थमने में नहीं आ रहा भारतीय रेलों में दुर्घटनाओं का सिलसिला

punjabkesari.in Tuesday, Jun 04, 2024 - 05:11 AM (IST)

भारतीय रेलवे एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नैटवर्क है। हालांकि इस वर्ष कोई बड़ी रेल दुर्घटना नहीं हुई, परंतु लगातार हो रही छिटपुट दुर्घटनाएं सचेत कर रही हैं कि भारतीय रेलों की परिचालन प्रणाली में सब ठीक नहीं है, जो मात्र पिछले लगभग एक सप्ताह के भीतर हुई रेल दुर्घटनाओं से स्पष्ट हैं: 

* 28 मई, 2024 को महाराष्ट्र में ‘पनवेल’ जा रही एक मालगाड़ी के 7 डिब्बे पालघर रेलवे स्टेशन पर पटरी से उतर जाने के कारण गुजरात से मुम्बई आने-जाने वाली कई रेलगाड़ियों का आवागमन प्रभावित हुआ।
* 30 मई को अम्बाला-लुधियाना सैक्शन पर सरहिंद के निकट एक मालगाड़ी के कई डिब्बे पटरी से उतर गए, जिससे अमृतसर और जम्मू को जाने वाली कई गाडिय़ां प्रभावित हुईं तथा उनके रूट बदलने पड़े। 
* 1 जून को दक्षिण-पूर्व रेलवे के ‘सुइसा’ रेलवे स्टेशन के निकट ‘लेंगडीह’ में ‘नीलांचल एक्सप्रैस’ के ऊपर ओवरहैड तार टूट कर गिर जाने से एक व्यक्ति की मौत तथा 2 अन्य लोग घायल हो गए तथा आवागमन अवरुद्ध हो जाने के कारण अनेक रेलगाडिय़ों को डायवर्ट करना पड़ा। 

* 1 जून को ही ओडिशा के संबलपुर डिवीजन में ‘कांटाबांजी’ रेलवे स्टेशन के निकट एक मालगाड़ी के 4 डिब्बे पटरी से उतर गए, जिससे दोनों ट्रैक पर रेलों का आवागमन काफी देर तक अवरुद्ध रहा।
* 2 जून को उत्तर प्रदेश में दिल्ली-हावड़ा रेल मार्ग पर कौशाम्बी-फतेहपुर सीमा पर ‘कटोघन’ तथा ‘फतेहपुर’ स्टेशनों के बीच एक मालगाड़ी के डिब्बे का पहिया बाहर निकल गया। सौभाग्यवश बड़ा हादसा तो टल गया परंतु काफी देर तक रेलों का आवागमन प्रभावित रहा। 
* 2 जून को ही पंजाब में साधुगढ़ और सरहिंद के बीच अम्बाला-लुधियाना ट्रैक पर न्यू सरङ्क्षहद रेलवे स्टेशन के नजदीक मालगाडिय़ों के लिए बने ‘डैडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर’ पर कोयले से लदी 2 मालगाडिय़ों में से एक का इंजन खुल कर दूसरी मालगाड़ी से जा टकराने के बाद आगे तक जाकर वहां खड़ी समर स्पैशल पैसेंजर ट्रेन के एक कोच से जा टकराया। 
इससे पैसेंजर ट्रेन के डिब्बों को काफी नुक्सान पहुंचा और यात्रियों में चीख पुकार मच गई। इस घटना में 2 लोको पायलट भी घायल हुए तथा ट्रैक को भी काफी नुक्सान पहुंचा और अम्बाला से लुधियाना तक रेल लाइन 20 घंटे के लिए पूरी तरह ठप्प हो गई। लगभग 79 ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ तथा 62 गाडिय़ों के रूट बदलने पड़े। 

* 3 जून को दक्षिण-पूर्व दिल्ली के सरिता विहार इलाके में ताज एक्सप्रैस की 3 बोगियों को आग लग गई जिनमें से 2 बोगियां पूरी तरह जल गईं। एक ओर रेलवे विभाग में ऐसी लापरवाहीपूर्ण घटनाएं हो रही हैं, तो दूसरी ओर चंद जागरूक लोग रेल दुर्घटनाएं रोकने में अपना योगदान दे रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण 1 जून को सामने आया। हावड़ा से काठगोदाम जा रही ‘बाघ एक्सप्रैस’ सुबह 10.02 बजे बिहार के समस्तीपुर स्टेशन से आगे की यात्रा पर रवाना हुई तो कुछ दूर आगे रेल की पटरी टूटी हुई थी। 

वहां से गुजर रहे मो. शहबाज नामक 14 वर्षीय बालक की नजर उस पर पड़ी तो उसने अपना गमछा लहराकर ट्रेन रुकवा दी। खतरा भांप कर लोको पायलट विद्या सागर ट्रेन रोक कर नीचे उतरा तो पटरी टूटी होने का पता चला और लगभग 1300 यात्रियों की जान खतरे में पडऩे से बच गई। ये तो केवल मात्र लगभग एक सप्ताह के भीतर सामने आने वाली घटनाएं हैं लेकिन इसी वर्ष इससे पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं  जिससे रेलवे की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है।

एक ओर विश्व के विकसित देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर भारतीय रेल मंत्रालय ‘वंदे भारत’ जैसी नई तेज रफ्तार रेलगाडिय़ां चला रहा है तो दूसरी ओर प्रश्र चिन्ह लगाती उक्त दुर्घटनाएं स्पष्ट प्रमाण हैं कि भारतीय रेलें किस कदर बड़ी दुर्घटनाओं के जोखिम पर हैं। ऐसी अप्रिय स्थिति पैदा न हो, इसके लिए भारतीय रेल की कार्यशैली और रख-रखाव में तुरंत बहुआयामी सुधार लाने तथा रेलगाडिय़ों के परिचालन जैसी महत्वपूर्ण ड्यूटी पर लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करने और दुर्घटनाएं बचाने में योगदान करने वालों को पुरस्कृत करके प्रोत्साहित करने की जरूरत है।—विजय कुमार 


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