‘बुलडोजर एक्शन’ पर सुप्रीमकोर्ट का ‘देर से आया सही फैसला’

punjabkesari.in Thursday, Nov 14, 2024 - 05:27 AM (IST)

कुछ वर्षों से देश में ‘बुलडोजर एक्शन’ की बड़ी चर्चा है। गत 7 वर्षों में 1935 आरोपियों की सम्पत्तियों पर ‘बुलडोजर एक्शन’ हुआ है। इसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे, मध्य प्रदेश दूसरे और हरियाणा तीसरे स्थान पर है। देश में किसी आरोपी की सम्पत्ति रातो-रात जमींदोज करने का अभी कोई कानून नहीं बना, फिर भी इसी वर्ष 3 राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में विभिन्न आरोपों में संलिप्त आरोपियों की इमारतें जमींदोज कर दी गईं। 

इनके विरुद्ध दायर याचिकाओं पर सुप्रीमकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान 13 नवम्बर को न्यायमूर्ति बी.आर. गवई तथा न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन ने अपने फैसले में  ‘बुलडोजर एक्शन’ की प्रवृत्ति पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसकी तुलना अराजकता की स्थिति से की। उन्होंने कहा,‘‘अधिकारी किसी व्यक्ति के मकान को केवल इस आधार पर नहीं गिरा सकते कि उस पर किसी अपराध का आरोप है। कारण बताओ नोटिस दिए बिना किसी भी संपत्ति को ध्वस्त न किया जाए तथा प्रभावितों को उत्तर देने के लिए 15 दिन का समय भी दिया जाना चाहिए।’’  

माननीय जजों ने कहा कि राज्य या अधिकारी द्वारा नियमों के विरुद्ध आरोपी या दोषी के विरुद्ध ‘बुलडोजर एक्शन’ नहीं किया जा सकता। किसी भी मामले में आरोपी होने या दोषी ठहराए जाने पर भी अपराध की सजा घर तोडऩा नहीं है। यह कानून का उल्लंघन है। सरकारी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए और ऐसा करने पर संबंधित व्यक्ति को मुआवजा दिया जाना चाहिए। यदि आरोपी एक है तो पूरे परिवार को सजा क्यों दी जाए! अधिकारियों को इस तरह के मनमाने तरीके से काम करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। प्रशासन जज की तरह काम नहीं कर सकता। घर प्रत्येक व्यक्ति का सपना होता है और वह चाहता है कि उसका आश्रय कभी न छिने। यदि राज्य इसे ध्वस्त करता है तो इसे अन्यायपूर्ण माना जाएगा। 
यदि घर गिराने का आदेश पारित किया जाता है तो इसके विरुद्ध अपील करने के लिए समय दिया जाना चाहिए। जीवन का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और आश्रय का अधिकार इसका एक पहलू है। यदि कानूनों के विरुद्ध जाकर कोई कार्रवाई की जाती है तो अधिकारों की रक्षा करने का काम अदालत का ही है। माननीय जजों ने कहा कि हर हालत में ‘बुलडोजर एक्शन’ की प्रक्रिया नोडल अधिकारी के जरिए होगी। हर जिले का डी.एम. अपने क्षेत्राधिकार में किसी भी निर्माण को गिराने को लेकर एक नोडल अधिकारी को नियुक्त करेगा। नोडल अधिकारी 15 दिन पहले विधिवत तरीके से रजिस्टर्ड डाक द्वारा प्रभावित पार्टी को नोटिस भेजेगा। इसे निर्माण स्थल पर भी चिपकाना व ‘डिजीटल पोर्टल’ पर डालना अनिवार्य होगा। 

नोडल अधिकारी इस पूरी प्रक्रिया को यकीनी बनाएगा कि संबंधित लोगों को नोटिस समय पर मिले और इस नोटिस का जवाब भी सही समय पर मिल जाए। इसके लिए 3 महीने के भीतर ‘पोर्टल’ तैयार किया जाए। माननीय जजों का कहना है कि कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना घर/सम्पत्ति गिराने की कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती और इसकी वीडियो रिकाॄडग भी की जाएगी।  ‘बुलडोजर एक्शन’ के दुष्परिणामों को देखते हुए यह देर से आया एक सही फैसला है जिससे अनेक घर टूटने से बच सकते हैं, अत: इस पर सख्ती से अमल होना चाहिए।—विजय कुमार   


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