भाजपा का बड़बोले नेताओं को जुबान बंद रखने का सख्त निर्देश

Saturday, Aug 25, 2018 - 01:09 AM (IST)

राजनीतिज्ञों से आशा की जाती है कि वे कोई भी ऐसा कार्य नहीं करेंगे जिससे विवाद पैदा हों परंतु आज यही लोग अपने विषैले बयानों व कृत्यों से देश का वातावरण बिगाड़ रहे हैं और इनमें भाजपा नेता तथा यहां तक कि भाजपा मंत्री भी सबसे आगे हैं। इनमें केंद्रीय  मंत्री गिरिराज सिंह, साध्वी निरंजना ज्योति, मुख्तार अब्बास नकवी, किरण रिजिजू, अनंत कुमार हेगड़े, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक, सांसद नेपाल सिंह, साक्षी महाराज, विधायक विक्रम सैनी, संगीत सोम, सुरेन्द्र सिंह आदि शामिल हैं। इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष 23 अप्रैल को भाजपा सांसदों और विधायकों को फटकार लगाते हुए कहा था कि वे मीडिया के सामने विवादास्पद बयान देने से बचें।

प्रधानमंत्री ने कहा था कि ‘‘आपको इसके लिए मीडिया को दोष नहीं देना चाहिए बल्कि आप खुद गलती करके मीडिया को इस तरह का मसाला देते हैं और बयान देने के लिए जल्दबाजी करते हैं जैसे कि हम वैज्ञानिक या बुद्धिजीवी हों। तब इस तरह के बेतुके बयान का मीडिया उपयोग करता है और पार्टी की छवि खराब होती है।’’  हालांकि इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा नेताओं को बिना सोचे-विचारे बयान देने से मना करते रहे हैं परन्तु उनकी नसीहत का न तब असर हुआ और न अब हुआ है तथा विभिन्न भाजपा नेताओं द्वारा विवादास्पद बयान देने का सिलसिला लगातार जारी है।

23 अप्रैल को प्रधानमंत्री की फटकार के बाद भी केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े, जनजातीय मामलों के मंत्री जुआल ओराम, भाजपा राजस्थान के अध्यक्ष मदन लाल सैनी, बलिया से भाजपा विधायक सुरेन्द्र सिंह, फैजाबाद से भाजपा विधायक हरिओम पांडे और कर्नाटक भाजपा के वरिष्ठï नेता बासाना गौड़ा पाटिल यातनाल आदि के विवादास्पद बयान आ चुके हैं। अब जबकि इसी वर्ष 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव और फिर अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, इनसे पहले भाजपा को अपने नेताओं की गलतबयानी से होने वाला खतरा महसूस होने लगा है। पार्टी नेतृत्व को आशंका है कि बयानबाजी के लिए मशहूर उसके नेता अपने बड़बोलेपन या ऊल-जुलूल बयानों से पार्टी को नुक्सान पहुंचा सकते हैं। इसी को देखते हुए अपने बड़बोलेपन के लिए पार्टी में ‘बदनाम’ नेताओं की सूची तैयार की गई है।

भाजपा के एक बड़े नेता के अनुसार पार्टी अध्यक्ष अमित शाह इस बात को लेकर काफी चौकन्ने हैं कि पार्टी के किसी नेता की ओर से गलतबयानी या फिर कोई अनर्गल बात न कही जाए। उन्होंने सभी प्रदेश अध्यक्षों और संगठन मंत्रियों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि किसी भी मुद्दे पर पार्टी द्वारा अधिकृत व्यक्ति ही बयान दे। सूत्रों का कहना है कि कई बार ऐसी बयानबाजी से पूरा चुनावी परिदृश्य ही बदल जाता है। पार्टी एक पूरी सोची-समझी रणनीति और मुद्दों को लेकर चुनाव में आगे बढ़ती है। ऐसे में मुद्दों या रणनीति से हटकर बयानबाजी करने से पार्टी को नुक्सान हो सकता है।

इसके लिए पिछले लोकसभा चुनाव का उदाहरण भी पार्टी फोरम पर दिया जा रहा है कि कैसे भाजपा के एक नेता जो अब केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं, के बयान के कारण भाजपा 5 सीटों पर मामूली अंतर से हार गई थी। इसीलिए महिला उत्पीडऩ, दलित, अल्पसंख्यक और मंदिर जैसे मुद्दे पर संजीदगी दिखाने तथा विरोधी दल के नेताओं के खिलाफ अमर्यादित शब्दों और इशारों का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह भी दी जा रही है।

पाठक जानते ही हैं कि हम तो बार-बार इसी मुद्दे पर लिखते रहे हैं और भाजपा के बड़बोले नेताओं के बड़बोलेपन का ब्यौरा देते हुए कहते रहे हैं कि इनके ऐसे तर्कहीन बिगड़े बोल पार्टी की छवि को आघात पहुंचा रहे हैं। इसी को देखते हुए पार्टी नेतृत्व द्वारा ऐसे बड़बोले नेताओं के बयानों पर रोक लगाने का निर्णय बिल्कुल सही है तथा इससे आने वाले चुनावों में पार्टी को होने वाले नुक्सान को रोकने में मदद मिलेगी।   विजय कुमार

Yaspal

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