माफियाओं की गिरफ्त में देश थम नहीं रहा अवैध गतिविधियों का सिलसिला

punjabkesari.in Friday, Aug 05, 2022 - 03:33 AM (IST)

आज देश में जहां एक ओर भ्रष्टाचार तथा महंगाई ने लोगों का जीना दूभर कर रखा है, वहीं दूसरी ओर समाज विरोधी तत्वों  से जुड़े विभिन्न माफियाओं द्वारा देश में हिंसा तथा रक्तपात लगातार जारी है। इन माफियाओं के हौसले इतने बढ़ चुके हैं कि वे अपने मार्ग में बाधा बनने वाले किसी भी व्यक्ति की हत्या करने और अन्य तरीकों से उसे क्षति पहुंचाने से जरा भी संकोच नहीं करते। यहां विभिन्न माफियाओं द्वारा मात्र 15 दिनों में मचाए उत्पात के उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

* 19 जुलाई को नूह (हरियाणा) के पचगांव से सटी अरावली पहाड़ी पर अवैध खनन रोकने गए तावड़ू के डी.एस.पी. सुरेंद्र सिंह बिश्नोई पर खनन माफिया के सदस्यों ने डम्पर चढ़ा दिया जिसके परिणामस्वरूप उनकी घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई।  
* 20 जुलाई को रांची (झारखंड) के ‘तुपुदाना ओपी’ क्षेत्र के ‘हुलहुंदु’ गांव में गौवंश से लदा वाहन रोकने की कोशिश करने पर गौ तस्करों ने ‘संध्या टोपनो’ नामक महिला दारोगा को कुचल कर मार डाला। 

* 20 जुलाई को ही ‘आणंद’ (गुजरात) में एक पुलिस कांस्टेबल कर्ण सिंह द्वारा एक कंटेनर को रुकने का संकेत करने पर चालक ने उस पर ट्रक चढ़ा दिया जिससे घटनास्थल पर ही उसकी मृत्यु भी हो गई। 
* 23 जुलाई को भरतपुर (राजस्थान) के ‘वैर’ क्षेत्र के ‘धरसौनी’ गांव में अवैध शराब की बिक्री का विरोध करने पर शराब माफिया ने राजेंद्र बाबा नामक एक साधु पर लाठियों और लोहे के सरियों से हमला करके उनके हाथ-पैर तोड़ डाले। 
* 23 जुलाई को ही बेतिया (बिहार) के ‘नवलपुर रमन्ना’ गांव में अवैध शराब के धंधेबाजों के विरुद्ध छापेमारी करने गई पुलिस की टीम पर माफिया के सदस्यों ने हमला करके ए.एस.आई. रमेश पासवान व एक अन्य जवान को गंभीर रूप से घायल कर दिया और फरार हो गए। 

* 1 अगस्त को झालावाड़ (मध्य प्रदेश) के चेचट थाना क्षेत्र के ‘हथोना’ गांव में अवैध बजरी से भरा ट्रैक्टर रोकने पर खनन माफिया के सदस्यों ने एक पुलिस कांस्टेबल राम चंद्र पर हमला करके उसके हाथ-पैर तोड़ दिए। 
* 1 अगस्त को ही यमुनानगर (हरियाणा) के ‘कंसाली’ गांव की ओर से  तस्करों द्वारा लाया जा रहा खैर लकड़ी से लदा ट्रक रोकने की कोशिश कर रहे वन विभाग की टीम के सदस्यों पर ट्रक चढ़ाकर चालक ने उन्हें कुचलने की कोशिश की जिसमें वे बाल-बाल बचे।
अधिकारियों ने पीछा करके 5 लाख रुपए मूल्य की लकड़ी से लदा ट्रक तो जब्त कर लिया परंतु चालक भागने में सफल हो गया।
* 3 अगस्त को ‘गोरेला पेंडरा मरवाही’ (छत्तीसगढ़) में देर रात अवैध रेत खनन पर कार्रवाई करने पहुंची वन विभाग की टीम पर रेत माफिया ने हमला कर दिया और अधिकारियों द्वारा जब्त करके नजदीकी रैस्ट हाऊस में खड़ा किया हुआ रेत से लदा ट्रैक्टर भी बलपूर्वक छीन कर ले गए। 

* और अब 4 अगस्त को सवाई माधोपुर (राजस्थान) में एक पुलिस कर्मी द्वारा अवैध बजरी से भरी एक ट्राली को रोकने का प्रयास करने पर ट्रैक्टर ट्राली चालक ने उसकी मोटरसाइकिल पर ट्रैक्टर ट्राली चढ़ा दी जिस पर पुलिस कर्मी ने बड़ी मुश्किल से कूद कर अपनी जान बचाई परंतु उसकी मोटरसाइकिल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। 

उक्त घटनाओं से स्पष्ट है कि आज विभिन्न समाज विरोधी माफियाओं  की गतिविधियां किस कदर बढ़ चुकी हैं और आम आदमी ही नहीं बल्कि प्रशासन भी माफिया के हाथों बंधुआ बन कर रह गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि लगभग प्रत्येक राज्य में सक्रिय माफिया को किसी न किसी रूप में राजनीतिक और पुलिस संरक्षण प्राप्त है जिनके सामने कानून बेबस होकर रह गया है। 

इसका संकेत इसी वर्ष 29 अप्रैल को भंडारा ( महाराष्ट्र) में एक वायरल वीडियो से भी मिला जब वहां के कुछ पुलिस कर्मचारी रेत माफिया के सदस्यों के साथ पार्टी करते पकड़े गए थे जिन्हें बाद में निलंबित कर दिया गया। इसी तरह की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए 6 जुलाई, 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कहा कि, ‘‘राजनेताओं, अपराधियों और नौकरशाहों के बीच का अपवित्र गठबंधन मिटा देना चाहिए।’’ लिहाजा इस संबंध में माफिया के विरुद्ध कड़ा अभियान छेडऩे के साथ-साथ उन्हें शरण देने वाले राजनीतिज्ञों और पुलिस कर्मचारियों, अधिकारियों आदि का पता लगा कर उनके विरुद्घ कड़ी कार्रवाई किए बगैर इस समस्या का हल संभव नहीं।—विजय कुमार 


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