‘महाकुंभ में चंद महिलाओं ने’ ‘बच्चों को दिया जन्म’

punjabkesari.in Wednesday, Feb 12, 2025 - 05:03 AM (IST)

इन दिनों उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का मेला लगा हुआ है जो 26 फरवरी को सम्पन्न होगा। इस बार के मेले में महिला श्रद्धालुओं की संख्या पुरुषों से अधिक रही। हालांकि मेले की औपचारिक शुरूआत तो 13 जनवरी को हुई परन्तु यहां बनाए गए ‘टैंट सिटी’ में दिसम्बर से ही श्रद्धालुओं ने आना शुरू कर दिया था। 11 फरवरी तक यहां 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश सरकार का अनुमान है कि पूरे महाकुंभ में यहां आस्था की डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 55 करोड़ तक पहुंच जाएगी। यहां अनेक परिवारों के लोगों द्वारा अपने परिवार की गर्भवती महिलाओं को साथ ले आने के कारण 4000 हैक्टेयर में फैले महाकुंभ क्षेत्र में आयोजित इस बार का मेला विभिन्न राज्यों से आई महिला श्रद्धालुओं द्वारा कुंभ प्रवास के दौरान बच्चों को जन्म देने के परिणामस्वरूप भी चर्चा में आ गया है।

इनमें मेला परिसर में काम करने वाले चतुर्थ श्रेणी के अस्थायी कर्मचारियों की पत्नियों के अलावा कुछ व्यापारिक घरानों की महिलाएं भी शामिल हैं। यहां के मुख्य अस्पताल में, अभी तक 12 महिलाएं बच्चों को जन्म दे चुकी हैं जिनमें से चंद का विवरण निम्न में दर्ज है :
* 29 दिसम्बर, 2024 को सबसे पहले इस अस्पताल में कौशांबी (उत्तर प्रदेश) से आई ‘सोनम’ (20) ने एक स्वस्थ बालक को जन्म दिया जिसका नाम उसके परिवार ने ‘कुंभ’ रखा है। 
* 27 जनवरी को ग्वालियर (मध्य प्रदेश) से आई ‘ज्योति शर्मा’ (24) ने एक बच्ची को जन्म दिया। वह 22 जनवरी को अपने परिवार के साथ यहां आई थी। ‘ज्योति शर्मा’ को प्रसव पीड़ा उस समय शुरू हुई जब वह सुबह के समय घाट पर स्नान कर रही थी। 
उसके पति ‘राकेश शर्मा’ के अनुसार, ‘‘ज्योति को प्रसव पीड़ा शुरू होते ही हमने एम्बुलैंस के लिए फोन किया और कुछ ही मिनटों में एम्बुलैंस आकर उसे अस्पताल ले गई।’’  बच्ची का नाम ‘सरस्वती’ रखा गया है।  
* 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन यहां 2 महिलाओं में से एक ने लड़के को तथा दूसरी महिला ने लड़की को जन्म दिया। इनमें से लड़के का नाम ‘बसंत’ और लड़की का नाम ‘बसंती’ रखा गया। 
* 6 फरवरी को बरेली से आई ‘कंचन’ ने बालक को जन्म दिया। 
* 9 फरवरी को 12वें बच्चे को ‘सरायचांदी’ (उत्तर प्रदेश) से आई ‘नेहा सिंह’ ने जन्म दिया। 

अस्पताल के प्रमुख डा. मनोज कौशिक के अनुसार, ‘‘नेहा व उसका पति दीपक इस बच्चे का नाम भी ‘कुंभ’ रखना चाहते थे पर चूंकि 29 दिसम्बर को जन्मे बच्चे के माता-पिता पहले ही उसका नाम ‘कुंभ’ रख चुके थे, इसलिए उन्हें सलाह दी गई कि वे अपने बच्चे का नाम ‘कुंभ-2’ रख लें।’’ दीपक का कहना है कि ‘‘भले ही अस्पताल वाले मेरे बेटे का नाम ‘कुंभ’ नहीं रख रहे हैं मैं उसका नाम ‘कुंभ’ ही रखूंगा।’’  

‘महाकुंभ नगर’ के केंद्रीय अस्पताल की एक नर्स के अनुसार,‘‘कई महिलाएं यहां बच्चों को जन्म देने की इच्छुक थीं क्योंकि उनका विश्वास था कि यहां बच्चों का जन्म उनके तथा परिवार के लिए सौभाग्य लाएगा।’’ हालांकि, ‘महाकुंभ’ का मेला सनातनियों की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है परंतु अत्यधिक भीड़ होने के कारण इसके साथ अनेक खतरे भी जुड़े हुए हैं। जैसा कि इसी मेले के दौरान पिछले दिनों मची भगदड़ में 30 से अधिक श्रद्धालुओं की जान चली गई। अत: इस तरह के अधिक भीड़ वाले आयोजनों में गर्भवती महिलाओं का आना सही नहीं है तथा भीड़ में धक्का आदि लगने के कारण उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए संकट भी पैदा हो सकता है।—विजय कुमार


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