बढ़ती महंगाई ने बिगाड़ा लोगों का घरेलू बजट

punjabkesari.in Sunday, Feb 05, 2023 - 03:43 AM (IST)

देश में महंगाई में भारी वृद्धि से घरेलू बजट बिगड़ कर रह गया है। उदाहरण स्वरूप 10 किलो आटा जो जुलाई 2022 में 300 रुपए में मिलता था, जनवरी 2023 में बढ़ कर 350 रुपए हो गया। इसी प्रकार चावल के 10 किलो के दामों में भी 110 रुपए की वृद्धि हुई है, दाल अरहर 100 रुपए से 110 रुपए, दाल उड़द 90 से 110 रुपए, दाल चना 60 रुपए से बढ़कर 70 रुपए, काला चना 60 रुपए से बढ़कर 75 रुपए, चीनी 40 रुपए से बढ़कर 45/50 रुपए, राजमां 80 से 140 रुपए, तेल सरसों 170 रुपए से बढ़कर 190 रुपए के आसपास पहुंच गया है। मसालों के दाम भी 30 रुपए से 100 रुपए प्रति किलो तक बढ़ गए हैं। नहाने के साबुन, वाशिंग पाऊडर, टूथपेस्ट, शैम्पू, विभिन्न सौंदर्य उत्पादों व क्रीम आदि के दाम भी 3 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। 

एक फरवरी को पेश वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट के तुरंत बाद अमूल ने दूध के दाम में गुजरात में 3 रुपए तथा अन्य राज्यों में 2 रुपए प्रति लीटर बढ़ौतरी कर दी है जबकि एक वर्ष के भीतर ही इसने अपने दूध के मूल्यों में 8 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की है। कम्पनी के अनुसार चारा महंगा होने के कारण उसे दाम बढ़ाना पड़ा है। दुग्ध उत्पादक ‘वेरका’ ने भी दूध के दाम 3 से 4 रुपए प्रति लीटर बढ़ाने की घोषणा कर दी है। ‘मदर डेयरी’ भी 27 दिसम्बर, 2022 को दूध का भाव 2 रुपए प्रति लीटर बढ़ा चुकी है। महंगाई के कारण रसोई का मासिक राशन जो पहले 5000 रुपए में आता था वह अब 6000 से 6500 रुपए के बीच मिल रहा है। शहरों के मुकाबले गांवों में महंगाई अधिक बढ़ रही है क्योंकि वहां सामान पहुंचाने में ट्रांसपोर्ट का अतिरिक्त खर्च भी जुड़ जाता है। 

यही नहीं, पंजाब की ‘मान मंत्री परिषद’ ने 3 फरवरी को अपने मंत्रिमंडल की बैठक में पैट्रोल और डीजल की बिक्री पर वैट दरों में वृद्धि को स्वीकृति देते हुए इस पर 90 पैसे प्रति लीटर सैस लगाने का निर्णय किया है जिसके परिणामस्वरूप पंजाब में पैट्रोल व डीजल के दाम 90-90 पैसे प्रति लीटर बढ़ जाएंगे। नवम्बर, 2021 में पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पैट्रोल के दाम में 10 रुपए और डीजल के दाम में 5 रुपए प्रति लीटर की कटौती की थी जिससे पंजाब में पैट्रोल व डीजल के दाम पड़ोसी राज्यों की बराबरी पर आ गए थे परंतु अब एक बार फिर 90 पैसे प्रति लीटर सैस लगाने से दाम पड़ोसी राज्यों हिमाचल, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर से अधिक हो जाएंगे। इससे राज्य की जनता पर लगभग 470 करोड़ रुपए वार्षिक बोझ पड़ेगा। हालांकि सरकार द्वारा खुले बाजार में गेहूं की बिक्री से गेहूं के दाम में 10 प्रतिशत गिरावट आई है लेकिन आटा फिलहाल सस्ता नहीं हुआ है क्योंकि जिनके पास पुराना स्टॉक है वे इसे पुराने महंगे भाव पर ही बेच रहे हैं। 

कच्चे माल के दामों में वृद्धि के कारण एफ.एम.सी.जी. श्रेणी (रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुएं) की वस्तुओं के दाम में बढ़ौतरी हुई है। पैकेजिंग में बदलाव के कारण भी दाम बढ़े हैं। इससे जहां एक ओर आम लोगों की जेब हल्की हो रही है तो दूसरी ओर गृहिणियों का घरेलू बजट भी बिगड़ रहा है। कुल मिलाकर देश में महंगाई ने लोगों के लिए कठिन स्थिति उत्पन्न कर रखी है जिसमें विशेष रूप से निम्र और निम्र मध्यम वर्ग की रसोई का जायका ही नहीं बिगड़ा बल्कि परिवार की अन्य जरूरतें पूरी करने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। 

उल्लेखनीय है कि चूंकि इस वर्ष 9 राज्यों के चुनावों के अलावा कुछ उप चुनाव भी होने हैं, इसलिए इनके परिणामों को वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के ट्रेलर के रूप में देखा जा रहा है। अत: सरकारों को इस ओर ध्यान देकर महंगाई पर अंकुश लगाने की दिशा में प्रयास करना चाहिए। यदि महंगाई इसी तरह बढ़ती रही तो इसका प्रभाव आने वाले चुनावों के परिणामों में जनता  की नाराजगी के रूप में सामने आएगा।—विजय कुमार  


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