शिवसेना हुई भाजपा से अलग राज्यपाल ने दिया राकांपा को सरकार बनाने का न्यौता

Tuesday, Nov 12, 2019 - 12:14 AM (IST)

आखिर कांग्रेस द्वारा महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना को बाहर से सशर्त समर्थन देने की चिट्ठी के बाद राज्य में सरकार बनाने के लिए भाजपा और शिवसेना में चल रही रस्साकशी गठबंधन टूटने के साथ ही समाप्त हो गई थी और राकांपा तथा कांग्रेस के समर्थन से शिवसेना की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया था। परंतु बाद में शिवसेना ने राज्यपाल से भेंट के दौरान बहुमत जुटाने के लिए 2 दिन का समय मांगा तो राज्यपाल ने इससे इंकार कर दिया और राकांपा को मंगलवार शाम 8 बजे तक सरकार गठन का न्यौता दे दिया।

इससे पूर्व महाराष्ट्र में सत्ता के बंटवारे के प्रश्र पर शिवसेना-भाजपा में 2 सप्ताह से चल रही खींचतान के बीच 8 नवम्बर को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस के त्यागपत्र के बाद 9 नवम्बर को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को सरकार बनाने का न्यौता दिया था।

भाजपा द्वारा 10 नवम्बर को सरकार बनाने का दावा करने से इंकार करने पर राज्यपाल ने दूसरे बड़े दल शिवसेना (56)  को सरकार बनाने का न्यौता देते हुए सोमवार 11 नवम्बर को शाम 7.30 बजे तक इस पर सहमति मांगी।
तेजी से बदलते घटनाक्रम में शिवसेना द्वारा राकांपा और कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाने की पहले से ही चल रही चर्चा के बीच राकांपा ने 10 नवम्बर को शिवसेना को चंद शर्तों के साथ समर्थन देने की बात कही बशर्ते कि राकांपा के गठबंधन सहयोगी इसके लिए सहमत हो जाएं।

राकांपा ने कहा कि शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करेंगे, केंद्रीय भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार में शिवसेना के एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत को मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देना होगा और शिवसेना को भाजपा नीत राजग से गठबंधन तोडऩा होगा। राकांपा सुप्रीमो शरद पवार द्वारा इस बारे तैयार किए गए प्लान में जयंत पाटिल या अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री बनाने की बात कहने के साथ ही यह भी कहा गया कि यदि कांग्रेस सरकार में शामिल हो तो उसका भी एक उपमुख्यमंत्री हो सकता है। इसके अलावा कांग्रेस को विधानसभा में स्पीकर का पद देने का भी प्रस्ताव रखा गया।

11 नवम्बर को जहां अरविंद सांवत ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देने की घोषणा कर दी वहीं उन्होंने कहा कि‘‘अमित शाह और उद्धव ठाकरे के बीच सत्ता की 50-50 भागीदारी पर सहमति बनी थी। लोकसभा चुनाव से पहले सरकार गठन को लेकर एक फार्मूला तय हुआ था परंतु अब भाजपा द्वारा इसे मानने से इंकार किया जा रहा है।’’

यह पूछने पर कि क्या शिवसेना राजग से अलग हो गई है? अरविंद सावंत ने उत्तर दिया,‘‘जब मैंने मंत्री पद से त्यागपत्र ही दे दिया है तो आप समझ सकते हैं कि इसका मतलब क्या है।’’ राकांपा के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा है कि राकांपा शिवसेना का समर्थन करने को तैयार है परंतु इससे पहले वह अपनी गठबंधन सहयोगी कांग्रेस के फैसले का इंतजार करेगी।

राकांपा चाहती थी कि कांग्रेस भी सरकार में शामिल हो जबकि कांग्रेस का एक खेमा शिवसेना सरकार को बाहर से समर्थन देने और दूसरा खेमा सरकार में शामिल होने के पक्ष में था। शिवसेना नेता संजय राऊत का कहना है कि अगर भाजपा जम्मू-कश्मीर में पी.डी.पी. के साथ सरकार बना सकती है तो शिवसेना राकांपा और कांग्रेस के साथ क्यों नहीं? उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल ने भाजपा को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए 72 घंटे दिए जबकि हमें केवल 24 घंटे ही दिए गए।

अंतत: 11 नवम्बर शाम को महाराष्ट्र की राजनीति में 15 दिनों से जारी गतिरोध समाप्त हो गया लगता था जब यह सुनने में आया कि शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे द्वारा सोनिया गांधी से फोन पर लम्बी बातचीत के बाद सोनिया गांधी स्पीकर पद के साथ सशर्त समर्थन के लिए राजी हो गई हैं परंतु राज्यपाल से भेंट के दौरान आदित्य ठाकरे ने सरकार गठन के लिए बहुमत जुटाने को 2 दिन का समय मांगा लेकिन राज्यपाल ने समय देने से इंकार कर दिया और राज्यपाल ने मंगलवार शाम 8 बजे तक सरकार गठन का राकांपा को न्यौता दे दिया। अब जबकि गेंद शिवसेना के पाले से निकल कर राकांपा के पाले में आ गई है, यह देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र की भावी सरकार का क्या स्वरूप बनता है और यह कब तक चलती है।     —विजय कुमार 

Advertising