‘मांगना छोड़’ भिखारी कर रहे मुम्बई में ‘सफाई का काम’

punjabkesari.in Monday, Oct 14, 2019 - 12:29 AM (IST)

बेरोजगारी की भांति ही भिक्षावृत्ति भी आज बड़ी समस्या का रूप धारण कर चुकी है। देश के शहरों, गांवों और कस्बों तक में बच्चे, बूढ़े और जवान महिला और पुरुष अपाहिज और सक्षम भिखारी फैले हुए हैं जिनमें से अनेक भीख मांगने के साथ-साथ अनेक समाज विरोधी गतिविधियों, नशे की तस्करी, बच्चों के अपहरण, वेश्यावृत्ति, चोरी-चकारी, लूटमार आदि में भी संलिप्त पाए जाते हैं।

यह भी एक विडम्बना ही है कि देश में अनपढ़ भिखारियों के साथ-साथ पढ़े-लिखे भिखारी भी मौजूद हैं। यह कहना मुश्किल है कि देश में भिखारियों की कितनी संख्या होगी। हालांकि केंद्र सरकार ने 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 3.72 लाख भिखारी बताए थे। 

मुम्बई में ‘बॉम्बे प्रिवैंशन आफ बैंगिंग एक्ट-1959’ के अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर भीख मांगना दंडनीय अपराध है तथा दिल्ली एवं देश के कुछ अन्य राज्यों में भी इस प्रकार के कानून लागू हैं परंतु इसके बावजूद देश में स्वतंत्रता के 72 वर्ष बाद भी भिखारियों की समस्या ज्यों की त्यों चली आ रही है। इस समस्या से किसी सीमा तक मुक्ति पाने के लिए ‘बृहन्मुम्बई म्यूनीसिपल कार्पोरेशन’ ने इस महानगर की सड़कों और पुलों आदि की सफाई के लिए भिखारियों की सेवाएं लेना शुरू किया है जिसके परिणामस्वरूप वहां सफाई की स्थिति में काफी सुधार हुआ नजर आ रहा है।

‘बृहन्मुम्बई म्यूनीसिपल कार्पोरेशन’ के अधिकारी भिखारियों को एक पुल की झाड़ू से सफाई करने के बदले में 20 रुपए देते हैं। इसी प्रकार अन्य सड़कों की सफाई के लिए भी नकद रकम के बदले में भिखारियों की सेवाएं ली जा रही हैं। अनेक भिखारियों का कहना है कि वे यह काम करके खुश हैं जिससे उन्हें दो समय की भरपेट रोटी मिलने लगी है।

देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई को भिखारियों की सहायता से स्वच्छ बनाने का ‘बृहन्मुम्बई म्यूनीसिपल कार्पोरेशन’ का प्रयास काफी व्यावहारिक है। अन्य नगरों और कस्बों के स्थानीय निकाय भी यदि इन्हीं लाइनों पर कुछ कर सकें तो वे स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने में किसी सीमा तक सहायक सिद्ध हो सकते हैं। इससे एक तो सफाई हो जाएगी और दूसरे देश को भिक्षावृत्ति की समस्या से भी मुक्ति मिलेगी। —विजय कुमार 


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