डॉलर के मुकाबले रुपए में रिकॉर्ड गिरावट ‘लोगों की जेब पर बढ़ेगा बोझ’

Saturday, Jul 02, 2022 - 03:50 AM (IST)

मुद्रा बाजार में डालर के मुकाबले रुपए में गिरावट का सिलसिला पिछले कई दिनों से जारी है तथा 1 जुलाई को यह 78.94 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। वास्तव में रिजर्व बैंक ने रुपए की गिरावट को थामने के लिए पिछले कुछ दिनों के दौरान कदम तो उठाए परन्तु इस पर काबू नहीं पाया जा सका। डॉलर के मुकाबले रुपए में गत एक महीने में ही 1.87 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है, जबकि वर्ष 2022 में अब तक भारतीय मुद्रा 6.28 प्रतिशत टूट चुकी है और अर्थशास्त्रियों को डॉलर के मुकाबले इसके और लुढ़कने की आशंका है। 

उल्लेखनीय है कि रुपया इस वर्ष सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली एशियाई मुद्राओं में से एक करार दिया गया है। रुपए में गिरावट से निर्यातकों को लाभ तथा आयातकों को हानि होगी। किसी वस्तु का निर्यात करने से कारोबारियों को डॉलर के हिसाब से अदायगी होने से अधिक रुपया मिलेगा जबकि आयात करने पर डॉलर के रूप में अदायगी करने से अधिक रुपए देने होंगे। यह स्थिति देश की अर्थव्यवस्था के लिए कठिनाई पैदा करने वाली है। इससे महंगाई बढ़ेगी जिसका निश्चित रूप से आम आदमी की जेब पर बोझ पड़ेगा। इससे विदेश से आयात की जाने वाली सब वस्तुएं खाद्य तेल, मोबाइल फोन, लैपटॉप आदि महंगी हो जाएंगी। 

पैट्रोल डीजल पर तो इसकी दोहरी मार पड़ेगी। इससे विदेश यात्रा और विदेश घूमना भी महंगा हो जाएगा। जिन लोगों के बच्चे विदेश में पढ़ते हैं, उन्हें खर्च के लिए अधिक रकम भेजनी पड़ेगी। 
अर्थशास्त्रियों के अनुसार यदि रिजर्व बैंक बड़ी मात्रा में डॉलर बेचेे तो रुपए की गिरावट रुक सकती है परंतु यह रुकावट अस्थायी ही होगी और इससे हानि यह होगी कि हमारा विदेशी मुद्रा भंडार कम हो जाएगा। 

इस गिरावट को रोकने का दूसरा तरीका यह है कि डॉलर कमाने के लिए देश का निर्यात बढ़ाया जाए परंतु यह भी रातों-रात संभव नहीं है, अत: फिलहाल रुपए की गिरावट का खतरा बना ही रहेगा। आम लोगों के लिए इसके प्रभावोंसे बचाव का एकमात्र उपाय अपने खर्चों में कमी करना ही है।—विजय कुमार

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