भारत में निर्मित ‘घटिया दवाएं’बन रहीं ‘बदनामी का कारण’

Saturday, Jun 24, 2023 - 03:58 AM (IST)

पिछले कुछ समय से भारत में बनी हुई खांसी और बुखार आदि की चंद दवाएं अपनी खराब क्वालिटी के कारण प्रश्नों के घेरे में आई हुई हैं। गाम्बिया, इंडोनेशिया, उज्बेकिस्तान, माइक्रोनेशिया और मार्शल आइलैंड्स से दूषित (संक्रमित) दवाओं की रिपोर्टें आने के बाद इन दवाओं की जांच का सिलसिला अभी भी जारी है जिसे देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) ने भारत निर्मित 7 कफ सिरप ब्रांड काली सूची में डाल दिए हैं। 

पिछले वर्ष भारत में बनी दवाओं के कारण गाम्बिया में 60 से अधिक और उज्बेकिस्तान में 20 बच्चों की मौत हुई थी और जांच में पाया गया कि खांसी की दवाओं के निर्माण में 2 जहरीले रसायन इस्तेमाल किए गए थे। डब्ल्यू.एच.ओ. की जांच में कुल 20 दूषित दवाओं को शामिल किया गया था जिनके सेवन से दुनिया में 300 से अधिक लोगों की मौत हुई है। बताया जाता है कि इनमें कुछ पंजाब और हरियाणा की कम्पनियां भी शामिल हैं। इसी पृष्ठभूमि में 20 जून को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि भारत नकली दवाओं के मामले में ‘कतई बर्दाश्त न करने’(जीरो टालरैंस) की नीति का पालन करता है।

उन्होंने कहा कि खांसी रोकने के लिए भारत निर्मित सिरप के कारण कथित मौतों के बारे में कुछ क्षेत्रों द्वारा चिंता व्यक्त करने के बाद 71 दवा निर्माता कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और उनमें से 18 को उत्पादन बंद करने को कहा गया है। श्री मनसुख मांडविया ने यह भी कहा कि अब निर्यात से पहले कफ सिरप का परीक्षण अनिवार्य कर दिया गया है। अनेक प्रमुख दवा निर्माण केद्रों में हाईटैक प्रयोगशाला न होने से वहां बनी दवाओं को गुणवत्ता परीक्षण के लिए दूसरे केंद्रों में भेजना पड़ता है, जहां से रिपोर्ट आने में काफी समय लग जाता है। अत: दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए इनकी जांच बढ़ाने के साथ-साथ प्रमुख दवा निर्माण केंद्रों में हाईटैक प्रयोगशालाएं जल्द से जल्द कायम करने की जरूरत है।—विजय कुमार 

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