पंजाब पुलिस में यौन शोषण जोरों पर: आई.जी. गुरप्रीत देओ

Saturday, Mar 10, 2018 - 03:12 AM (IST)

देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति को सुधारने, अपराधियों को पकड़ कर आपराधिक गतिविधियां रोकने, आम जनता को सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करने का काम पुलिस विभाग का है। 

परंतु आज पुलिस में ही अनेक बुराइयां आ गई हैं। पुलिस विभाग के कुछ सदस्यों द्वारा अनुशासन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और नैतिकता के सारे बंधन तोड़ते हुए तमाम अनैतिक कार्य किए जा रहे हैं। इनमें अपने ही महिला स्टाफ से दुव्र्यवहार और उनका यौन शोषण तक शामिल है। महिला दिवस पर लुधियाना में आई.जी. (प्रोविजनिंग) तथा यौन शोषण के मामलों संबंधी आंतरिक शिकायत कमेटी की प्रमुख गुरप्रीत देओ ने एक राज्य स्तरीय पुलिस कांफ्रैंस में बोलते हुए कहा : 

‘‘पंजाब पुलिस में कार्यस्थलों पर व्यापक यौन शोषण हो रहा है। पुलिस विभाग में ऐसे मामले नियमित रूप से सामने आ रहे हैं और यह बुराई रोकने के लिए कड़े पग उठाने की जरूरत है।’’ ‘‘इसके लिए आंतरिक शिकायत समितियां प्रत्येक पुलिस जिले और कमिश्नरेट में गठित की गई हैं जहां महिला पुलिस कर्मी अपनी शिकायतें दर्ज करवा सकती हैं और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।’’ हाल ही में एक महिला कांस्टेबल ने फाजिल्का के एक डी.एस.पी. पर उससे छेड़छाड़ करने, रात को फोन पर परेशान करने और अधिकारियों से शिकायत न करने का दबाव बनाने का आरोप लगाया था। 

देओ ने कहा, ‘‘शिकायत कमेटी में यह मामला लाए जाने पर हमने जांच शुरू करवाई और डी.एस.पी. को फौरन फील्ड ड्यूटी से हटा दिया।’’ महिला सिपाही ने बाद में स्पष्टत: दबाव के अधीन अपनी शिकायत वापस ले ली परंतु मामले की जांच के दौरान डी.एस.पी. के विरुद्ध उसके द्वारा लगाए गए आरोप सही सिद्ध हुए। देओ ने कहा, ‘‘अब इस अधिकारी के विरुद्ध कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई होगी। बङ्क्षठडा का एक ए.एस.आई. भी ऐसे ही आरोपों का सामना कर रहा है तथा उसे भी डी.जी.पी. ने फील्ड ड्यूटी से हटा दिया है।’’ इस अवसर पर उत्तराखंड की पूर्व डी.जी.पी. कंचन चौधरी भट्टाचार्य ने दुख व्यक्त किया कि जहां एक ओर महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों के बराबर काम कर रही हैं वहीं पुलिस विभाग में सैक्सुअल ह्रïासमैंट तथा छेड़छाड़ के बढ़ रहे मामलों के कारण ही अधिकांश लड़कियां पुलिस विभाग में अपना करियर नहीं बनाना चाहतीं। 

इसी बीच डी.जी.पी.(आधुनिकीकरण तथा प्रशासन) एम.के. तिवारी से शिकायत में कुछ महिला पुलिस कर्मचारियों ने एस.एच.ओ. तथा ए.एस.आई. दर्जे के अधिकारियों पर आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियों को जनता के साथ विनम्रतापूर्ण व्यवहार करने के आदेशों के बावजूद, वे उन (महिला स्टाफ) की मौजूदगी में पुलिस थानों में अशिष्ट भाषा का इस्तेमाल करते हैं। इस पुलिस कांफ्रैंस में महिला पुलिस कर्मियों ने यहां तक कहा कि थानों में अनेक पुलिस कर्मचारी ड्यूटी दौरान शराब पीकर गाली-गलौच करते हैं जिन्हें सुनकर उन्हें शर्म आती है और पुलिस थानों में उनके साथ कोई गलत हरकत होने पर शिकायत करने के बावजूद कार्रवाई नहीं होती। जब पुलिस विभाग में पुरुष स्टाफ द्वारा अपनी महिला सहकर्मियों के साथ इस प्रकार का व्यवहार किया जाता है तो आम लोगों के साथ वे किस प्रकार का व्यवहार करते होंगे इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है। 

अव्वल तो शिकायत लिखी नहीं जाती और यदि लिखी भी जाए तो उस पर कार्रवाई नहीं होती। इसीलिए जनसाधारण, विशेषकर महिला वर्ग अपनी शिकायतें लेकर पुलिस थानों में जाने से संकोच करता है। यदि पुलिस बल से जुड़े लोग अपनी ही सहकर्मियों का इस प्रकार शोषण कर रहे हैं तो फिर भला आम लोगों की उनके सामने क्या औकात है। अत: जिस प्रकार पंजाब सरकार ने रेत माफिया के विरुद्ध अब कार्रवाई शुरू की है उसी प्रकार पंजाब पुलिस में शामिल अपराधी वृत्ति के स्टाफ के विरुद्ध भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।—विजय कुमार 

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