भ्रष्टाचारियों को रास्ते पर लाने के लिए कठोर दंड ही एकमात्र उपाय

punjabkesari.in Sunday, Apr 11, 2021 - 01:54 AM (IST)

बेशक सरकारी पदों पर बैठे छोटे-बड़े अधिकारी काफी अच्छा वेतन पाते हैं परंतु लगातार बढ़ रहे रिश्वत के मामले इस बात के साक्षी हैं कि चंद अधिकारी उनके पास काम करवाने के लिए आने वालों से न सिर्फ पैसे वसूल करते हैं बल्कि अनैतिक मांग करने से भी संकोच नहीं करते जिसके मात्र 3 सप्ताह के चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं :

* 15 मार्च को जयपुर में बलात्कार के एक केस की जांच करने के बहाने पीड़ित युवती को बार-बार अपने दफ्तर में बुला कर उससे अस्मत मांगने के आरोप में पुलिस अधिकारी ‘कैलाश बोहरा’ को पकड़ा गया।
* 31 मार्च को सब-तहसील माजरी, एस.ए.एस. नगर में तैनात वन रक्षक रणजीत खान को अपने वरिष्ठï ब्लाक अधिकारी बलदेव सिंह की ओर से 4.50 लाख रुपए रिश्वत लेने के मामले में रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।

* 01 अप्रैल को महाराष्टï्र के पुणे जिले में एक स्थानीय अदालत की न्यायाधीश ‘अर्चना जटकर’ को रिश्वत लेने के आरोप में पकड़ा गया। इस मामले में 1 निलंबित पुलिस कर्मचारी सहित 3 लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। यह गिरफ्तारी शिकायतकत्र्ता से 2.5 लाख रुपए रिश्वत लेने के मामले में ‘अर्चना जटकर’ की भूमिका सामने आने के बाद की गई।
* 01 अप्रैल को हरियाणा सतर्कता विभाग ने कैथल जिले के एक पटवारी अशोक कुमार को शिकायतकत्र्ता से 5000 रुपए रिश्वत लेने पर काबू किया।

* 05 अप्रैल को कांगड़ा में ‘बाबा बड़ोह’ उपमंडल के ‘कंडी’ सैक्शन में तैनात लोक निर्माण विभाग के जूनियर इंजीनियर को एक ठेकेदार से 40,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया।
* 09 अप्रैल को मुम्बई में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने आयकर विभाग के दिलीप कुमार को शिकायतकत्र्ता से 10 लाख रुपए व एक अन्य कर्मचारी आशीष कुमार को 5 लाख रुपए रिश्वत लेने के दौरान पकड़ा।
* 09 अप्रैल को ही महाराष्ट्र में ठाणे नगर निगम के एक चिकित्सा अधिकारी ‘राजू मुरूदकर’ को कोविड रोगियों के लिए वैंटीलेटर की आपूर्ति का टैंडर पास करने के बदले 5 लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

* 09 अप्रैल को ही महाराष्ट्र के लातूर में जिला सर्जन कार्यालय के कर्मचारी ‘अभिमन्यु ढोंडीबा’ को शिकायतकत्र्ता के 3 लाख रुपए के मैडीकल बिल की रकम जारी करने के बदले में 8000 रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। इस प्रकार के हालात के बीच भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की एक मिसाल हरियाणा सरकार ने 9 अप्रैल को पेश की है जिसके अंतर्गत मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के आदेश पर जहां एक बोगस राशन कार्ड के स्कैंडल में पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करवाने का आदेश दिया गया है वहीं एक संयुक्त निदेशक और 2 सब-इंस्पैक्टरों को निलंबित किया गया है।

स्थानीय निकाय विभाग के एक सैक्शन अधिकारी को 88 लाख रुपए इधर-उधर करने के आरोप में निलंबित तथा एक कम्प्यूटर आप्रेटर को रिश्वत मांगने और एक चीनी मिल के कर्मचारी को बोगस दस्तावेजों के आधार पर नौकरी प्राप्त करने के आरोप में नौकरी से निकालने के अलावा एक तकनीकी सहायक के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है।

9 अप्रैल को ही सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ तथा जस्टिस एम.आर. शाह ने रिश्वतखोरी के एक आरोपी द्वारा अपनी सजा के विरुद्ध दायर याचिका रद्द करते हुए कहा कि भ्रष्टïाचार के मामलों में लोकसेवकों के साथ सख्ती से ही निपटा जाना चाहिए। इसलिए कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा याचिकाकत्र्ता को दी गई कैद की सजा और जुर्माना उचित है। जहां हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई एक सही पग है जिसका अनुसरण अन्य राज्यों को भी करना चाहिए वहीं सुप्रीमकोर्ट के माननीय न्यायाधीशों ने भी भ्रष्टाचारियों को रास्ते पर लाने के लिए उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई का पक्ष लेकर सिद्ध किया है कि सख्ती के बिना इस लानत पर काबू पाना संभव नहीं है।

इस सम्बन्ध में कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा रिश्वत लेने का आरोप सिद्ध हो जाए तो उसकी संतान को सरकारी नौकरी प्राप्त करने से वंचित करने के लिए उसके आवेदन करने पर ही रोक लगा दी जानी चाहिए ताकि कोई भी कर्मचारी भ्रष्टïाचार करने से पहले इसका अंजाम सोच ले।—विजय कुमार                                         


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