चुनावों के दबाव के कारण आ रही हैं कुछ अच्छी खबरें

Thursday, Dec 20, 2018 - 12:18 AM (IST)

हाल ही में 5 राज्यों के चुनाव सम्पन्न हुए। भाजपा को आशा थी कि इन 5 में से 2 राज्यों मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसे अपनी सत्ता कायम रखने में कुछ सफलता अवश्य मिल जाएगी परन्तु इन राज्यों में भाजपा को निराशा का मुंह देखना पड़ा। जहां मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 15 वर्षों से सत्तारूढ़ भाजपा को सत्ता विरोधी लहर (Anti incumbency) का सामना करना पड़ रहा था, वहीं राजस्थान में तो हर बार बदल-बदल कर सरकारें आने की परम्परा के कारण इस बार भाजपा का सत्ता में आना संदिग्ध ही था। इसे अंतर्कलह एवं आपसी तनातनी का सामना भी करना पड़ रहा था। अत: इन चुनावों में भाजपा की हार कुदरती ही थी।

लेकिन यह किसी के लिए बहुत ज्यादा खुशी मनाने या अफसोस करने की बात नहीं है क्योंकि बदल-बदल कर सरकारें आना देश के लिए अच्छा होता है और राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों में किए गए सभी वायदे पूरे करना भी उनके लिए संभव नहीं होता। केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इसकी स्वीकारोक्ति करते हुए कहा है कि ‘‘चुनाव जीतने से पहले पाॢटयों के वायदे चुनाव जीतने के लिए होते हैं। कई वायदे प्रैक्टिकल होते हैं और कई नहीं होते।’’

बहरहाल, इन चुनावों के परिणाम अच्छी खबर लेकर भी आए हैं। केन्द्र सरकार द्वारा 1 जुलाई, 2017 को लागू जी.एस.टी. ने विशेष रूप से व्यापारियों व आम लोगों के लिए समस्याएं खड़ी कर दी थीं जिनका अंत नजर नहीं आ रहा तथा लाखों छोटे-बड़े व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठïान बंद कर दिए हैं। जी.एस.टी. की ऊंची दरों के चलते व्याप्त असंतोष के दृष्टिïगत 3 राज्यों के नतीजे आने के बाद भाजपा नेतृत्व ने वित्त मंत्री अरुण जेतली से साफ कह दिया है कि आम उपभोक्ता वस्तुओं पर जी.एस.टी. की दर 28 प्रतिशत से घटा कर 18 प्रतिशत की जानी चाहिए।

और अब 18 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुम्बई में जी.एस.टी. को और अधिक सरल बनाने का संकेत दे भी दिया है। उनके अनुसार सरकार चाहती है कि 99 प्रतिशत सामान या वस्तुएं जी.एस.टी. के 18 प्रतिशत या उससे कम टैक्स वाले स्लैब में रहें। इससे इनकी कीमतों में कमी आएगी। हालांकि अभी सरकार की ओर से जी.एस.टी. की दरों में कमी करने की कोई घोषणा नहीं आई है परन्तु आशा की जाती है कि ऐसा जल्दी ही होगा जिससे आम लोगों और व्यापारी वर्ग को कुछ राहत अवश्य मिलेगी।

उल्लेखनीय है कि जी.एस.टी. को लेकर व्यापारी वर्ग में व्याप्त असंतोष को देखते हुए गत वर्ष सरकार ने जी.एस.टी. दरों में कुछ राहत दी थी परन्तु इससे लोग संतुष्टï नहीं हुए तथा बड़ी संख्या में उच्च टैक्स वाली वस्तुओं पर टैक्स घटाना बाकी था। इस बारे हमने 11 नवम्बर, 2017 के अपने सम्पादकीय ‘हिमाचल, गुजरात चुनावों के कारण कई वस्तुओं पर जी.एस.टी. दर घटा कर 18 प्रतिशत की गई’ में लिखा था कि ‘‘हालांकि टैक्स स्लैब में कुछ छूट दी गई है परन्तु इतना ही काफी नहीं है तथा इस बारे बहुत कुछ करना बाकी है।’’

हमें खुशी है कि सरकार ने जी.एस.टी. दरों में कमी करने की आवश्यकता को महसूस करते हुए अब ऐसा करने का संकेत दे दिया है जो जितनी जल्दी किया जाएगा उतना ही अच्छा होगा। इसके साथ ही हम यह भी लिखते रहे हैं कि सरकारें बदल-बदल कर ही आनी चाहिएं तथा इनकी अवधि भी अनेक पाश्चात्य देशों अमरीका आदि की भांति 4 वर्ष ही होनी चाहिए।

बेशक आज देश तरक्की कर रहा है। नई-नई सड़कें और पुल बन रहे हैं, सड़कों पर मोटर-कारों, स्कूटरों आदि की भीड़ बढ़ गई है, जिससे ट्रैफिक जाम लगने लगे हैं, लोगों का रहन-सहन, खाना-पीना बढिय़ा हो गया है परंतु इसमें सरकार का कम और लोगों की अपनी मेहनत का अधिक हाथ है, लेकिन अभी इसमें और बहुत कुछ करना बाकी है। अत: यदि सरकारें बदल-बदल कर आएंगी तो इन कामों में और तेजी आएगी तथा देश खुशहाली की तरफ और कदम बढ़ाएगा। —विजय कुमार

shukdev

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