पाकिस्तान में रहने वाले अफगान शरणार्थियों की विदाई का वास्तविक कारण

Monday, Nov 06, 2023 - 04:46 AM (IST)

पिछले महीने पाकिस्तान सरकार ने अपने देश के 10. 70 लाख के करीब आबादी वाले आप्रवासी अफगानों सहित सभी गैर दस्तावेजी विदेशियों को 1 नवम्बर तक देश से चले जाने के लिए कहा था और अब 3 नवम्बर को  सरकार ने उन अफगानों को देश से निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है जो देश छोड़ कर नहीं गए हैं। हालांकि अतीत में भी अफगानों को पाकिस्तान से जबरन स्वदेश वापसी का सामना करना पड़ा है परंतु इतने बड़े पैमाने पर नहीं। चरणबद्ध रूप से लागू की जाने वाली इस प्रक्रिया  के बारे में पाकिस्तान के शासकों का कहना है कि यह कदम पाकिस्तान की जनता के हित और इसकी सुरक्षा के लिए उठाया जा रहा है परंतु वास्तविकता कुछ और ही है। 

राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि शायद यह कदम पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार अपनी घरेलू राजनीति और तालिबान के नेतृत्व वाले अफगानिस्तान के शासकों के साथ संबंधों के बिगड़ जाने के कारण उठा रही है। पिछले साल से पाकिस्तान में भोजन, तेल, बिजली की भारी कमी है। कार्यवाहक सरकार जिसके पास कोई शक्तियां नहीं हैं, कुछ कर नहीं पा रही है। वास्तव में पाकिस्तान की सेना ही लोगों का ध्यान भटकाने के लिए यह सब कर रही है। तालिबान के अधीन अफगानिस्तान के शासक इतनी बड़ी संख्या में वापस वतन आने वालों को लेने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि पहले ही लगभग डेढ़ करोड़ अफगान नागरिक भुखमरी का शिकार हैं तथा उनकी कठिनाइयों को सूखे, बाढ़ तथा भूकंपों ने और भी बढ़ा दिया है। 

तालिबानी शासन की नीतियों के कारण अंतरराष्ट्रीय राहत समूहों द्वारा अफगानिस्तान को सहायता में भारी कटौती की गई। मजबूर होकर 2021 के बाद से अधिकांश अफगानियों के पास पाकिस्तान में शरण लेना ही एकमात्र अच्छा विकल्प प्रतीत हो रहा था। एक तथ्य यह भी है कि पाकिस्तान ने ही तो तालिबान को प्रशिक्षण और अन्य तमाम सुविधाएं दी थीं हालांकि अब ङ्क्षहसक गतिविधियों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टी.टी.पी.) द्वारा पख्तून और ब्लूचिस्तान बार्डर पर अनेक पुलिसकर्मियों और सैनिकों को मार दिया गया था। लड़कियों और महिलाओं को विशेष रूप में रुढि़वादी परम्पराओं में जकड़ा गया है। न वे पढ़ाई कर सकती हैं और महिलाओं के प्रति अमानवीय तथा भेदभावपूर्ण व्यवहार के कारण न ही वे घरों से बाहर निकल सकती हैं। 

पाक सेना का कहना है कि टी.टी.पी. इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पी.टी.आई.) के बेहद करीब है। यह दिखाने से विपक्ष के जीतने की संभावनाएं बढ़ती हैं परंतु अफगान पत्रकारों, गायकों, कलाकारों और महिला कार्यकत्र्ताओं को अफगानिस्तान वापस भेजने पर जनता में आक्रोष बढ़ सकता है और ऐसा घटनाक्रम आने वाले चुनाव में इमरान खान की मदद कर सकता है। निश्चित रूप से राजनीतिक दांव-पेच का खेल अभी भी जारी है।

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