निठल्ले, भ्रष्ट और यौन पिपासु अधिकारियों के विरुद्ध और कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए

Sunday, Sep 29, 2019 - 02:26 AM (IST)

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय भाजपा सरकार ने अपने प्रथम और द्वितीय कार्यकाल के दौरान देश में भ्रष्टïाचार निवारण और स्वच्छ प्रशासन देने के वादे के अनुरूप भ्रष्टाचार, निष्क्रियता, यौन शोषण और अन्य अनियमितताओं के आरोपों में संलिप्त सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध अभियान छेड़ रखा है। 

इसी सिलसिले में इस वर्ष जून और जुलाई के महीनों में मोदी सरकार ने ग्रुप ‘ए’ के 36,000 और ग्रुप ‘बी’ के 82,000 अधिकारियों के काम का रिव्यू करने के बाद कठोर कार्रवाई करते हुए दोनों ग्रुपों के कुल 312 अधिकारियों को जबरन रिटायर किया। इनमें अनेक अधिकारी कमिश्नर व डिप्टी कमिश्नर रैंक के थे। इसी प्रकार भ्रष्टï अधिकारियों को बाहर करने के अभियान में जुटी केंद्र सरकार के  ‘सैंट्रल बोर्ड आफ इनडायरैक्ट टैक्सीज एंड कस्टम्स डिपार्टमैंट’ (सी.बी.आई.सी.) ने अगस्त में भ्रष्टïाचार एवं अन्य आरोप झेल रहे 22 वरिष्ठï अधिकारियों को जबरन रिटायरमैंट दी। इन अधिकारियों के विरुद्ध सी.बी.आई. के पास मामले दर्ज हैं। 

और अब 27 सितम्बर को मोदी सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए भ्रष्टाचार में लिप्त 15 और वरिष्ठï इन्कम टैक्स अधिकारियों को ‘फंडामैंटल रूल्स 56 (जे)’ के अंतर्गत जबरन रिटायरमैंट दे दी है। केंद्र सरकार के नक्शे कदम पर ही चलते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने भी गत 2 वर्षों में 600 से अधिक अधिकारियों पर कार्रवाई की है तथा अनेक भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध शून्य सहनशीलता की नीति अपनाते हुए समय से पूर्व रिटायर किया है। कई अधिकारियों के प्रमोशन रोक दिए गए हैं और अनेक अधिकारियों को चेतावनी भी दी गई। उत्तराखंड और मध्य प्रदेश की सरकारों ने भी अपने अक्षम और भ्रष्टï अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए नौकरी से बाहर करने की तैयारी कर ली है। 

केंद्र सरकार एवं उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड और मध्य प्रदेश की सरकारों के साथ-साथ अन्य राज्यों की सरकारों को भी भ्रष्ट और निठल्ले अधिकारियों के विरुद्ध और कड़ी कार्यवाही करके प्रशासन को स्वच्छ करना चाहिए क्योंकि अभी तक जितने अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है वह तो ऊंट के मुंह में जीरे के ही बराबर है।—विजय कुमार 

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