खुला पत्र लिखने वालों पर बेतुकी एफ.आई.आर.

Monday, Oct 07, 2019 - 12:18 AM (IST)

मुजफ्फरपुर के 50 वर्षीय वकील सुधीर कुमार ओझा 1996 में वकालत शुरू करने से अब तक 745 जनहित याचिकाएं दायर कर चुके हैं। स्वयं उनके अनुसार इनमें से 130 याचिकाएं अदालतों द्वारा खारिज हुई हैं। उनकी याचिकाओं में से अधिकतर अमिताभ बच्चन, ऋतिक रोशन, अभिषेक बच्चन जैसी सैलीब्रिटीज के खिलाफ रही हैं। जहां तक सारे देश का ध्यान आकर्षित करने की बात है तो अबकी बार उनकी ‘लॉटरी’ लग गई है। मुजफ्फरपुर चीफ ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट ने उनकी एक याचिका पर 30 अगस्त को इतिहासकार रामचंद्र गुहा, फिल्मकार मणिरत्नम तथा अपर्णा सेन जैसी 49 शख्सियतों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने के निर्देश दिए। 

इन शख्सियतों ने भीड़ द्वारा मुस्लिमों तथा दलितों की हो रही हत्या (मॉब लिंचिंग) के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी के नाम एक खुला पत्र लिख कर इन घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्हें रोकने के लिए कठोर पग उठाने का आह्वान किया था। सबसे पहले तो इस एफ.आई.आर. की कोई तुक ही नहीं है क्योंकि बोलना, लिखना तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मूलभूत अधिकार है। भला कैसे व्यक्त की गई चिंता या शिकायत को धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने, देशद्रोह तथा शांति भंग करने की आई.पी.सी. धाराओं के तहत अपराध और उन्हें लिखने वालों को अपराधी माना जा सकता है? 

वास्तव में इस प्रकार की याचिका को स्वीकार करना ही निचली अदालत की भूमिका पर सवालिया निशान लगा देता है। अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के सामने भारत के विविधतापूर्ण लोकतंत्र तथा बहुलता का बखान किया तो भला उसी लोकतंत्र के अधिकारों का उपयोग किस तरह देश की छवि को नुक्सान पहुंचाना हो सकता है। 

विविध मत केवल भारतीय संस्कृति की आत्मा ही नहीं, हमारे संविधान की नींव भी हैं। जहां तक देश की छवि को क्षति पहुंचाने की बात है तो ‘मॉब लिंचिंग’ तथा अपराध करने वाले ही इसके लिए जिम्मेदार हैं। परंतु निचली अदालत महज एक पहला कदम है, न्याय की बहुत सी सीढिय़ां चढऩा अभी बाकी है। इससे व्यवस्थित ढंग से कार्य करने वाली भारतीय न्यायपालिका पर विश्वास बरकरार रहता है। भारतीय लोकतंत्र से निराश होने का कोई कारण नहीं है। प्रचार के भूखे लोग कानूनी मापदंडों को क्षीण करने का प्रयास कर सकते हैं परंतु हर चीज को मजाक बना कर भारत दुनिया में सम्मान प्राप्त नहीं कर सकता और न ही मासूम लोगों की हत्या से ही कोई सम्मान मिलने वाला है।

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