अमरीकी शासन तंत्र में ‘सर्वाधिक झूठ बोलने वाले राष्ट्रपति ट्रम्प’

Wednesday, Jul 24, 2019 - 12:58 AM (IST)

अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने निजी जीवन और बयानों को लेकर हमेशा विवादों में रहे हैं। 20 जनवरी, 2017 को उनके राष्टï्रपति पद की शपथ लेने के बाद से उन पर गलत व भ्रामक बयानबाजी के आरोप भी लगातार लगते आ रहे हैं। ऐसे ही बयानों की नवीनतम शृंखला में ट्रम्प ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ व्हाइट हाऊस में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में  22 जुलाई को यह कहा कि‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुझसे कश्मीर मसले पर मध्यस्थता करने का ऑफर दिया था।’’ 

हालांकि व्हाइट हाऊस द्वारा जारी बयान में कश्मीर का उल्लेख तक नहीं है परन्तु इससे भारत में एक राजनीतिक तूफान तो खड़ा हो ही गया जिसका भारत को तत्काल खंडन करना पड़ा और विदेश मंत्रालय ने रात 12 बजे स्पष्टïीकरण दिया कि ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्रम्प को कभी भी मध्यस्थता के लिए नहीं कहा व भारत का स्टैंड सिर्फ द्विपक्षीय वार्ता का रहा है।’’ इससे पहले भी डोनाल्ड ट्रम्प तथ्यहीन और भ्रामक बयान देते रहे हैं। 

उदाहरण स्वरूप अमरीकी दैनिक ‘वाशिंगटन पोस्ट’ की ‘फैक्ट चैकर्स टीम’ ने इस वर्ष 1 मई को लिखा कि डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने कार्यकाल के 827 दिनों में 26 अप्रैल तक 10,796 झूठे या भ्रामक दावे किए हैं। अखबार के अनुसार ट्रम्प अपने ट्विटर हैंडल व रैलियों में 22 प्रतिशत झूठे दावे कर चुके हैं। उन्होंने टैक्स सिस्टम और ओबामा केयर पर झूठ फैलाने के अलावा जापान, चीन व यूरोपियन संघ के साथ व्यापार घाटे पर झूठ बोला। अमरीका द्वारा नाटो का शत-प्रतिशत खर्च देने व सऊदी अरब और अमरीका में 450 अरब डालर के सौदों बारे भी उनके बयान झूठे निकले। 

यही नहीं ट्रम्प ने गत 12 जुलाई को डैमोक्रेटिक पार्टी की 4 महिला सांसदों पर अमरीकियों को भड़काने का आरोप लगाते हुए उन्हें अपने देशों को वापस चले जाने तक की नस्लवादी सलाह दे डाली जिसके लिए उन्हें भारी आलोचना का सामना करना पड़ा और बाद में यह कहना पड़ा कि उन्होंने ऐसा तो नहीं कहा था। पाश्चात्य प्रेक्षकों के अनुसार डोनाल्ड ट्रम्प को अपनी उपलब्धियों का ढोल पीटने की आदत है और यह अकाट्य तथ्य है कि वह अमरीकी शासनतंत्र के इतिहास में सर्वाधिक झूठ बोलने वाले राष्ट्रपति बन गए हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के पहले 604 दिनों में औसतन प्रतिदिन 17 झूठ बोले जिनमें से कुछ काफी खतरनाक भी थे।—विजय कुमार

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