सलाहुद्दीन के ‘इंटरव्यू ने खोली’ पाकिस्तान के ‘झूठ की पोल’

punjabkesari.in Tuesday, Jul 04, 2017 - 11:57 PM (IST)

1946 में कश्मीर के बडग़ाम जिले के ‘सोईबग’ गांव में जन्मा मो. यूसुफ शाह कश्मीर यूनिवॢसटी से मास्टर्स डिग्री करने के बाद अध्यापन के साथ ही श्रीनगर में एग्जीबिशन ग्राऊंड स्थित जामा मस्जिद में इमाम भी बन गया।

1987 में ‘अमीरा कदल’ से विधानसभा चुनाव हारने के बाद उसने बंदूक उठा ली और हथियारों की ट्रेङ्क्षनग लेने पाक अधिकृत कश्मीर चला गया।  वहां से 1989 में लौट कर एहसान डार, मो. अब्दुल्ला बांगरू, शम्सुल हक और मो. यूसुफ शाह आदि ने ‘हिजबुल मुजाहिद्दीन’ का गठन किया जो पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. की मदद से तेजी से फैली।

जल्दी ही यूसुफ शाह इसका पैट्रन बन गया और फिर 1991 में मो. एहसान डार को ‘सत्ता‘युत’ कर खुद को इसका सरगना घोषित करने के बाद ‘सलाहुद्दीन’ बन कर 199& में पाकिस्तान चला गया।

अब 71 वर्ष का हो चुका ‘सलाहुद्दीन’ ‘पाक अधिकृत कश्मीर’ में ही रहता है। उसने वहां ‘हिजबुल मुजाहिद्दीन’ सहित 1& आतंकवादी गिरोहों को ‘युनाईटेड जेहाद कौंसिल’ के बैनर तले इकट्ठा किया है।  ‘लश्कर-ए-तोयबा जैसे गिरोह भी इसके सदस्यों के रूप में काम करते हैं।

भारत सरकार द्वारा भगौड़ा घोषित ‘सलाहुद्दीन’ कई दशकों से जम्मू-कश्मीर व आसपास आतंकी घटनाओं को अंजाम देता आ रहा है जिनमें इस क्षेत्र में तैनात 5 लाख भारतीय सैनिकों को निशाना बनाना भी शामिल है। वह जम्मू-कश्मीर सहित भारत में हवाला फंङ्क्षडग के 50 से अधिक मामलों में वांछित है और इनमें पठानकोट एयरबेस पर हमला भी शामिल है।

इस समय जबकि भारत और पाकिस्तान के आपसी रिश्ते अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंचे हुए हैं, पिछले महीने अमरीका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित ‘सलाहुद्दीन’ ने 2 जुलाई को पाकिस्तान के ‘जिओ टी.वी.’ पर एक इंटरव्यू में खुलेआम भारत में आतंकी वारदातें अंजाम देने की बात मानी है। (उसके अपने ही शब्दों में) उसका कहना है कि : 

‘‘खुद इंडिया के अंदर हमारे बहुत सारे सपोर्टर हैं जिनको हमसे हमदर्दी है और हमने चंद कार्रवाइयां करके दिखाई हैं।’’कश्मीर को अपना घर बताते हुए ‘सलाहुद्दीन’ ने स्वीकार किया कि :

‘‘अभी तक कश्मीरी आतंकवादियों ने जितनी भी कार्रवाइयां की हैं या करने वाले हैं उनमें हमारा फोकस हिन्दुस्तानी सुरक्षा बलों पर ही रहा है और हम भारत में किसी भी जगह पर और जब चाहें हमला कर सकते हैं।’’

‘‘हमारी लड़ाई कश्मीर की आजादी के लिए है और यह जारी रहेगी। इसके लिए काम कर रहे कश्मीरी आतंकी गिरोहों को अल कायदा या तालिबान नहीं कहा जा सकता। पाकिस्तान और चीन दोनों नैतिक और कूटनीतिक रूप से भारत से आजादी के लिए कश्मीरियों के संघर्ष का समर्थन करते हैं।’’ ‘‘हम इंटरनैशनल मार्कीट से हथियार प्राप्त करते हैं और यदि मुंह मांगी कीमत दी जाए तो कोई भी हथियार हासिल करवा सकते हैं।’’

उल्लेखनीय है कि ‘सलाहुद्दीन’ को अमरीका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करते ही पाकिस्तान ने उसकी तथा हाफिज सईद की सिक्योरिटी कई गुना बढ़ा दी है और ये दोनों ही आतंकवादी भारत में अन्य आतंकवादी घटनाओं के अलावा 2008 के मुम्बई हमलों के सिलसिले में भी वांछित हैं।

‘सलाहुद्दीन’ को अमरीका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने पर पाकिस्तान की तिलमिलाहट व उसकी सुरक्षा बढ़ाने तथा स्वयं ‘सलाहुद्दीन’ द्वारा भारत विरोधी वारदातों में शामिल होने की स्वीकारोक्ति के बाद कोई शक ही नहीं रहता कि भारत में आतंकी घटनाएं पाकिस्तान की शह पर ही हो रही हैं।

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अशोक प्रसाद के अनुसार, ‘‘सलाहुद्दीन के इंटरव्यू से सिद्ध हो गया है कि किस प्रकार पाकिस्तान में आतंकवादी गिरोहों को पूरी आजादी प्राप्त है और आर्थिक सहायता के अलावा हथियारों और इन्हें आगे सप्लाई करने तक भी इनकी पूरी पहुंच है।’’

इन सबसे यह बात भी साफ हो गई है कि भारत विरोधी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान अपने पाले हुए आतंकवादियों का पूरा-पूरा इस्तेमाल कर रहा है जिसमें वहां की सेना और गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. इनका पूरी तरह खुलकर साथ दे रही हैं। इन हालात में पाकिस्तान के साथ बातचीत की नहीं बल्कि और अधिक सतर्क होने तथा इस मसले को फौलादी हाथों से निपटाने की जरूरत है।     —विजय कुमार 


 


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