‘बंद करो ऐसी बातें’ ये देशहित में नहीं

Wednesday, Jan 15, 2020 - 12:38 AM (IST)

एक ओर देश नागरिकता संशोधन कानून और अन्य संवेदनशील मुद्दों को लेकर आंदोलनों और प्रदर्शनों की ज्वाला में झुलस रहा है तो दूसरी ओर राजनेताओं ने इस बारे विवादास्पद और तनाव पैदा करने वाले बयान देकर देश का माहौल बिगाडऩा शुरू कर रखा है जो निम्र चंद उदाहरणों से नजर आता है:

06 जनवरी को ‘शिवसेना’ ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में आरोप लगाया,‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जो चाहते थे वही हो रहा है। इतनी निकृष्ट राजनीति कभी किसी ने नहीं की। भाजपा हिंदू-मुस्लिम दंगे होते देखना चाहती है। सी.ए.ए.कानून पर अलग-थलग पडऩे के कारण अब कई बातें बदले की भावना से हो रही हैं।’

07 जनवरी को कांग्रेस के सोशल मीडिया प्रमुख रोहण गुप्ता ने पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर से करते हुए लिखा,‘भाजपा का प्रचार तंत्र और कार्य हमें जर्मनी के नाजी शासन वाली तानाशाही की याद दिलाते हैं।’

07 जनवरी को ही असम के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तरुण गोगोई ने कहा,‘नरेन्द्र मोदी भी भारत का धर्म के आधार पर बंटवारा करने वाले मोहम्मद अली जिन्ना की 2 राष्ट्रों थ्योरी पर चल रहे हैं।’

11 जनवरी को राकांपा के नेता अमोल मिटकरी बोले,‘चाय शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक है। चाय पीने से व्यक्ति को डायबिटीज और अन्य बीमारियों का सामना करना पड़ता है। उसी तरह जब से देश के प्रमुख पद पर चाय वाला बैठा है तभी से देश का माहौल बिगड़ गया है। इसलिए देश के प्रमुख पद पर बैठे चाय वाले को हटाना जरूरी है।’

12 जनवरी को उत्तर प्रदेश श्रम विभाग की सलाहकार समिति के अध्यक्ष रघुराज सिंह (भाजपा) ने अलीगढ़ में कहा,‘अगर आप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध नारे लगाएंगे तो आपको जिंदा दफन कर दूंगा।’

‘मैं इन मुट्ठी भर, एक प्रतिशत अपराधी और भ्रष्ट लोगों को चेतावनी देता हूं कि वे प्रधानमंत्री मोदी और योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध ‘मुर्दाबाद’ के नारे न लगाएं। मैं तुम लोगों को जिंदा दफन कर दूंगा। योगी और मोदी ऐसे लोग नहीं हैं जो डर जाएंगे। ये देश को चलाएंगे और इसी तरह चलाएंगे।’

13 जनवरी को बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘सी.ए.ए. विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पब्लिक प्रापर्टी तोडऩे वाले ‘राक्षसों’ को भाजपा शासित राज्यों में घसीट कर कुत्तों की तरह गोलियों से मारा गया क्योंकि यह उनके बाप की सम्पत्ति नहीं थी और उनके ऊपर केस भी डाल दिए।’

‘तुम लोग यहां आओगे, यहां खाओगे और सरकारी सम्पत्ति को हानि पहुंचाओगे। हम तुम लोगों को लाठी-गोलियां मारेंगे, तुम्हारी खोपडिय़ां तोड़ देंगे और जेल में डाल देंगे। हमारी सरकार ने यही किया है।’ 

‘दीदी (ममता बनर्जी) में दम नहीं है। उनकी पुलिस ने पब्लिक प्रापर्टी को क्षति पहुंचाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की क्योंकि वे उनके मतदाता थे।’ दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो (भाजपा) के अनुसार, ‘दिलीप दा ने जो कुछ कहा है उससे भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। यह उनकी काल्पनिक सोच है। उत्तर प्रदेश और असम में भाजपा सरकार कभी भी और किसी भी वजह से लोगों को गोली नहीं मारती और यह दिलीप घोष का बेहद गैर-जिम्मेदाराना बयान है।’

इसके जवाब में दिलीप घोष ने कहा कि ‘लोग अपनी सोच और समझ के अनुसार कोई भी बात कहते हैं। मैंने अपनी सोच और समझ के अनुसार अपनी बात कही है। मेरा मानना यह है कि हमारी सरकारों ने ऐसा किया है और यदि हमें एक मौका मिला (बंगाल में) तो हम भी यही करेंगे।’ इन बयानों को किसी भी तरह से लोकतंत्र की मर्यादा के अनुरूप नहीं कहा जा सकता। अत: लोकतंत्र के तथाकथित नामलेवाओं को सोचना चाहिए कि ऐसे बयानों से समाज में कटुता और घृणा पैदा करके वे देश और लोकतंत्र की कौन सी सेवा कर रहे हैं!                                    —विजय कुमार 

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