आतंकवाद के विरुद्ध ‘महबूबा मुफ्ती’ का सकारात्मक स्टैंड

Tuesday, Jun 28, 2016 - 01:43 AM (IST)

23 दिसम्बर, 2014 को चुनाव नतीजे घोषित होने के सवा 2 महीने बाद जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पी.डी.पी. ने बहुत सोच-विचार करने के पश्चात आपस में गठबंधन किया और मुफ्ती मोहम्मद सईद ने 1 मार्च, 2015 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। 
 
7 जनवरी, 2016 को उनकी मृत्यु हो गई व 3 महीने काफी चिंतन-मनन करके उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती ने 4 अप्रैल को भाजपा के ही सहयोग से फिर सरकार बनाई और 31 मई को प्रदेश विधान परिषद में कहा : 
 
‘‘शुक्रवार का दिन एक पवित्र दिन हुआ करता था। जो लोग मुझे मुस्लिम विरोधी और कश्मीर विरोधी बताते हैं, उन्होंने यह दिन पत्थरबाजी और शांति भंग करने के दिन में बदल दिया है। हमारा इस्लाम वह नहीं है जो वे (अलगाववादी) हमें जुम्मे के दिन (प्रदर्शन और पत्थरबाजी) करने के लिए कहते हैं। इस्लाम हत्या और धार्मिक नारे लगाने का उपदेश नहीं देता।’’और अब दक्षिण कश्मीर में फिदायीन हमले में शहीद हुए 8 जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए महबूबा ने 26 जून को फिर कहा कि  :
 
‘‘ऐसी घटनाएं सिर्फ कश्मीर तथा इस्लाम को बदनाम कर रही हैं। यह उस धर्म को भी आघात पहुंचाती हैं जिसके नाम पर यह सब किया जा रहा है। अत: हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम किसी अन्य को चोट न पहुंचाएं।’’
 
‘‘रमजान का पवित्र महीना चल रहा है। इस दौरान लोग अतीत के अपने पापों के लिए क्षमा मांगते हैं और प्रायश्चित करते हैं। ऐसे समय में अपने परिवारों के लिए रोजी-रोटी कमाने वालों को छीन लेना घोर निंदनीय है। इन कृत्यों से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है।’’
 
‘‘भारत बुनियादी ढांचे के विकास और स्वास्थ्य संबंधी देखभाल के मामले में काफी निवेश आकर्षित कर रहा है परंतु जब बात जम्मू-कश्मीर की आती है तो ऐसी घटनाओं को देख कर निवेशक पीछे हट जाते हैं।’’
 
‘‘राज्य से संभावित निवेशकों व पर्यटकों को दूर रखा जा रहा है। बड़ी मुश्किल से पर्यटकों ने एक बार फिर कश्मीर आना शुरू किया था परंतु ऐसी घटनाओं के कारण ही अनेक देश अपने लोगों को जम्मू-कश्मीर की यात्रा न करने के लिए एडवाइजरी जारी कर रहे हैं।’’
 
‘‘आतंकवादी कश्मीर के पर्यटन एवं औद्योगिक विकास को नुक्सान पहुंचा रहे हैं। इस तरह के हमलों से जम्मू-कश्मीर को शेष भारत में विकास के अपने हिस्से से भी वंचित रखा जा रहा है और इससे सर्वाधिक हानि जम्मू-कश्मीर के लोगों की ही हो रही है।’’ महबूबा की सकारात्मक सोच के कारण ही अलगाववादियों द्वारा अनंतनाग चुनाव के बहिष्कार की काल के बावजूद लोगों ने मतदान में भाग लिया और महबूबा को भारी सफलता दिलाई। 
 
महबूबा के विचारों से बिल्कुल मेल खाते विचार ही पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री ‘हिना रब्बानी खार’ ने भी व्यक्त करते हुए कहा है कि,‘‘पाकिस्तान कश्मीर को युद्ध द्वारा भारत से नहीं ले सकता और यह समस्या केवल आपसी भरोसा कायम करके ही सुलझाई जा सकती है।’’  हिना का यह बयान एक तरह से कश्मीर घाटी में सक्रिय अलगाववादियों के लिए भी एक संदेश है।
 
बेशक नैशनल कांफ्रैंस के प्रवक्ता ने महबूबा की विचारधारा में सकारात्मक बदलाव पर नकारात्मक टिप्पणी की है परंतु कश्मीर के हितचिन्तक और पुन: कश्मीर को धरती के स्वर्ग के रूप में देखने की इच्छा रखने वाले लोग महबूबा मुफ्ती के स्टैंड में आए सकारात्मक बदलाव से खुश हैं।
 
उनका कहना है कि महबूबा मुफ्ती की विचारधारा में यही सकारात्मकता जारी रहने से न सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लोगों में आतंकवाद और आतंकवादियों के विरुद्ध संदेश जाएगा बल्कि आतंकवाद पीड़ित उस प्रदेश में धर्मनिरपेक्षता, उदारवाद तथा सकारात्मक एवं विकासोन्मुख राजनीति को बढ़ावा मिलेगा जहां आतंकवाद के चलते छापेमारी व क्रॉस फायरिंग की लपेट में आने से बड़ी संख्या में आम लोगों के अलावा कश्मीरी पुलिस कर्मी तथा सुरक्षा बलों के सदस्य मारे जा रहे हैं तथा प्रदेश का पर्यटन और विकास प्रभावित हो रहा है।
 
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