पड़ोसी नेपाल, बंगलादेश व श्रीलंका के साथ संबंधों में हल्की सी गर्माहट के मिले संकेत
punjabkesari.in Monday, Nov 18, 2024 - 05:25 AM (IST)
इस समय भारत अपने अनेक ऐसे पड़ोसी देशों से घिरा हुआ है जिनके साथ भारत के रिश्ते सामान्य नहीं हैं या ठंडे हैं। ऐसे ही देशों में नेपाल, बंगलादेश और श्रीलंका शामिल हैं। जहां नेपाल में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के त्यागपत्र के बाद चौथी बार सत्तारूढ़ हुए के.पी. शर्मा ओली के पिछले कार्यकालों के समय से ही भारत और नेपाल के रिश्ते तनावपूर्ण बने रहे हैं, वहीं बंगलादेश में अवामी लीग की नेता और प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिरने और वहां यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार के साथ भी भारत के रिश्ते सामान्य से दूर हैं। कोलम्बो के साथ भी भारत के रिश्तों में दूरी बनी हुई है। |
इस तरह की पृष्ठïभूमि में भारत सरकार ने नेपाल द्वारा बंगलादेश को बिजली पहुंचाने के लिए मदद का ऐतिहासिक समझौता किया है। तीन देशों में पहली बार ऐसा हो रहा है जब भारी बिजली संकट से जूझ रहे बंगलादेश को भारत के ‘ट्रांसमिशन लाइन’ (ग्रिड) द्वारा नेपाल से बिजली भेजी जाएगी। इससे इस क्षेत्र में ‘ऊर्जा सहयोग’ को भी बढ़ावा मिलेगा। इस समझौते के अंतर्गत 15 नवम्बर को एक दिन के लिए बंगलादेश को 40 मैगावाट बिजली निर्यात की गई और अब जून, 2025 से नेपाल-बंगलादेश को फिर से बिजली निर्यात करेगा।
भारत सरकार का कहना है कि नेपाल से बंगलादेश को 40 मैगावाट की आपूर्ति करना एक मजबूत ‘दक्षिण एशियाई बिजली ग्रिड’ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह बिजली भारत की 400 के.वी. मुजफ्फरपुर-बहरामपुर-भेरामारा ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से बंगलादेश तक पहुंचेगी। ‘नेपाल इलैक्ट्रीसिटी अथारिटी’ (एन.ई.ए.) के प्रवक्ता के अनुसार,‘‘5 वर्ष का बिजली निर्यात समझौता सहमत अवधि के दौरान बिना किसी रुकावट के बंगलादेश को बिजली देने में नेपाल को सक्षम बनाता है।’’ जहां तक श्रीलंका का संबंध है, श्रीलंका के संसदीय चुनाव में ‘अनुरा कुमारा दिसानायके’ की पार्टी ‘नैशनल पीपुल्स पावर’ (एन.पी.पी.) ने संसदीय चुनाव में जीत दर्ज करते हुए संसद में दो तिहाई बहुमत हासिल कर लिया है और यह पहला मौका है जब 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद एन.पी.पी. ने तमिल बहुल जाफना जिले में सर्वाधिक वोट प्राप्त किए हैं।
चुनाव नतीजों की घोषणा के तुरंत बाद ‘अनुरा कुमारा दिसानायके’ ने भारत के साथ मजबूत संबंध बनाने की बात कही है और कोलम्बो स्थित भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा से भेंट करके श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने के लिए भारत का सहयोग मांगा है। श्रीलंका के नए राष्ट्रपति के इस दाव से चीन को झटका लगा है क्योंकि चीन की निगाहें लगातार श्रीलंका पर टिकी हुई हैं। ‘अनुरा कुमारा दिसानायके’ के उक्त कथन से देश में आर्थिक सुधारों तथा भारत के साथ मजबूत सांझेदारी बनाने के उनके एजैंडे को मजबूती मिली है। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए भारत का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। पर्यटन से लेकर बैंकिंग क्षेत्र तक भारत की सहायता श्रीलंका के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 2022 से ही भारत द्वारा श्रीलंका को आॢथक सहायता उसके संकटों को दूर करने वाली रही है।
यहां दिए गए दोनों ही सकारात्मक घटनाक्रमों से बंगलादेश, श्रीलंका और नेपाल के साथ हमारे ठंडे पड़े रिश्तों में गर्माहट पैदा होने की आशा बंधी है। ऐसा लगता है कि चारों देश एक बार फिर अपने रिश्तों को पहले की तरह सजीव करने की दिशा में चल पड़े हैं। यह घटनाक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बंगलादेश से शेख हसीना के निष्कासन और उनके भारत में शरण लेने के बाद से बंगलादेश के साथ भी भारत के संबंधों में भारी तनाव आ गया है। वहां हिन्दुओं पर बड़ी संख्या में हमले जारी हैं जिसके विरुद्ध बंगलादेश में ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य देशों में प्रदर्शन भी हो रहे हैं। यह भी विचारणीय है कि चीन की भरपूर कोशिश कि भारत के साथ यह तीन देश न चल सकें, के बावजूद ऐसा छोटा सा कदम फिर भी मुमकिन हो पाया है।
नेपाल के साथ भी हमारे संबंध खराब ही चल रहे थे जिसमें नेपाली समुदाय के लोगों की भारतीय सेना में भर्ती पर रोक का भी बड़ा योगदान रहा परंतु अब बेहतरी की दिशा में बदलाव आता दिखाई दे रहा है। भले ही ये छोटे-छोटे कदम हैं परंतु छोटे-छोटे कदमों से ही लम्बी मंजिल तय की जाती है।