कर्नाटक : अभी तो कहानी शुरू हुई है मंजिलों तक का सफर है बाकी

punjabkesari.in Monday, Jan 09, 2023 - 04:44 AM (IST)

चूंकि 2024 में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं, इसलिए इस वर्ष भारत में घरेलू राजनीति के मोर्चे पर खूब गहमागहमी रहेगी। इस वर्ष राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम जैसे 9 राज्यों में चुनाव होने हैं जिन्हें जीतने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा अपनी पूरी कोशिश करेगी। भाजपा के लिए 2023 के चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इन राज्यों के चुनाव वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए लोगों के मूड का संकेत देंगे। 

जहां भाजपा इन चुनावों में 2018 में हारे राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना पर कब्जा जमाने का प्रयास करेगी वहीं इसका जोर अपने शासित राज्यों मध्य प्रदेश और कर्नाटक को अपने हाथ में रखने पर भी रहेगा। दक्षिण भारत में कर्नाटक का चुनाव जीतना भाजपा के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहीं से इसने सबसे पहले दक्षिण भारत में खाता खोला था और यहीं से यह दक्षिण भारत में अपना विस्तार करने के लिए प्रयत्नशील है और इसका अगला निशाना होगा तमिलनाडु की सत्ता पर कब्जा करना। 

दूसरी ओर विरोधी दलों कांग्रेस तथा जद (स) ने भी चुनाव जीतने के लिए अपनी रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है तथा कांग्रेस व भाजपा नेताओं की ओर से एक-दूसरे पर बयानबाजी का सिलसिला चल पड़ा है जो काफी निचले दर्जे तक पहुंचता दिखाई दे रहा है। 

कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया ने गुरुवार को राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के बारे में कहा कि वह नरेंद्र मोदी के सामने एक पिल्ले की तरह हैं और उनके सामने कांपते हैं। हालांकि अपनी ‘पिल्ला’ टिप्पणी का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक असंसदीय शब्द नहीं है। वहीं सी.एम. बोम्मई ने सिद्धारमैया की ‘पिल्ला’ टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की। उन्होंने कहा कि कुत्ता एक वफादार जानवर है और वह अपना काम ईमानदारी से कर रहा है। यहां यह बात भी ध्यान देने वाली है कि अभी से ही कर्नाटक का राजनीतिक वातावरण इतना दूषित हो गया है कि निजी आक्षेप तक लगाए जा रहे हैं परंतु ऐसा क्यों हो रहा है यह विचारणीय प्रश्र है। 

दक्षिण भारत में कर्नाटक ही एकमात्र राज्य है जिस पर भाजपा का कब्जा है और यहां का राजस्व काफी अधिक होने के कारण यह राज्य भाजपा तथा कांग्रेस के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है और जिस किसी भी पार्टी की सरकार बनेगी यह उसी के हाथ में जाएगा। बेशक यह राज्य भाजपा का गढ़ है परंतु कांग्रेस को लगता है कि वह इसे जीत सकती है और इसके लिए प्रयत्नशील है और इसी कारण यहां एक अलग ही किस्म की राजनीति शुरू हो गई है। 

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (कांग्रेस) ने तो भाजपा पर यहां तक आरोप लगाया है कि उसने पिछले चुनाव के दौरान किए 600 वायदों में से 10 प्रतिशत वायदे भी पूरे नहीं किए। इसीलिए भाजपा नेता लोगों का ध्यान भटकाने के लिए तरह-तरह की बातें कह रहे हैं। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नलिन कुमार कटील ने पार्टी कार्यकत्र्ताओं से सड़क और जल निकासी जैसे मुद्दों पर नहीं बल्कि ‘लव जेहाद’ पर ध्यान केंद्रित करने को कहा। उधर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का कर्नाटक में दिया गया बयान भी कुछ इसी तरह का है। 

शाह ने कहा कि यदि जद (एस) सत्ता में आती है तो कर्नाटक एक परिवार का ए.टी.एम. बन जाएगा। देवेगौड़ा परिवार ने इस बात को भुनाया और प्रतिशोध पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी की तरफ से आया जिन्होंने कहा, ‘‘अमित शाह एच.डी. देवेगौड़ा के परिवार के पैर के नाखून के बराबर भी नहीं।’’

मथुरा कृष्ण जन्म भूमि मंदिर आदि विषय भाजपा वाले इसीलिए छेड़ रहे हैं ताकि इनका प्रभाव कर्नाटक पर पड़े। जहां पिछले कुछ महीनों के दौरान कर्नाटक में भाजपा की सरकार बनाने में बड़ा योगदान देने वाले येद्दियुरप्पा स्वयं को पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं, वहीं उनके और वर्तमान मुख्यमंत्री बोम्मई के बीच भी दूरियां बढ़ गई हैं जो ङ्क्षलगायतों के नेता के रूप में येद्दियुरप्पा पर हावी होने की कोशिश कर रहे बताए जा रहे हैं। 

बोम्मई और येद्दियुरप्पा दोनों के विरोधी भाजपा विधायक ‘बसावराज पाटिल यतनाल’ ने कहा है कि ‘‘आप लोग कुछ समय के लिए तो लोगों को बेवकूफ बना सकते हैं परंतु हमेशा के लिए नहीं।’’

इस बीच राज्य के चुनावों में येद्दियुरप्पा के नजदीकी बेलारी के रैड्डïी बंधुओं की एंट्री भी हो गई है जिन्होंने भाजपा से नाता तोड़ कर ‘कल्याण राज्य प्रगति पक्ष’ नामक पार्टी बना ली है। जहां कुछ लोगों का कहना है कि इससे भाजपा को हानि और कांग्रेस तथा जद (स) को लाभ पहुंचेगा वहीं भाजपा का कहना है कि इससे उसे कोई हानि होने वाली नहीं है। वर्तमान में राज्य के राजनीतिक रंगमंच पर कुछ इस तरह की स्थिति बनी हुई है तथा आने वाले दिनों में घटनाक्रम क्या रूप लेता है, इसी पर सबकी नजरें टिकी हैं। 


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