‘सर्जिकल स्ट्राइक के बाद’ सुरक्षा बलों की ‘एक और बड़ी पहल’

Thursday, Oct 20, 2016 - 01:58 AM (IST)

भारतीय सेना के जवानों द्वारा 28-29 सितम्बर मध्य रात्रि को पाकिस्तान के साथ लगती नियंत्रण रेखा पर सर्जिकल स्ट्राइक से 7 आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करके 40 आतंकवादी मार गिराने के बावजूद पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ व अन्य भारत विरोधी गतिविधियां लगातार जारी हैं परंतु हर बार पाकिस्तानी शासक ऐसी किसी भी घटना में अपना हाथ होने से इन्कार कर देते हैं। 

इसके साथ ही हर ऐसी घटना के बाद हमारे नेता देश के सुरक्षा प्रबंध मजबूत करने की बातें तो कहते हैं परंतु उस पर अमल कम ही हो पाता है। इसी कारण देश में माओवादियों की समस्या 35 से अधिक वर्षों से लटकती आ रही है और वे देश में 12000 से अधिक लोगों की जान ले चुके हैं। 

इसी प्रकार सीमा पार से पाकिस्तान के पाले आतंकवादियों की  गतिविधियां भी लगातार चल रही हैं और  उनके द्वारा स्थानीय लोगों में अपने शरणस्थल व सूचना स्रोत बना लेने के समाचार भी आ रहे हैं जिस पर हमने 23 सितम्बर के संपादकीय ‘भारत सरकार पहले अपने घर में छिपे आतंकवादियों का सफाया करे’ में लिखा था कि :

‘‘जैसे श्रीलंका सरकार ने सेना की मदद से अपने यहां सक्रिय लिट्टे आतंकियों का मात्र 6 महीनों में सफाया कर दिया वैसे ही भारत सरकार भी सेना का सहारा लेकर नक्सलवादियों और जम्मू-कश्मीर में छिपे आतंकवादियों और उनके शरणस्थलों का सफाया करे।’’ 

भारत सरकार इस मामले में अब सक्रिय हुई है। सॢजकल स्ट्राइक के बाद 17 अक्तूबर को पक्की सूचना के आधार पर सुरक्षा बलों ने एक सांझा आप्रेशन चलाया तथा बारामूला के पुराने शहर की घेराबंदी द्वारा बाहर निकलने के रास्ते  बंद कर आतंकवादियों के लिए सुरक्षित समझे जाने वाले 10 संवेदनशील इलाकों में 700 से अधिक मकानों की तलाशी का अभियान चलाया जिसे 19 अक्तूबर को भी जारी रखे जाने के समाचार हैं।

हिरासत में लिए गए  44 संदिग्ध आतंकियों से बड़ी मात्रा में अवैध मोबाइल, पैट्रोल बम, अन्य शस्त्रास्त्र, चीन व पाकिस्तान के झंडे, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तोयबा के लैटर पैड के अलावा अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई  तथा संदिग्ध आतंकियों के कई ठिकानों का भी पता चला। कश्मीर में चीन के झंडे बरामद किए जाने का यह संभवत: पहला मौका है तथा इसे सुरक्षा बलों का सबसे बड़ा अभियान बताया जाता है। 

पिछले कुछ समय के दौरान घाटी में आतंकवादियों द्वारा सुरक्षा बलों के सदस्यों से शस्त्र लूटने की घटनाएं भी बेहद बढ़ गई थीं। आतंकवादी गतिविधियों के केंद्र बने दक्षिण कश्मीर में पिछले 3 महीनों में आतंकवादियों ने सशस्त्र सुरक्षा बलों के सदस्यों से कम से कम 30 हथियार लूट लिए। 

इस संबंध में नवीनतम घटना 17 अक्तूबर को हुई जब दक्षिण कश्मीर के जिला अनंतनाग में एक पुलिस चौकी पर हमला करके आतंकवादी वहां तैनात 5 पुलिस कर्मियों के हथियार लूट कर फरार हो गए।
 
घाटी में आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर जाकिर रशीद भट्ट उर्फ जाकिर मूसा का नया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमें उसने कहा है कि ‘‘कश्मीरी युवाओं को आतंकवादी गिरोहों का हिस्सा बनाने के लिए सुरक्षा बलों से हथियार छीनना आवश्यक है क्योंकि नए आतंकवादियों को हथियार भी तो देने पड़ेंगे।’’ 

ऐसी घटनाएं रोकने के लिए सुरक्षाबलों के सदस्यों द्वारा प्रयुक्त हथियारों को जी.पी.एस. प्रणाली से लैस करने की योजना बनाई जा रही है ताकि छीने गए हथियारों की लोकेशन का पता लगा कर वे बरामद किए जा सकें। 

हालिया तलाशी अभियान में इतनी बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री का बरामद होना और 44 संदिग्ध आतंकवादियों का हिरासत में लिया जाना इस बात का स्पष्टï प्रमाण है कि हमारी सरजमीं पर आतंकवादियों ने किस कदर पैर जमा लिए तथा अपने शरणस्थल बना लिए हैं।

निस्संदेह सुरक्षा बलों द्वारा चलाया गया यह संयुक्त तलाशी अभियान प्रशंसनीय है परंतु इससे समुचित लाभ तभी प्राप्त होगा यदि बिना ढील के ऐसे अभियान नियमित रूप से लगातार जारी रखे जाएं और इन्हें मात्र बारामूला तक ही सीमित न रख कर आतंकवाद का गढ़ बन चुके दक्षिण कश्मीर में भी एक साथ चलाया जाए।                                    
 

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