देश के सबसे बड़े ‘कोचिंग केंद्र कोटा में’ ‘छात्रों द्वारा आत्महत्याएं’

Thursday, Feb 01, 2024 - 03:53 AM (IST)

राजस्थान का शहर कोटा देश का सबसे बड़ा कोचिंग हब है, जहां लगभग 200 कोचिंग संस्थान चल रहे हैं। इनमें देश के ओर-छोर से अढ़ाई लाख के आसपास छात्र-छात्राएं इंजीनियरिंग व मैडिकल की पढ़ाई के लिए कोचिंग प्राप्त करने आते हैं। यहां से कोचिंग लेकर सिलैक्ट होने वाले छात्र-छात्राओं की सफलता का बेहतर प्रतिशत देखते हुए अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को यहीं कोचिंग के लिए भेजना पसंद करते हैं पर काफी समय से यह शहर छात्र-छात्राओं की आत्महत्याओं के कारण चर्चा में आया हुआ है। जनवरी महीने में ही मात्र एक सप्ताह में यहां कोचिंग के 2 विद्यार्थियों ने आत्महत्या कर ली : 

* 25 जनवरी, 2024 को एक कोचिंग संस्थान में मई में होने वाली ‘नीट’ परीक्षा की तैयारी कर रहे मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) के ‘बिलावाला’ गांव के एक छात्र ने आत्महत्या कर ली।
* 29 जनवरी, 2024 को जे.ई.ई. मेन्स की तैयारी कर रही 18 वर्षीया छात्रा ने फांसी लगा ली। उसकी 31 जनवरी को परीक्षा थी तथा कोचिंग का कोर्स समाप्त होने के बाद वह घर से ही परीक्षा की तैयार कर रही थी। 

ये तो केवल 2 उदाहरण मात्र हैं, वास्तव में पिछले वर्षों के दौरान अचानक बड़ी संख्या में यहां कोङ्क्षचग ले रहे छात्र-छात्राओं की आत्महत्या की घटनाओं ने प्रशासन एवं अभिभावकों को परेशानी में डाल रखा है।
आंकड़ों के अनुसार कोटा में 2015 में 18; 2016 में 17; 2017 में 7; 2018 में 20; 2019 में 18; 2022 में 15 तथा 2023 में 30 छात्र-छात्राओं ने परीक्षा और उसमें प्रदर्शन को लेकर दबाव के चलते अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। वर्ष 2020 और 2021 में आत्महत्या की कोई सूचना नहीं मिली क्योंकि उस अवधि में कोचिंग संस्थान या तो बंद थे या कोविड-19 महामारी के कारण ऑनलाइन मोड पर चल रहे थे।

गत वर्ष राजस्थान सरकार द्वारा कोटा में विद्यार्थियों की आत्महत्याओं के गलत रुझान पर रोक लगाने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करने के बावजूद छात्र-छात्राओं द्वारा आत्महत्या के मामले में कोई कमी नहीं आई। छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्याओं के मामलों के दृष्टिगत 16 जनवरी को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग सैंटरों को विशिष्ट निर्देश जारी किए और 16 वर्ष से कम आयु के लड़के-लड़कियों को कोचिंग सैंटरों में दाखिला देने पर प्रतिबंध लगा दिया। इस संबंध में जारी नियमों के उल्लंघन पर संस्थानों को 10 लाख रुपए तक जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। 

यही नहीं, जिला कलैक्टर डा. रवींद्र गोस्वामी ने कोचिंग सैंटरों एवं होस्टल संचालकों की बैठक बुलाकर विद्यार्थियों को सकारात्मक माहौल देने के साथ-साथ उनकी अनुपस्थिति और व्यवहार में परिवर्तन को गंभीरता से लेते हुए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत सभी कोचिंग संस्थानों में बायोमैट्रिक उपस्थिति की अनिवार्यता सुनिश्चित करते हुए विद्यार्थियों के लिए सकारात्मक माहौल देने, अवकाश, टैस्ट आदि के दिशा-निर्देश प्रभावशाली ढंग से लागू करने को कहा गया है। यही नहीं, डा. रवींद्र गोस्वामी ने अब हर शुक्रवार को किसी भी होस्टल में जाकर छात्र-छात्राओं के साथ डिनर कर उनसे उनकी समस्याओं और परेशानियों के बारे में बातचीत करके उन्हें जरूरी मार्गदर्शन प्रदान करने का निर्णय भी लिया है। इस अभियान का नाम ‘कामयाब कोटा’ रखा गया है। 

डा. रवीन्द्र गोस्वामी का कहना है कि इससे इन छात्र-छात्राओं का मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहेगा। उनका यह प्रयोग कितना सफल होता है यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा, परंतु इसके साथ ही बच्चों के माता-पिता को भी चाहिए कि वे उनको उनकी ही पसंद के विषय चुनने दें, उन पर अपनी पसंद न थोपें। यह भी बच्चों को अनावश्यक मानसिक दबाव में लाने का एक बड़ा कारण बनता है।—विजय कुमार

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