ऊपर से नीचे तक रिश्वत का जोर केवल भ्रष्टाचारियों के ही अच्छे दिन

Monday, Oct 02, 2017 - 11:44 PM (IST)

अच्छे दिनों के इंतजार में बैठे लोग आज भी देश में सरकारी अधिकारियों के अनैतिक आचरण, भ्रष्ट तरीकों से अवैध सम्पत्ति बनाने और रिश्वतखोरी से तंग हैं। बड़ी संख्या में उच्चाधिकारियों व सामान्य कर्मचारियों द्वारा रिश्वतखोरी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। निम्न में पेश हैं ऐसे चंद ताजा उदाहरण-

23 सितम्बर को सी.बी.आई. ने मुंबई में 3 करोड़ रुपए रिश्वत के एक मामले में आयकर विभाग के उपायुक्त जयपाल स्वामी को गिरफ्तार किया। बाद में उसके कार्यालय के बाथरूम से 1.6 लाख रुपए नकद के अलावा अज्ञात लोगों के नाम जारी मल्टीपल ए.टी.एम. एवं डैबिट कार्ड भी कब्जे में लिए गए। चर्च गेट स्थित आयकर मुख्यालय में तैनात स्वामी की यह पहली पोसिं्टग थी। 23 सितम्बर को होशंगाबाद में लोकायुक्त की टीम ने अल्प बचत महिला अधिकारी रत्नावली वंशवती को 2000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। 24 सितम्बर को श्रीगंगानगर स्थित भ्रष्टïाचार निरोधक ब्यूरो के स्टाफ ने राजस्थान रोडवेज डिपो के टायर सैक्शन के इंचार्ज गुरपाल सिंह को 1300 रुपए रिश्वत लेते हुए काबू किया।

25 सितम्बर को एंटी करप्शन ब्यूरो ने विजयवाड़ा में टाऊन प्लाङ्क्षनग विभाग के निदेशक ‘गोला वैंकटा’ के विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी करके 100 करोड़ रुपए की संपत्ति का पता लगाया। उसकी रिटायरमैंट में मात्र 3 दिन शेष थे। 25 सितम्बर को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो जयपुर की टीम ने लगभग 40 किलोमीटर कार से पीछा करके रींगस में हाईकोर्ट के एक जज के गनमैन से 1.10 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए आर.पी.एस. प्रोबेशनर महावीर प्रसाद चोटिया को रंगे हाथ पकड़ लिया। 27 सितम्बर को राजस्थान के बांसवाड़ा में जिले की ‘सरेड़ी बड़ी’ पंचायत  के सरपंच देवी लाल बामनिया को 40,000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। सरपंच ने यह राशि सड़कों के बिल पास करने की एवज में  एक ठेकेदार से मांगी थी। 

27 सितम्बर को बठिंडा की अदालत ने हैडकांस्टेबल होशियार सिंह को एक व्यक्ति से 8000 रुपए रिश्वत लेने के पुराने केस में 10,000 रुपए जुर्माना और 4 वर्ष कैद की सजा सुनाई। 27 सितम्बर को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने झारखंड के रांची में एक रेलवे इंजीनियर विजार कुमार यादव को एक ठेकेदार से उसका बिल पास करने की एवज में 3.44 लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया। 27 सितम्बर को ही एंटी करप्शन ब्यूरो भिलाई ने जिला आयुर्वैदिक कार्यालय में तैनात क्लर्क अरुण शाह व चपड़ासी दिलीप यादव को एक दिव्यांग कर्मचारी को रैगुलर करने के बदले 2000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। 

28 सितम्बर को उज्जैन में सहकारी वित्त विकास निगम कार्यालय में ऋण लेनेे आए मजदूर कनीराम से लेखपाल अजीत फाल्के ने 2 हजार रुपए रिश्वत मांगी। उससे 500 रुपए नकद ले लिए और कहा 1500 रुपए का इंतजाम और हो जाए तो आ जाना, तेरे लोन की फाइल हाथों-हाथ बैंक भिजवा दूंगा। मजदूर जैसे ही कार्यालय के बाहर निकला, दीवार पर लगे एक पोस्टर में लिखा था-‘कोई भी सरकारी कर्मचारी-अधिकारी काम के बदले रिश्वत मांगे तो हमें सूचना दें।’ मजदूर ने पोस्टर के नीचे लिखा पता पढ़ा और पैदल कोठी स्थित लोकायुक्त कार्यालय पहुंच कर एस.पी. गीतेश गर्ग को घटना की जानकारी दी। 

इसके बाद लोकायुक्त ने मजदूर को 1500 रुपए देकर लेखपाल के पास भेजा, मजदूर ने रुपए दिए और कोडवर्ड दोहराया। इशारा मिलते ही लेखपाल को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया। नरेन्द्र मोदी नीत भाजपा सरकार को सत्ता में आए 3 वर्ष से अधिक हो जाने के बावजू्द स्थिति वैसी ही है जैसी पहले थी। लगता है कि भ्रष्टïाचारियों तथा रिश्वतखोरों को किसी का कोई डर-भय नहीं रहा और वे पहले की भांति ही अपनी करतूतें जारी रखे हुए हैं। यह विडम्बना ही है कि स्वतंत्रता के 70 साल बाद भी देश भ्रष्टïाचार की लानत से मुक्त नहीं हुआ है। लिहाजा सरकार को भ्रष्टाचार निवारण के लिए तत्काल प्रभावशाली तथा कठोर पग उठाने की आवश्यकता है ताकि देश को इस लानत से मुक्ति मिले और नरेंद्र मोदी द्वारा देशवासियों से किया हुआ भ्रष्टाचार मुक्त शासन का वादा पूरा हो सके।—विजय कुमार

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