ट्रिब्यूनलों में खाली पड़े पदों बारे सुप्रीमकोर्ट की केंद्र सरकार को फटकार

Wednesday, Aug 11, 2021 - 06:06 AM (IST)

ट्रिब्यूनल (न्यायाधिकरण) मूल रूप से हाईकोर्ट या अन्य अदालतों के पूरक के रूप में काम करते हैं। इनका गठन किसी कानून या प्रशासनिक कानून के अंतर्गत विभिन्न विवादों पर शीघ्र न्याय प्रदान करने के लिए किया जाता है। परंतु काफी समय से देश के 15 प्रमुख ट्रिब्यूनलों मेें प्रिजाइडिंग अधिकारियों, न्यायिक और तकनीकी सदस्यों आदि के पद खाली पड़े होने के कारण ये लगभग निष्क्रिय होने के चलते अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रहे। 

इसी संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट के प्रधान न्यायाधीश माननीय एन.वी. रमन्ना तथा न्यायमूॢत सूर्यकांत ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए साफ तौर पर बताने को कहा है कि ‘‘आप इन ट्रिब्यूनलों को जारी रखना चाहते हैं या बंद करना?’’ ‘‘देश के विभिन्न ट्रिब्यूनलों में 20 प्रिजाइङ्क्षडग आफिसरों, 110 न्यायिक सदस्यों तथा 111 तकनीकी सदस्यों के पद खाली हैं। हमें संदेह है कि कोई लॉबी इस बात को यकीनी बनाने के लिए काम कर रही है कि ये पद न भरे जाएं। अफसरशाही भी इस मामले में उदासीन है। इस दुखद स्थिति पर सरकार का क्या स्टैंड है?’’ 

माननीय न्यायाधीशों ने भारत सरकार के ‘सॉलिसिटर जनरल’ तुषार मेहता को 10 दिनों के भीतर बताने को कहा कि ट्रिब्यूनलों में खाली पड़े उक्त पदों को भरने के लिए सरकार क्या कर रही है, जिनकी सिफारिश सुप्रीमकोर्ट के जजों की अध्यक्षता वाली वैधानिक चयन समिति ने बहुत पहले की थी? पीठ ने महत्वपूर्ण सी.जी.एस.टी. कानून बनाए जाने के 4 वर्ष बाद भी सी.जी.एस.टी. संबंधी विवादों को सुलझाने के लिए अपील ट्रिब्यूनल गठित न करने पर वित्त मंत्रालय को भी फटकार लगाई और कहा : 

‘‘यह एक दुखद स्थिति है। एक सप्ताह के भीतर सरकार को इस विषय में कुछ करना चाहिए वर्ना हम देश के शीर्ष अधिकारियों को अदालत में तलब करके पूछने को विवश होंगे कि नियुक्तियां क्यों नहीं की जा रहीं? यह मामला लटकाएं मत। जहां कहीं भी चयन समितियों ने नियुक्तियों के लिए सिफारिश कर रखी है, वहां नियुक्तियां तुरंत की जा सकती हैं। न्यायपालिका का बोझ घटाने के लिए गठित ट्रिब्यूनलों में नियुक्तियां न करना इन्हें नाकारा बनाने और इनके गठन पर खर्च किया गया धन नष्ट करने के ही समान है। अत: इस बारे केंद्र सरकार जितनी जल्दी कार्रवाई करेगी पीड़ित पक्ष को न्याय मिलने के मामले में उतना ही अच्छा होगा।—विजय कुमार 

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