श्री हनुमान जी की जाति को लेकर अब अनावश्यक विवाद

Sunday, Dec 23, 2018 - 12:18 AM (IST)

भक्त शिरोमणि हनुमान जी की माता अंजनि तथा पिता वानर राज केसरी हैं। इस धरा पर जिन 7 मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है उनमें बजरंगबली भी हैं। ज्ञान में अग्रणी, जितेंद्रिय, रुद्रावतार, भगवान श्री राम के परम सेवक तथा भक्त श्री हनुमान जी की भक्ति और सामर्थ्य का वर्णन ‘रामचरित मानस’ तथा महाकाव्य ‘रामायण’ में मिलता है। हनुमान जी महाकाव्य ‘रामायण’ के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पात्रों में से एक हैं।

भगवान श्री राम के संकटमोचक बजरंगबली हनुमान जी प्रभु श्री राम तथा वानर राज सुग्रीव की मित्रता करवाने में सहायक बनते हैं। लक्ष्मण जी जब मेघनाद की ‘शक्ति’ के प्रहार से मूर्च्छित हो गए तब हनुमान जी द्रोणगिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लेकर आए और लक्ष्मण जी की प्राण रक्षा की।

वह सीता माता की खोज के लिए सर्वप्रथम लंका लांघ कर अशोक वाटिका में गए और रावण द्वारा बंदी बनाई गई माता सीता को श्री राम के सकुशल होने का संदेश देते हैं। सीता माता ने हनुमान जी की अनन्य भक्ति को देख कर उन्हें अष्टसिद्धियों और नवनिधियों का वरदान प्रदान किया।

सभी वर्ग, जातियां, समुदाय हनुमान जी की भक्ति कर अभीष्ट फल प्राप्त करते हैं। तुलसीदास जी को भी प्रभु श्री राम के दर्शन इनकी कृपा से ही हुए थे। गोस्वामी तुलसी दास जी द्वारा इनकी स्तुति में रचित ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ समस्त संकटों को हरने वाला तथा हनुमान जी की कृपा प्रदान करवाने वाला है।

प्रभु श्री राम के चरणों में विराजित और ऐसे गुणों वाले उनके परम भक्त हनुमान जी इन दिनों अपनी जाति को लेकर लगातार चर्चा में हैं और इस बहस की शुरूआत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई है।

योगी ने 29 नवम्बर को हनुमान जी को दलित बताते हुए कहा, ‘‘भगवान हनुमान ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित हैं, वंचित हैं।’’ (इस बयान के बाद आगरा में हनुमान जी के एक प्राचीन मंदिर पर दलितों ने कब्जा कर लिया और कहा कि जब यह साफ हो गया है कि हनुमान जी दलित थे तो उनके मंदिरों की जिम्मेदारी हमारी है।)

01 दिसम्बर को भाजपा नेता व राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह ने यहां तक कह दिया कि ‘‘हनुमान तो बंदर थे और बंदर पशु होता है जिसका दर्जा दलित से भी नीचे होता है। वो तो राम ने उन्हें भगवान बना दिया।’’

05 दिसम्बर को भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले ने कहा, ‘‘हनुमान जी दलित थे और मनुवादियों के गुलाम थे। यदि लोग कहते हैं कि भगवान राम का बेड़ा पार करवाने का काम उन्होंने किया था, अगर उनमें इतनी शक्ति थी तो जिन लोगों ने राम का बेड़ा पार करने का काम किया उन्हें बंदर क्यों बना दिया?’’

20 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बुक्कल नवाब ने भगवान हनुमान को मुसलमान बता डाला। इसी दिन उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने हनुमान जी के जाट होने का दावा किया और कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भगवान हनुमान एक जाट थे।’’

इसके अगले ही दिन 21 दिसम्बर को सांसद कीर्ति आजाद ने यह कह कर विवाद को और बढ़ा दिया कि ‘‘हनुमान जी चीनी थे।’’ 

21 दिसम्बर को भाजपा सांसद उदित राज ने कहा, ‘‘हनुमान का कोई अस्तित्व ही नहीं था। कई दृष्टिकोण हैं जिनमें एक दृष्टिकोण यह कहता है कि वह जंगल में थे जिसके हिसाब से वह आदिवासी थे। साइंटीफिक जानकारी के अनुसार यदि कहा जाए तो उनका कोई अस्तित्व ही नहीं है।’’

इस बारे उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के एम.एल.सी. दीपक सिंह ने सही कहा है कि ‘‘भाजपा पहले तय कर ले कि हनुमान जी की क्या जाति है। हमें तो इतना पता है कि वह सभी के ईष्ट देवता हैं।’’

सपा नेता प्रो. राम गोपाल यादव के अनुसार ‘‘जिनको सारे लोग मानते हैं उनको जाति में बांटने की जो लोग कोशिश कर रहे हैं उनसे बड़ा मूर्ख, धूर्त और उद्दंड कोई हो ही नहीं सकता।’’

इसी प्रकार राजद नेता मनोज झा ने कहा है, ‘‘यहां हर शाख पर उल्लू बैठा है। मुझे लगता है इसके लिए एक आयोग बैठा दिया जाए जिसमें 36 करोड़ देवी-देवताओं की जाति बता दी जाए।’’

निश्चय ही हनुमान जी जैसी महान विभूति को किसी जाति के बंधन में बांधना सरासर गलत और अपराध के तुल्य है। अपने गुणों के कारण वह सर्वपूज्य हैं और इन विवादों के बावजूद सर्वपूज्य ही रहेंगे। —विजय कुमार 

shukdev

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