ऐसे हैं हमारे चंद सत्ताधारी नेता : अत्याचारी, थप्पड़बाज और गालीबाज

Sunday, Oct 29, 2023 - 05:14 AM (IST)

सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े लोगों, राजनीतिज्ञों और उनके परिजनों से आशा की जाती है कि वे कोई भी कानून विरोधी कार्य नहीं करेंगे और स्वयं को सच्चा जनसेवक सिद्ध करते हुए आम लोगों की मुश्किलें सुलझाने में मदद करेंगे, परंतु आज यही लोग दबंगई तथा गलत कामों में शामिल पाए जा रहे हैं, जो निम्न 4 ताजा उदाहरणों से स्पष्ट है : 

* 27 अक्तूबर को बिहार के सारण जिले में नियमों का उल्लंघन करने के कारण पुलिस द्वारा जब्त की गई गाडिय़ों को जबरन छुड़वाने के मामले में महाराजगंज से भाजपा सांसद जनार्दन सिंह सहित 17 लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई। सांसद की शह पर उनके समर्थक बनियापुर थाना में घुस कर जबरदस्ती वहां से जब्त की गई गाडिय़ां निकाल कर ले गए। 

* 22 अक्तूबर को महाराष्ट्र के बीड जिले में हैरान करने वाले एक मामले में स्थानीय भाजपा विधायक सुरेश धस की पत्नी प्राजक्ता सुरेश धस, राहुल जगदाले और रघु पवार के विरुद्ध खेत में काम कर रही एक आदिवासी महिला को निर्वस्त्र कर उससे मारपीट करने के आरोप में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर अत्याचार निवारण अधिनियम तथा अन्य धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया। 
पीड़ित आदिवासी महिला का आरोप है कि विधायक की पत्नी उनकी पुश्तैनी जमीन को अपने गुंडों की मदद से हड़पना चाहती है। आरोप है कि उक्त महिला जब बैलगाड़ी में चारा भर रही थी, तभी आरोपी राहुल जगदाले और रघु पवार आए, जिन्होंने उसे पकड़कर जमीन पर लिटा कर पीटा और उसको पूरी तरह से निर्वस्त्र कर दिया। 

* 6 अक्तूबर को तेलंगाना के गृह मंत्री महमूद अली (भारत राष्ट्र समिति) राज्य के पशुपालन मंत्री टी. श्रीनिवास यादव के जन्म दिवस पर हैदराबाद में आयोजित समारोह में उन्हें शुभकामना भेंट करने गए थे।
इसके लिए उन्होंने श्री यादव को भेंट करने के लिए अपने गार्ड को गुलदस्ता लाने को कहा था परंतु गार्ड किसी कारणवश गुलदस्ता नहीं ला पाया तो ताव में आकर उन्होंने सरेआम अपने सुरक्षा गार्ड के मुंह पर तमाचे जड़े तथा पशुपालन मंत्री श्रीनिवास यादव एवं अन्य लोगों ने हस्तक्षेप करके महमूद अली को शांत किया। 

* 6 अक्तूबर को ही दबंगई का अन्य उदाहरण बिहार में जद (यू) विधायक गोपाल मंडल ने पटना स्थित पार्टी कार्यालय में पेश किया। उल्लेखनीय है कि 2 दिन पूर्व जब वह भागलपुर में ‘जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय’ में किसी काम से गए तो वहां अपनी पिस्तौल लहराने लगे थे, जिसे देख कर वहां मौजूद लोग सहम गए। इसके बाद वह हाथ में पिस्तौल लहराते हुए ही अपने सुरक्षा गार्ड के साथ वहां से बाहर निकल गए। जब पत्रकारों ने गोपाल मंडल से उक्त घटना को लेकर सवाल किया तो वह पत्रकारों पर ही भड़क उठे और कहने लगे, ‘‘अरे पिस्तौल तो अभी भी मेरे पास है। तुम लोग पत्रकार हो या कुछ और?’’ 

पत्रकारों ने जब उनसे कहा कि क्या एक विधायक का यही लक्षण है, तो वह तपाक से बोले, ‘‘तुम मेरे बाप हो? हमारे पास पिस्तौल है तो लहराएंगे नहीं क्या?’’  उन्होंने कई बार दोहराया ‘‘हां लहराएंगे, पिस्तौल लहराएंगे। तुम लोग कौन हो जो मुझे मना करोगे। भाग...’’  यह कहते हुए गोपाल मंडल ने ऐसी  गालियां निकालीं जिनका उल्लेख यहां नहीं किया जा सकता। प्रभावशाली लोगों द्वारा अपनी शक्ति का अनुचित लाभ उठाकर इस तरह का आचरण करना एक बहुत गलत रुझान है। यदि इसे रोका नहीं गया तो आम लोग भी इनकी देखा-देखी इसी तरह का आचरण करने लगेंगे, जिसका परिणाम अच्छा नहीं होगा। अत: ऐसा आचरण करने वाले नेताओं पर अंकुश लगाने के लिए उनकी पार्टियों को ही कुछ ठोस कदम उठाने होंगे।—विजय कुमार  

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