आसान निशाना तलाश रहे आतंकवादी?

punjabkesari.in Monday, Sep 24, 2018 - 01:49 AM (IST)

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की रणनीति में बदलाव और उनके व्यवहार में हताशा स्पष्टï नजर आ रही है जिसके अंतर्गत वे स्थानीय पुलिस वालों और उनके घरवालों को निशाना बना रहे हैं। उनके अपहरण तथा हत्याएं इस बात की ओर संकेत हैं कि जम्मू-कश्मीर में सेना, पुलिस तथा अन्य सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए ‘ऑप्रेशन ऑल आऊट’ से आतंकियों की ताकत बहुत कम हुई है। बड़े हमले करने का सामथ्र्य नहीं रहने के चलते ही वे अब आसान निशाने तलाश रहे हैं और पुलिस वाले तथा उनके घरवालों को नुक्सान पहुंचाने लगे हैं। वे विशेषकर छुट्टïी पर घर आए हुए पुलिस कर्मियों तथा एस.पी.ओज को निशाना बना रहे हैं। इस साल अब तक घाटी में शहीद किए गए पुलिसकर्मियों  तथा एस.पी.ओज की संख्या 36 हो चुकी है जिनमें से 8 की हत्या शोपियां जिले में हुई है।

ड्यूटी से छुट्टी पर घर आए हुए एस पी ओ को बना रहे निशाना
शुक्रवार को शोपियां में ही 3 स्पैशल पुलिस अफसरों (एस.पी.ओ.) निसार अहमद, फिरदौस अहमद तथा कुलवंत सिंह के अपहरण और हत्या ने इन 35,000 एस.पी.ओज की ओर भी सबका ध्यान केन्द्रित किया है जो जम्मू-कश्मीर पुलिस का हिस्सा न होते हुए भी आतंक विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। पुलिस की सहायता के लिए भर्ती किए जाने वाले एस.पी.ओ अपने घरों में छुट्टी पर आए हुए तथा ड्यूटी पर मौजूद आतंकियों के निशाने पर आ चुके हैं। एस.पी.ओ स्थानीय निवासी हैं जो सरकार के साथ मिल कर काम कर रहे हैं, ऐसे में वे आतंकियों के निशाने पर हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस में 90,000 कर्मी हैं जबकि 35,000 एस.पी.ओज़ पुलिस की अतिरिक्त ताकत के रूप में फील्ड में काम करते हैं। बदले में उन्हें 6,000 रुपए मासिक मानदेय तथा एक वर्दी मिलती है। उन्हें कोई हथियार नहीं दिया जाता।

उन्हें भर्ती करने का मुख्य उद्देश्य खुफिया सूचनाएं जुटाना है परंतु उन्हें आतंक विरोधी कार्रवाइयों में भी शामिल किया जाता रहा है। चूंकि उनका प्रमोशन आतंक विरोधी अभियान में हिस्सा लेने के बाद उनके एस.पी. या एस.एस.पी. की सिफारिश पर निर्भर करता है, ऐसे में आतंकवाद विरोधी अभियान उनके प्रमोशन के लिए महत्वपूर्ण साबित होते हैं। हालांकि, कोई एस.पी.ओ. आतंकियों से लोहा लेने वाली टीम का हिस्सा भर ही रहा हो तो भी सिफारिश में उनकी भूमिका को ‘अनुकरणीय योगदान’ के रूप में दर्ज किया जाता है। इस वजह से भी वे आतंकियों के निशाने पर हैं और जब से पुलिस तथा सुरक्षा बलों ने दक्षिण कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ‘ऑपरेशन ऑल आऊट’ तेज किया है एस.पी.ओज़ को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है। घाटी में अशांति तथा भय का माहौल फैलाने के लिए भी आतंकी पुलिसकर्मियों तथा उनके घरवालों को धमका रहे हैं। हाल ही में एक वीडियो में आतंकियों ने पुलिसवालों को धमकी देते हुए इस्तीफे देने को कहा था। हिजबुल मुजाहिद्दीन का कमांडर रियाज नाइकू तो लगातार वीडियो जारी करके खुलेआम धमकियां दे रहा है और दूसरा बुरहान वानी बनता जा रहा है।

वीडियो के जरिए पुलिसकर्मियों को कर रहे टार्गेट
30 अगस्त रात को भी जम्मू-कश्मीर के विभिन्न स्थानों से आतंकियों ने पुलिसकर्मियों के 8 संबंधियों का अपहरण कर लिया था। आतंकवादियों ने उन्हें शोपियां, कुलगाम, अनंतनाग, अवंतिपुरा और त्राल से अगवा किया था। रियाज नाइकू ने 12 मिनट के एक वीडियो में इसकी जिम्मेदारी लेते हुए आतंकियों के सभी संबंधियों को पुलिस हिरासत से छोडऩे के लिए 3 तीन दिन का अल्टीमेटम दिया था। ये अपहरण एन.आई.ए. द्वारा सी.आर.पी.एफ. तथा स्थानीय पुलिस की मदद से आतंकी गुट हिजबुल मुजाहिद्दीन के लीडर वांछित आतंकवादी सैयद सलाहुद्दीन के दूसरे बेटे को गिरफ्तार करने के बाद हुए थे जिस पर गुप्त रूप से धन प्राप्त करने के आरोप हैं। इसी दिन रियाज नाइकू के पिता असदुल्ला नाइकू  को भी पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया गया था जिसे अगले दिन पुलिस ने रिहा कर दिया था और आतंकियों ने भी 31 अगस्त को पुलिसवालों के अपहृत सभी संबंधियों को छोड़ दिया था।

आतंकियों की धमकियों के बाद कथित रूप से कई पुलिसवालों के इस्तीफे देने की खबरें आई थीं परंतु पुलिस ने इन्हें अफवाह करार दिया है। सच्चाई जो भी हो पुलिसवालों, उनके घरवालों तथा विशेष रूप से एस.पी.ओज को निशाना बनाने तथा धमकाने की आतंकियों की नई चाल को असफल करने के लिए जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। इसके लिए प्रदेश में कार्यरत पुलिस कर्मियों और एस.पी.ओज़ के परिवारों के लिए विशेष कालोनियां, उनके बच्चों के लिए विशेष स्कूल बनाने की आवश्यकता है ताकि वे सुरक्षित रह सकें।  -विजय कुमार


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Yaspal

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