किसान सड़कों पर सरकार इनकी समस्याएं शीघ्र सुलझाए

punjabkesari.in Wednesday, Feb 14, 2024 - 05:53 AM (IST)

वर्ष 2020-21 में चले लम्बे किसान आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने संसद द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के साथ-साथ एम.एस.पी. की गारंटी देने तथा अन्य मांगें स्वीकार करने का वायदा किया था लेकिन किसानों का कहना है कि सरकार ने अपना वायदा पूरा नहीं किया। किसानों का कहना है कि वर्तमान एम.एस.पी. फार्मूले से किसानों को उनकी फसलों का जो मूल्य दिया जा रहा है उससे उनकी लागत भी नहीं निकलती जबकि स्वामीनाथन आयोग ने फसल की लागत की डेढ़ गुणा कीमत (एम.एस.पी.) देने की सिफारिश की थी। 

केंद्र सरकार की ओर से ‘कृषि और किसान कल्याण मंत्री’ अर्जुन मुंडा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय पर आधारित कमेटी ने 8 फरवरी को किसानों के साथ पहले दौर की बातचीत की थी। इसमें कोई परिणाम नहीं निकलने के बाद 12 फरवरी को किसान नेताओं जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवण सिंह पंधेर की केंद्रीय मंत्रियों के साथ 5 घंटे से अधिक समय तक चली दूसरे दौर की बातचीत भी बेनतीजा ही रही। बैठक में केंद्र सरकार ने 2020-21 के आंदोलन के दौरान किसानों के विरुद्ध दर्ज मामले वापस लेने पर सहमति जताई परन्तु किसान नेता फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के कानून की मांग पर अड़े रहे। 

बैठक के बाद किसान नेताओं सरवण सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि वार्ता 8 फरवरी से आगे नहीं बढ़ी है, अत: अब हम अपने साथियों से बात करके सुबह 10 बजे दिल्ली की ओर आगे बढ़ेंगे। सरकार के पास 13 फरवरी सुबह 10 बजे तक का समय है। सरकार सोच ले। सरकार की ओर से कोई जवाब न मिलने पर 13 फरवरी को पंजाब और हरियाणा से 26 किसान संगठनों के किसानों ने हजारों ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ दिल्ली के लिए कूच करना शुरू कर दिया। इस दौरान दिल्ली में सिंघु, गाजीपुर और टिकरी बार्डर पर किसानों को रोकने के लिए कंक्रीट के बैरीकेड, कंटेनर और कंटीले तार लगा दिए गए तथा हरियाणा और राजस्थान के अनेक जिलों में इंटरनैट सेवा बंद कर दी गई। 

शंभू बार्डर तथा अन्य जगहों पर पुलिस और किसानों में भारी बवाल हुआ तथा किसानों ने बैरीकेडिंग की पहली लेयर तोड़ दी। कई जगह पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के गोले और पानी की बौछार छोड़ी। किसानों और पुलिस में पथराव भी हुआ व झड़पों में 100 किसान एवं 19 जवान घायल हो गए। दिल्ली के कई मैट्रो स्टेशनों के अलावा लाल किले को भी आम आदमियों के लिए बंद कर दिया गया। दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को किसी भी स्थिति में दिल्ली में दाखिल न होने देने की ठान ली है तथा दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की सीमाएं सील कर दी गई हैं। किसान नेता नरेश टिकैत ने कहा कि ‘‘किसानों के साथ कोई अन्याय हुआ है तो हम उनके साथ हैं। सरकार को यह मामला शांतिपूर्वक सुलझाना चाहिए’’, जबकि  राकेश टिकैत ने कहा कि ‘‘सरकार गलत तरीके से किसानों को रोकने का प्रयास कर रही है। उनसे बातचीत होनी चाहिए।’’ 

मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार पर किसानों की आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘‘कंटीले तार...ड्रोन से आंसू गैस...कीलें और बंदूकें सबका है इंतजाम, तानाशाह मोदी सरकार ने किसान की आवाज पर लगानी है लगाम।’’ राहुल गांधी ने आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा है कि ‘‘कांग्रेस ने हर किसान को फसल पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार एम.एस.पी. की गारंटी देने का फैसला किया है।’’ 13 फरवरी शाम को अपने कूच को विराम देने के बाद अब किसानों ने 14 फरवरी को दिल्ली की ओर बढ़ने की घोषणा कर दी है। 

किसान को अन्नदाता कहा गया है। देश के अन्नदाता का खेतों की बजाय सड़कों पर रहना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं। इसके परिणामस्वरूप किसानों के दिल्ली कूच तथा 16 फरवरी के ग्रामीण बंद के फलस्वरूप दिल्ली तथा आसपास के इलाकों में दूध और सब्जियों आदि का आना भी बंद हो जाएगा। किसानों के आंदोलन से जहां देश की किसानी प्रभावित हो रही है, वहीं इस कारण रास्ते जाम होने से जन साधारण को भी भारी परेशानी हो रही है। हालांकि कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि एम.एस.पी. जल्दबाजी में नहीं लाया जा सकता परंतु सरकार को इस बारे सही रवैया अपना कर किसानों में व्याप्त असंतोष को शीघ्र समाप्त करना चाहिए।—विजय कुमार


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