सिंह को विमान छुड़वाने के लिए उक्त आतंकियों के साथ कंधार भेजा था। इसके बाद 2013 में यासीन भटकल सहित इंडियन मुजाहिद्दीन (आई.एम.) के 2 चोटी के आतंकवादी नेपाल के ‘पोखरा’ से ही गिरफ्तार किए गए थे। 2019 में सामने आए नेपाल के केंद्रीय बैंक से जुड़े ‘इंटरनैशनल टैरर फंडिंग’ के एक स्कैंडल की जांच के दौरान इसमें ऐसे लोग शामिल पाए गए जिन पर भारत में आतंकवादी गतिविधियां चलाने के लिए धन लाने का संदेह था। 

गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने पुलिस को बताया था कि दूसरे देशों से नेपाल स्थित बैंकों में विभिन्न खाताधारकों के खाते में रकम भेजी जाती और वे इन खाताधारकों को 5 प्रतिशत कमीशन देते थे। वे इस करंसी को भारतीय करंसी में बदलवा कर अपने ‘हैंडलरों’ को सौंप देते थे और इसके बदले में ‘हैंडलर’ उन्हें 6 प्रतिशत कमीशन देते थे। ये ‘हैंडलर’ यह रकम कोरियर से भारत भेज देते थे जहां इसे भारत विरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाता था। नवम्बर, 2019 में अमरीकी विदेश विभाग की ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन टैरेरिज्म-2018’ मेंं कहा गया कि ‘इंडियन मुजाहिद्दीन’ (आई.एम.) के  ‘लश्कर-ए-तोयबा’, ‘जैश-ए-मोहम्मद’ और ‘हरकत-उल-जेहाद-इस्लामी’ से संबंध हैं जो भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए नेपाल को एक केंद्र के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं तथा पाकिस्तान और मध्य पूर्व के देशों से धन प्राप्त कर रहे संदिग्ध आतंकियों ने अपनी गतिविधियां नेपाल तक बढ़ा दी हैं। 

अब धन नेपाल से बिहार के रास्ते जम्मू-कश्मीर भेजा जा रहा है और इस धंधे में बिहार के सीमांत इलाकों के युवाओं को रातों-रात अमीर बनाने का लालच देकर कोरियर बनाया जा रहा है। इस बात का खुलासा एस.एस.बी. की 52वीं बटालियन द्वारा 1 लाख 65 हजार रुपए के नकली नोटों के साथ गिरफ्तार किए गए बिहार के अररिया जिले के युवक ने किया है। इस युवक के अनुसार वह नेपाल से रुपयों की खेप लाकर घर में रखता है और मौका देखकर जम्मू-कश्मीर पहुंचा देता है। इसके एवज में उसे मोटा कमीशन दिया जाता है। इस युवक के घर से जम्मू-कश्मीर से जुड़े कुछ कागजात भी बरामद किए गए हैं। इसके अनुसार उसके गिरोह में कई अन्य युवक शामिल हैं। 

भारत में नकली करंसी भेजने और आतंकवादी गतिविधियों के लिए लम्बे समय से पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नेपाल की धरती का इस्तेमाल जारी रहना निश्चय ही ङ्क्षचता का विषय है क्योंकि इससे भारत और नेपाल के रिश्ते बिगड़ भी सकते हैं। इसलिए नेपाल सरकार को इस संबंध में सख्तीपूर्वक कदम उठाकर इन पर रोक लगानी चाहिए और भारत सरकार को भी सीमा पर अपनी चौकसी बढ़ानी चाहिए ताकि इस बुराई पर रोक लगे जिससे दोनों देशों की शांति भंग न हो और इनके आपसी रिश्ते मजबूत हों।—विजय कुमार  


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