‘जो बाइडेन’ की गुप्त यूक्रेन यात्रा ‘रूस को स्पष्ट संदेश’

punjabkesari.in Wednesday, Feb 22, 2023 - 04:18 AM (IST)

1941 में जापान द्वारा अमरीकी नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर हमले में अमरीका के अनेक जहाज नष्ट करने के अलावा 2400 से अधिक सैनिक मार डाले गए थे। उल्लेखनीय है कि अमरीका द्वितीय विश्व युद्ध में कुछ समय बाद दाखिल हुआ जबकि द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने के बाद 1939 से 1941 तक वह तटस्थ रहा था क्योंकि वह न यूरोप की ओर था और न ही जर्मनी की ओर। जर्मनी के तानाशाह हिटलर की 30 अप्रैल, 1945 को मौत के बाद जर्मनी ने मित्र सेनाओं के समक्ष समर्पण कर दिया परन्तु अगस्त तक जापान ने समर्पण नहीं किया।

इसलिए अमरीका ने हिरोशीमा और नागासाकी पर बम गिराए जिसमें लाखों लोग मारे गए। अमरीका के युद्ध में उतरने के कारण ही विश्व युद्ध में इंगलैंड की विजय हुई क्योंकि तब तक जर्मनी की ओर से रोज की जाने वाली बम वर्षा के कारण इंगलैंड की हालत खस्ता हो चुकी थी। उस समय जापान और अमरीका कट्टर शत्रु थे लेकिन आज बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य में ये दोनों गहरे राजनीतिक और सामरिक सहयोगी बन चुके हैं और रूस के विरुद्ध यूक्रेन का साथ दे रहे हैं।

एक वर्ष से रूस और यूक्रेन में जारी भीषण युद्ध के बीच, पूरी दुनिया को चौंकाते हुए अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 फरवरी को यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात के लिए  यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंच गए। इस यात्रा के दौरान बाइडेन ने यूक्रेन को 50 करोड़ डालर की सैन्य सहायता के साथ-साथ महत्वपूर्ण सैन्य उपकरण देने के अलावा यूक्रेन के लोकतंत्र, सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए बिना शर्त समर्थन जारी रखने का वायदा किया।

बाइडेन का यह दौरा कितना गुप्त रखा गया, यह इसी से स्पष्ट है कि पोलैंड में एक घंटा रुकने के बाद रेलगाड़ी द्वारा उनके यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचने की भनक कीव में चंद लोगों को भी कुछ मिनट पहले ही लगी। बाइडेन 5 घंटे से अधिक समय तक कीव में रहे। उस दौरान वहां हवाई हमले से सतर्क करने वाले सायरन बजते रहे। बाइडेन के आने से पहले कीव को ‘नो-फ्लाई जोन’ घोषित कर दिया गया था। यूक्रेन में ऐसे सक्रिय युद्ध क्षेत्र में, जहां अमरीका सीधे तौर पर युद्ध में शामिल नहीं है, पहुंचने वाले जो बाइडेन पहले अमरीकी राष्ट्रपति हैं।

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार बाइडेन का यूक्रेन पहुंचना अत्यंत जोखिम भरा कदम था। यह अमरीका की ओर से रूस को बड़ा संकेत है कि वह यूक्रेन में आर-पार के लिए तैयार है और भले ही यूरोपीय देश पीछे हट जाएं अमरीका यूक्रेन को समर्थन जारी रखेगा। इस समय जबकि यूरोप के सब देशों को महंगाई तथा अन्य समस्याओं के कारण अपनी-अपनी अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने का डर सताने के कारण यूक्रेन को कुछ देश ही समर्थन दे रहे हैं और यूक्रेन को नवीनतम हथियार, टैंक आदि नहीं मिल रहे हैं, ऐसे में अमरीका ने उसे सहायता देने के लिए आगे आकर अन्य यूरोपीय देशों को भी यूक्रेन के साथ मजबूती से खड़े रहने का संदेश दिया है। इस युद्ध में दोनों पक्ष अपने आपको सही साबित करने की कोशिश कर रहे हैं परन्तु मारे तो निर्दोष लोग जा रहे हैं। यह कहना मुश्किल है कि कब इस युद्ध में परमाणु युद्ध की एंट्री हो जाए जिससे लाखों-करोड़ों लोग मौत के मुंह में समा सकते हैं।

अत: जरूरत इस बात की है कि विश्व के अग्रणी देश दोनों पक्षों के साथ बैठ कर विचार-विमर्श से इस समस्या का कोई शांतिपूर्ण स्वीकार्य हल निकालें। ऐसा होने से इस युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले तबाही के सामान पर खर्च हो रही अरबों-खरबों डालर की राशि समाज की भलाई के कार्यों पर खर्च की जा सकती है और लोगों को बारूद के इस्तेमाल से होने वाली तबाही, फैल रहे प्रदूषण व अन्य समस्याओं से बचाया जा सकता है। जब तक सभी वैश्विक शक्तियां मिलकर नहीं बैठेंगी तब तक कोई समझौता होने वाला नहीं है।

सभी को इकट्ठे मिल कर रूस पर दबाव डालना पड़ेगा जो चीन द्वारा रूस का समर्थन जारी रखने के कारण इस समय संभव होता दिखाई नहीं दे रहा है। यदि रूस के पास हथियार समाप्त हो जाएंगे तो भी चीन उसे समर्थन देता रहेगा, इसलिए यह परोक्ष रूप से चीन को भी एक चेतावनी तथा संदेश है।  आज केवल यूक्रेन और रूस को ही नहीं, सभी पक्षों को यह महसूस करने की आवश्यकता है कि यह जीवन अच्छी तरह जीने के लिए मिला है, आपस में लडऩे-झगडऩे और ङ्क्षहसा के लिए नहीं। -विजय कुमार


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