भ्रष्टाचार पर नकेल कसनी है तो कुछ बड़े कदम उठाने होंगे

Tuesday, Jan 07, 2020 - 01:16 AM (IST)

केन्द्र तथा राज्य सरकारें भ्रष्टाचार को रोकने के कितने ही दावे क्यों न करें तथ्य यह है कि भ्रष्टाचार पर पूरी तरह नकेल कसना आज भी बहुत कठिन प्रतीत होता है और यह बुराई इस कदर बढ़ चुकी है कि इसमें चपड़ासी से लेकर उच्च अफसरशाही के शीर्ष सदस्य तक संलिप्त पाए जा रहे हैं : 

24 दिसम्बर, 2019 को मध्य प्रदेश में राज्य सरकार के एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रियाज उल हक अंसारी के इंदौर स्थित मकान तथा अन्य ठिकानों पर छापे मार कर अधिकारियों ने 50,000 रुपए की नकदी और सोने-चांदी के गहनों के अलावा एक रिहायशी अपार्टमैंट में 2 फ्लैट, 1 पैंट हाऊस, 1 प्लाट, 1 मकान और 1 दुकान के दस्तावेज कब्जे में लिए। 28 दिसम्बर, 2019 को ओडिशा में सतर्कता विभाग ने भुवनेश्वर में राज्य सरकार के एक माली उद्धव बेहेरा के यहां छापा मार कर उसकी ज्ञात आय से अधिक लगभग 1 करोड़ रुपए की अवैध सम्पत्ति जब्त की। 

28 दिसम्बर को ही अधिकारियों ने बंद हो चुके गुजरात राज्य भूमि विकास निगम के अधिकारी प्रवीण प्रेमल के विरुद्ध ज्ञात आय स्रोत से अधिक 10.54 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की सम्पत्ति होने के सिलसिले में केस दर्ज किया। 01 जनवरी, 2020 को विजीलैंस ब्यूरो ने पटियाला में एस.आई. मेवा सिंह को शिकायतकत्र्ता से 10,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। इसी दिन तहसील काम्प्लैक्स तरनतारन के रीडर जगन्नाथ को एक महिला शिकायतकत्र्ता से किसी काम के बदले में 15,000 रुपए रिश्वत की पहली किस्त लेते हुए पकड़ा गया। 04 जनवरी, 2020 को लखनऊ क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के वरिष्ठ अधीक्षक विकास मिश्रा के ठिकानों पर छापेमारी करके 12 लाख रुपए नकद, लगभग 31 लाख की सम्पत्ति से जुड़े दस्तावेज, 5 लाख रुपए के गहनों की फिक्स डिपाजिट रसीद और 45 बैंक खातों से जुड़े दस्तावेज जब्त किए। 

भ्रष्टाचार का यह महारोग कितना गंभीर रूप धारण कर चुका है यह इसी से स्पष्टï है कि पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने 2019 में राज्य में 147 अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। हालांकि देश की नौकरशाही में भ्रष्टाचार के स्तर का पता लगाने के लिए कोई अध्ययन या आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं परंतु उपरोक्त चंद उदाहरणों से स्पष्ट है कि सभी स्तरों पर नौकरशाही कितनी अधिक भ्रष्ट हो चुकी है। लिहाजा देश में सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि देश को घुन की तरह खा रही इस बीमारी पर रोक लग सके।—विजय कुमार

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