शिवसेना का विवाद सुलझाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट राऊत के आरोपों की भी जांच करवाए

punjabkesari.in Tuesday, Feb 21, 2023 - 03:47 AM (IST)

महाराष्ट्र की तत्कालीन शिवसेना सरकार में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बाद भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे गुट तथा उद्धव ठाकरे गुट में गत वर्ष से ही पार्टी के नाम व चुनाव चिन्ह बारे विवाद जारी है। उद्धव ठाकरे का कहना है कि ‘शिवसेना’ उनके पिता बाला साहब ठाकरे की बनाई हुई पार्टी है, अत: पार्टी और चुनाव चिन्ह दोनों ही उनके पास रहने चाहिएं परंतु 17 फरवरी, 2023 को अपने फैसले में चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ‘असली शिवसेना’ के रूप में मान्यता दे दी। चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ दोनों ही शिंदे गुट को अलाट करने के साथ ही उद्धव गुट को चुनाव चिन्ह ‘धधकती मशाल’ रखने की अनुमति दी है।

चुनाव आयोग का कहना है कि पार्टी के विजयी 55 विधायकों के पक्ष में पड़े वोटों में से शिंदे गुट के समर्थक 40 विधायकों को 76 प्रतिशत वोट पड़े वहीं उद्धव गुट के विधायकों को उससे अत्यंत कम वोट मिले। इस पर 19 फरवरी को शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय राऊत ने यह आरोप लगाया है कि ‘‘शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह खरीदने के लिए 2,000 करोड़ रुपए का सौदा हुआ है और यह इस सौदे का शुरूआती आंकड़ा है और यह 100 प्रतिशत सच है।’’ ‘‘जब पार्षद और शिवसेना शाखा के प्रमुख के लिए 50 लाख रुपए से 1 करोड़ रुपए, विधायक के लिए 50 करोड़ रुपए और सांसद के लिए 100 करोड़ रुपए खर्च किए जा सकते हैं तो अनुमान लगाया जा सकता है कि शिवसेना को हथियाने के लिए अब तक कितना धन खर्च किया गया होगा।’’

दूसरी ओर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े के विधायक ‘सदा सर्वांकर’ ने संजय राऊत के दावे का खंडन करते हुए प्रश्न किया है, ‘‘क्या संजय राऊत खजांची हैं?’’ भाजपा नेता ‘सुधीर मुनगंटीवार’ तथा मुम्बई भाजपा के प्रमुख आशीष शेलार का कहना है, ‘‘संजय राऊत की ऐसी निराधार टिप्पणियां चुनाव आयोग तथा सुप्रीमकोर्ट जैसे स्वतंत्र संस्थानों को बदनाम करने की कोशिश है। इन लोगों के या तो होश उड़ गए हैं, या वे पागल हो गए हैं।’’ गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि उद्धव ठाकरे सत्ता के लिए राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के चरणों में बैठ गए थे जिसका उन्हें सबक मिल गया।

शरद पवार ने इस विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘उद्धव ठाकरे को उन्होंने पहले ही आगाह करके नया चुनाव चिन्ह रखने की सलाह दी थी क्योंकि जनता उन्हें नए चुनाव चिन्ह के साथ स्वीकार कर लेगी। मैं इस विवाद में नहीं पडऩा चाहता। शिवसेना अपना विवाद स्वयं सुलझाए।’’ इस बीच असली शिवसेना के प्रश्र पर उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीमकोर्ट में 20 फरवरी को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना मानने और चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ अलॉट करने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी है।

उद्धव गुट ने इस पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया जिसे अस्वीकार करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने 21 फरवरी को उसे उचित प्रक्रिया के माध्यम से याचिका दाखिल करने को कहा और इसी बीच  शिंदे गुट ने विधानसभा में स्थित पार्टी के कार्यालय पर भी कब्जा कर लिया है। उद्धव ठाकरे और शिंदे गुटों में असली शिवसेना के स्वामित्व को लेकर बढ़ते जा रहे विवाद के बीच राजनीतिक क्षेत्रों का कहना है कि शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह शिंदे गुट को मिलने के बाद अब उद्धव गुट के सामने अपने बचे हुए विधायकों, सांसदों, मुम्बई के पार्षदों और शाखा प्रमुखों के भी छोड़ कर जाने का खतरा पैदा हो गया है।

इस समय दोनों धड़ों में विवाद चरम सीमा पर है और मामला सुप्रीमकोर्ट में पहुंच गया है। उसे फैसला करना चाहिए कि क्या चुनाव आयोग को पार्टी का नियंत्रण उद्धव ठाकरे गुट से लेकर शिंदे गुट को देने का अधिकार है भी या नहीं। इसके साथ ही संजय राऊत द्वारा शिव सेना पर कब्जे के लिए 2000 करोड़ रुपए के सौदे के आरोपों की जांच भी करवाई जानी चाहिए। -विजय कुमार


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