‘शराब की बोतलों पर कैंसर की कड़ी चेतावनी’ ‘लिखने की योजना शीघ्र लागू की जाए’

punjabkesari.in Friday, Feb 07, 2025 - 05:53 AM (IST)

शराब के दुष्प्रभावों को देखते हुए ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पराधीनता के युग में घोषणा की थी कि ‘‘यदि भारत का शासन आधे घंटे के लिए भी मेरे हाथ में आ जाए तो मैं शराब की सभी डिस्टिलरियों और दुकानों को बिना मुआवजा दिए ही बंद कर दूंगा।’’यही नहीं, गांधी जी ने महिलाओं को भी स्वाधीनता आंदोलन से जोड़ा और कहा कि वे देश के कोने-कोने में जाकर शराब की दुकानों के बाहर प्रदर्शन करें और उन्हें बंद करवाएं। हालांकि इस बात की संभावना थी कि महिलाएं जब प्रदर्शन करेंगी तो निश्चित ही उनकी गिरफ्तारी हो जाएगी और उन्हें एक-एक वर्ष की सजा हो जाएगी। 

गांधी जी के आह्वान पर मेरी पूजनीय माता शांति देवी चोपड़ा सहित कई महिलाओं ने शराब की दुकानों के बाहर प्रदर्शन करके गिरफ्तारी दी व कैद काटी थी। तब मैं 3-4 महीने का था और मैं भी उनके साथ जेल में रहा। हमारी सरकारें शराब से अधिक राजस्व प्राप्त करने के लिए शराब की दुकानों को ठेकों पर देती हैं और प्रति वर्ष उनकी बोली बढ़ जाती है। इस कारण प्रति वर्ष शराब की दुकानों की संख्या बढ़ जाती है जिससे और अधिक शराब बिकने लगती है। ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ के वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुसार शराब का कोई भी सुरक्षित स्तर नहीं होता जो स्वास्थ्य को प्रभावित न करे तथा शराब का अत्यधिक सेवन कैंसर का कारण बन सकता है।  इसी मुद्दे पर गत सप्ताह बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर की गई एक जनहित याचिका में अदालत से ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण’ (एफ.एस.एस.ए.आई.) तथा महाराष्टï्र सरकार को नोटिस जारी करके सिगरेट के पैकेटों पर दी जाने वाली चेतावनी की भांति ही शराब की बोतलों पर भी कैंसर से जुड़ी चेतावनी देने का अनुरोध किया गया है।

इस याचिका में कहा गया है कि आयरलैंड तथा दक्षिण कोरिया जैसे देशों में शराब की बोतलों पर कैंसर के जोखिम से संबंधित चेतावनियां दी जाती हैं। इसी पृष्ठïभूमि में ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण’ (एफ.एस.एस.ए.आई.) द्वारा शराब की बोतलों पर नए और अधिक प्रमुख चेतावनी लेबल लगाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। भारत में इस समय 1 अप्रैल, 2019 से लागू नियमों के अंतर्गत शराब की बोतलों पर 2 अनिवार्य चेतावनियां लिखी रहती हैं-(1) शराब का सेवन सेहत के लिए हानिकारक है तथा (2) सुरक्षित रहें, शराब पीकर गाड़ी न चलाएं। नियमों के अनुसार 200 एम.एल. तक की बोतलों पर चेतावनी अक्षरों की ऊंचाई कम से कम 1.5 एम.एम. तथा 200 एम.एल. से अधिक मात्रा वाली बोतलों पर अक्षरों की ऊंचाई 3 एम.एम. होनी चाहिए तथा चेतावनी अंग्रेजी के साथ-साथ एक या अधिक स्थानीय भाषाओं में होनी चाहिए। 

‘इंटरनैशनल स्पिरिट्स एंड वाईन एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (आई.एस. डब्ल्यू.ए.आई.) के अनुसार भारत का शराब बाजार लगभग 52.4 अरब डालर का है तथा 2030 तक इसके 64 अरब डालर तक पहुंच जाने की संभावना है।  यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि भारतवर्ष में सड़क दुर्र्घटनाओं में होने वाली मौतों में से 80 प्रतिशत मौतें शराब के सेवन के कारण होती हैं। अत: शराब पीने से होने वाली मौतें भी किसी कैंसर से कम नहीं हैं जिससे बड़ी संख्या में महिलाओं के सुहाग उजड़ रहे हैं, बच्चे अनाथ हो रहे हैं, युवा पीढ़ी का चरित्र भ्रष्टï हो रहा है तथा उसे नशों का घुन खोखला कर रहा है। फिलहाल भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफ.एस.एस.ए.आई.)  इस प्रस्ताव पर शराब कम्पनियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श कर रहा है। हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि नए चेतावनी लेबल कब लागू होंगे और वे कितने सख्त होंगे परंतु जितनी जल्दी नए चेतावनी लेबलों का शराब की बोतलों पर लगाना यकीनी बनाया जाएगा उतना ही अच्छा होगा। 

बोतलों पर लेबलों के अलावा समाज में शराब पीने के विरुद्ध जागरूकता अभियान शुरू करने की भी आवश्यकता है। ‘सोशल ड्रिंकिंग’ या ‘दिन में केवल एक ङ्क्षड्रक’ की अवधारणा को भी वैज्ञानिक शोधों में अब अत्यंत हानिकारक माना गया है। शायद कठोर चेतावनी पढ़ कर कुछ लोगों को सद्बुद्धि मिलेगी और वे इसका त्याग कर देंगे जिससे जहां उनकी सेहत की रक्षा होगी वहीं वे बीमारियों पर होने वाले खर्च से भी बच सकेंगे और इस प्रकार उनके परिवार में खुशहाली आएगी। —विजय कुमार  


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