सोनिया गांधी का सही बयान ‘सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया’

Tuesday, Mar 13, 2018 - 02:26 AM (IST)

इस समय जबकि देश में कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल हाशिए पर आए हुए हैं, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मुम्बई में एक कार्यक्रम में कहा कि ‘‘2019 में हम भाजपा को फिर से सत्ता में नहीं आने देंगे। हम वापसी करेंगे और एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनेगी।’’ सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘2019 के आम चुनाव में कांग्रेस का मुख्य मुद्दा मोदी सरकार के खोखले दावे होंगे और नरेंद्र मोदी के ‘अच्छे दिन’ का हश्र भी वाजपेयी सरकार के ‘इंडिया शाइनिंग’ नारे पर चुनाव लडऩे जैसा ही होगा।’’

सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘मोदी सरकार के 4 वर्ष के कार्यकाल के दौरान काम करने के लम्बे-चौड़े बखान किए जा रहे हैं तो क्या 26 मई, 2014 से पहले देश ब्लैक होल था और तरक्की सिर्फ इन चार वर्षों में ही हुई है?’’ ‘‘2014 में कांग्रेस जनता के साथ सही ढंग से संवाद नहीं कर सकी और भाजपा ने जुमलों एवं मार्कीटिंग के सहारे चुनाव जीत लिए।’’ लोगों से जुडऩे के लिए नया स्टाइल अपनाने की जरूरत पर बल देते हुए सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘भाजपा ने कांग्रेस की छवि एक मुस्लिम पार्टी के तौर पर पेश की जिसका पार्टी को चुनावों में नुक्सान हुआ है।’’ 

सोनिया गांधी ने 2004 में डा. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि ‘‘मैं अपनी सीमाओं से भली-भांति परिचित थी और अच्छी तरह जानती थी कि डा. मनमोहन सिंह मेरी तुलना में बेहतर प्रधानमंत्री सिद्ध होंगे।’’ सोनिया गांधी का उक्त बयान बिल्कुल सही है। हर बात उन्होंने पूरी तरह सोच-विचार कर कही है परंतु उन्हें इन बातों का ध्यान बहुत देर के बाद उस समय आया जब कांग्रेस बहुत कुछ गंवा चुकी है। 4 साल तक उन्हें पता ही नहीं चला और जब एक के बाद एक सत्ता कांगे्रस के हाथ से खिसक गई तब कहीं जाकर उन्हें इसका एहसास हुआ और विरोधी दलों को इकट्ठा करने का ख्याल आया जबकि यह प्रयास तभी शुरू किया जाना चाहिए था जब कांग्रेस तथा अन्य दलों को मार पडऩी शुरू हुई थी। 

सोनिया गांधी की यह स्वीकारोक्ति ठीक है कि उन्होंने डा. मनमोहन सिंह को अपने से बेहतर मानते हुए प्रधानमंत्री बनाया परंतु इन वर्षों के दौरान सोनिया के मन में एक बार भी नेहरू-गांधी परिवार के अलावा किसी अन्य नेता को पार्टी में आगे लाने का विचार नहीं आया, जिसे पार्टी की बागडोर सौंपी जा सके जबकि पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए राहुल गांधी तैयार नहीं थे और उनकी अपनी सेहत ठीक नहीं थी। जहां तक कांग्रेस की छवि एक मुस्लिम पार्टी के तौर पर पेश करने का मामला है, यह आरोप कांग्रेस पार्टी पर काफी समय से लगता आ रहा है जिससे छुटकारा पाने के लिए पार्टी को सभी समुदायों के लोगों को अपनी सही जगह पर रखने और उनके साथ एक जैसा व्यवहार करने की आवश्यकता है।

शून्य से शिखर तक पहुंची भाजपा आज केंद्र सहित देश के 22 राज्यों पर शासन कर रही है जबकि शिखर से शून्य पर लुढ़की कांग्रेस आज अपना खोया अस्तित्व तलाश करने को विवश है। इसका कारण यह है कि कांग्रेस नेतृत्व हमेशा इस नशे में रहा कि उन्हें कोई हरा नहीं सकता परंतु भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मेहनत की और कांगे्रस तथा अन्य विरोधी दलों को हाशिए पर ला दिया। सोनिया ने अपनी पार्टी की हार और इसमें व्याप्त त्रुटियों बारे जो बातें कहीं वे पूर्णत: सही हैं। यदि यही बातें उन्होंने कुछ समय पहले कही होतीं और उन पर अमल किया होता तो कांग्रेस तथा अन्य विरोधी दलों की आज यह दुर्गति न होती। 

सोनिया गांधी को श्री वाजपेयी का उदाहरण सामने रखना चाहिए जिन्होंने 2 दर्जन से अधिक गठबंधन सहयोगियों को एक सूत्र में पिरो कर रखा और सबके सहयोग से शासन चलाया। वह तो देश हित में कांग्रेस का सहयोग लेने के भी विरुद्ध नहीं थे। अत: अब आवश्यकता इस बात की है कि वह जल्दी से जल्दी पार्टी में घर कर गई त्रुटियां दूर करके यथाशीघ्र समविचारक दलों के साथ गठबंधन करें क्योंकि अंतिम समय में किए गए गठबंधनों का कोई लाभ नहीं होता। कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पार्टी रही है अत: उसका मजबूत होना देश के हित में ही है।—विजय कुमार  

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