रमजान के (पवित्र) महीने में पाकिस्तान में भयानक आत्मघाती हमले

Saturday, May 11, 2019 - 12:22 AM (IST)

अस्तित्व में आने के समय से ही जहां पाकिस्तान के शासकों ने भारत के विरुद्ध प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष युद्ध छेड़ रखा है वहीं पाकिस्तान के ट्रेङ्क्षनग कैम्पों में ङ्क्षहसक गतिविधियों का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले और उसके पाले हुए आतंकवादी अब पाकिस्तान के काबू से भी बाहर होते जा रहे हैं और उन्होंने अपने ही देशवासियों पर हमले शुरू कर दिए हैं।

इसका नवीनतम उदाहरण 8 मई को मिला जब सुबह लगभग पौने 9 बजे पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर लाहौर में रमजान के (पवित्र) महीने में दक्षिण एशिया के सबसे बड़े सूफी धार्मिक स्थल ‘दाता दरबार’ के बाहर एक 15 वर्षीय आत्मघाती हमलावर द्वारा किए गए विस्फोट में 5 पुलिस कर्मियों सहित कम से कम 11 लोग मारे गए और 2 दर्जन से अधिक घायल हो गए।

आतंकवादी गिरोह ‘तहरीक-ए-तालिबान’ पाकिस्तान से अलग हुए धड़े ‘जमात-उल-एहराक’ ने इस हमले की जिम्मेदारी भी ले ली है। ग्यारहवीं सदी में निर्मित ‘दाता दरबार’ को 2010 में भी एक आत्मघाती हमले में निशाना बनाया गया था जिसमें 40 लोग मारे गए थे। उधर अशांत ब्लूचिस्तान प्रांत के कोयला खदान इलाके में संदिग्ध आतंकवादियों के हमले में 2 पाकिस्तानी सैनिकों समेत 5 लोग मारे गए।

जहां उक्त हमलों से यह साफ हो गया है कि आतंकवादियों का कोई दीन-धर्म नहीं होता और वे पवित्र रमजान के इस महीने में भी ङ्क्षहसा से दूर रहने को तैयार नहीं हैं वहीं इससे पाकिस्तानी सेना के डायरैक्टर जनरल आई.एस.पी.आर. (इंटर सॢवसिज पब्लिक रिलेशंस) आसिफ गफूर का 29 अप्रैल को किया यह दावा भी झूठा सिद्ध हो गया है कि ‘पाकिस्तान में कोई आतंकवादी गिरोह नहीं है।’

लिहाजा इस प्रकार के झूठे दावों से खुद को बहलाने की बजाय पाकिस्तान सरकार को वास्तविकता समझ कर अपने यहां पल रहे आतंकवादियों पर फौलादी प्रहार करके इस बुराई का खात्मा करना चाहिए। —विजय कुमार 

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