छोटी-छोटी रेल दुर्घटनाएं दे रहीं बड़े खतरे की चेतावनी

Sunday, Jan 22, 2023 - 04:31 AM (IST)

भारतीय रेल एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नैटवर्क है। हालांकि 14 जनवरी, 2021 को पश्चिम बंगाल में बीकानेर एक्सप्रैस रेल दुर्घटना में 9 यात्रियों की मृत्यु तथा लगभग 40 लोगों के घायल होने की घटना के बाद कोई बड़ी रेल दुर्घटना नहीं हुई पर इस बीच लगातार हो रही छिटपुट दुर्घटनाएं दूसरा ही इशारा कर रही हैं कि भारतीय रेल में सब ठीक नहीं है : 

* 2 जनवरी को पाली (राजस्थान) में जोधपुर मंडल के ‘राजकियावास-बोमदरा’ सैक्शन के बीच ‘बांद्रा टर्मिनस-जोधपुर सूर्य नगरी एक्सप्रैस’ गाड़ी के 11 डिब्बे पटरी से उतर गए जिससे कई यात्री घायल हो गए।
* 15 जनवरी को रोहतक-जींद (हरियाणा) रेल मार्ग पर ‘समर गोपालपुर’ गांव के निकट एक मालगाड़ी के 6 डिब्बे पटरी से उतर गए। 

* 16 जनवरी को जगदलपुर (मध्य प्रदेश) में ‘किरंदुल-कोत्तावालसा’ रेल लाइन पर विशाखापत्तनम से किरंदुल जा रही पैसेंजर स्पैशल ट्रेन की एक बोगी शिवङ्क्षलगपुरम (आंध्र प्रदेश) स्टेशन यार्ड में पटरी से उतर गई। 
* 18 जनवरी को सवाई माधोपुर (राजस्थान) में कोटा-सवाई माधोपुर रेल खंड स्थित ‘आमली’ स्टेशन यार्ड में रेल पटरी अचानक टूट गई जिसका समय रहते पता चल जाने पर बड़ी दुर्घटना टल गई। 

* 18 जनवरी को ही मुरैना (मध्य प्रदेश) जिले के ‘हेतमपुर’ रेलवे स्टेशन पर अचानक ‘तेलंगाना एक्सप्रैस’ के ए.सी. कोच के कपङ्क्षलग टूट गए। रेलवे स्टाफ ने किसी तरह कपलिंग जोड़ा परंतु मुरैना स्टेशन पर दोबारा कपङ्क्षलग टूट जाने से गाड़ी 2 हिस्सों में बंट गई। गति धीमी होने के कारण दुर्घटना टल गई वर्ना भारी नुक्सान हो सकता था। 

पिछले केवल 19 दिनों में हुई रेल दुर्घटनाएं स्पष्ट प्रमाण हैं कि भारतीय रेलगाडिय़ां किस कदर बड़े जोखिम के किनारे पर हैं। एक ओर देश में तेज रफ्तार रेलगाडिय़ां चलाने की कवायद जारी है तो दूसरी ओर लगातार रेल दुर्घटनाएं हो रही हैं। अत: कोई अप्रिय स्थिति पैदा न हो इसके लिए इनके प्रबंधन और रख-रखाव में तुरंत बहुआयामी सुधार लाने की जरूरत है।—विजय कुमार 

Advertising