चुनाव प्रक्रिया बेहतर बनाने के लिए निम्न सुझावों को लागू किया जाए

Friday, Jul 02, 2021 - 06:00 AM (IST)

अगले वर्ष देश के पांच राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में होने वाले चुनावों के दृष्टिगत राजनीतिक दलों ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। इस सिलसिले में जहां दलबदली और घर वापसी का खेल जारी है, वहीं विभिन्न दलों ने आत्ममंथन भी शुरू कर दिया है। इस बीच हमारे कुछ जागरूक पाठकों ने हमें देश की चुनाव प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए चंद सुझाव भेजे हैं जो हम यहां उद्धृत कर रहे हैं : 

* हर पात्र व्यक्ति का मतदाता के रूप में पंजीकरण अनिवार्य किया जाए।
* किसी भी पार्टी द्वारा किए गए चुनावी वादे उसके सत्ता में आने के एक वर्ष के भीतर अनिवार्य रूप से शुरू करने का कानून बनाया जाए।
* किसी दल की टिकट पर चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों को किसी भी हालत में पाला बदल कर दूसरे दल में जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
* चुनाव अभियान के दौरान सरकारी या निजी प्रापर्टी पर नारे लिख कर या पोस्टर चिपका कर गंदा करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।
* चुनाव लडऩे की अधिकतम आयु सीमा निश्चित की जाए। 

* किसी भी उ मीदवार को केवल उसी क्षेत्र से चुनाव लडऩे की इजाजत हो, जहां वह वास्तव में रहता या रहती हो ताकि उस क्षेत्र के मतदाताओं को उससे मिलने में परेशानी न हो।
* चुने गए उ मीदवार के लिए संसद या विधानसभा के अधिवेशनों में शामिल होना अनिवार्य हो। उपस्थिति का एक निश्चित प्रतिशत तय किया जाए। अक्सर जन प्रतिनिधियों के सदन से अनुपस्थित रहने के कारण उनके निर्वाचन क्षेत्र के मुद्दे सदन में उठाए जाने से रह ही जाते हैं।
* चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए उन्हें आबंटित सारे फंडों का इस्तेमाल निष्पक्ष, बिना भेदभाव तथा पारदर्शी तरीके से करना अनिवार्य हो।
* मतदान कम से कम चरणों व समय में करवाया जाए तथा मतदान की तिथि और मतगणना के बीच समय का अंतराल न्यूनतम हो। 

* प्रत्येक राजनीतिक दल को अपनी पार्टी के कार्यक्रम बारे बताने के लिए भाषाई चैनलों पर चुनाव लड़ रहे उ मीदवारों को सीधी बहस में भाग लेने की सुविधा दी जाए।  
* जब भी चुनाव निकट आते हैं पाॢटयां मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रलोभनों का पिटारा खोल देती हैं। सरकारें विभिन्न रियायतों और सुविधाओं की घोषणा के अलावा राजनीतिक पाॢटयां मतदाताओं को लुभाने के लिए टैलीविजन, साडिय़ां, लैपटॉप, मंगलसूत्र, चावल, आटा, शराब, नकद राशि और यहां तक कि सैनेटरी नैपकिन भी देती हैं। इस पर सख्ती से रोक लगाई जाए और ऐसा करने वालों को कठोर दंड दिया जाए। 

चुनाव सुधार के इन तमाम सुझावों के अलावा चुनाव आयोग स्वयं भी इस दिशा में काम कर रहा है और मु य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्र ने कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद से इस काम में तेजी लाने की मांग की है। चुनाव आयोग नेे 18  वर्ष आयु के नए मतदाताओं की रजिस्ट्रेशन वर्ष में दो बार जनवरी और जुलाई में करवाने का सुझाव दिया है जो फिलहाल प्रति वर्ष जनवरी में होती है और इसके बाद 18 वर्ष की आयु पार करने वाले मतदाताओं को रजिस्ट्रेशन के लिए एक वर्ष का इंतजार करना पड़ता है। आयोग ने हलफनामे में गलत सूचना देने वालों को दी जाने वाली सजा की अवधि बढ़ा कर दो वर्ष करने का प्रस्ताव भी दिया है। ऐसा होने पर उ मीदवार को अगले 6 वर्ष तक चुनाव लडऩे से भी रोका जा सकता है जबकि मौजूदा व्यवस्था में ऐसा होना संभव नहीं है। 

चुनाव आयोग ने सारे मतदाताओं का डाटा आधार कार्ड के साथ ङ्क्षलक करने का भी प्रस्ताव दिया है। इस से पारदॢशता बढ़ेगी और जाली मतदान पर रोक लगेगी। अब जबकि संसद का मानसून अधिवेशन 19 जुलाई से संभावित है, केंद्र सरकार को उक्त सुझावों पर विचार करके यथासंभव और यथाशीघ्र इन्हें अमलीजामा पहनाने बारे फैसला करना चाहिए ताकि इस बार के चुनाव पिछले चुनावों से कुछ बेहतर ढंग से हो सकें।—विजय कुमार

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