भ्रष्टाचार की दलदल में धंसे सरकारी अधिकारी और कर्मचारी

Thursday, Apr 28, 2016 - 01:41 AM (IST)

हमारे देश में ‘यथा राजा तथा प्रजा’ वाली कहावत शत-प्रतिशत सत्य सिद्ध हो रही है। राजनीतिज्ञों और अधिकारियों को भ्रष्टाचार में लिप्त देख कर उनके अधीनस्थ भी अब अपने वारे-न्यारे करने में जुटे हुए हैं।

 
सी.बी.आई. ने गत वर्ष 2411 राजपत्रित अधिकारियों की शिनाख्त की  जिन पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का संदेह है और यह संख्या इससे पिछले साल की तुलना में 87 प्रतिशत अधिक है। इस वर्ष 29 फरवरी तक सी.बी.आई. द्वारा राजपत्रित अधिकारियों के भ्रष्टाचार के 1200 मामलों में जांच की जा रही है। यहां पेश हैं पिछले एक महीने में सरकारी भ्रष्टाचार के चंद उदाहरण : 
 
* 29 मार्च को महाराष्ट के सतारा में कर्मचारी राज्य बीमा निगम के सुरक्षा अधिकारी को एक कारोबारी से उसकी फर्म पर लगा 3 लाख रुपए जुर्माना माफ करने के बदले में 25,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। 
 
* 14 अप्रैल को सी.बी.आई. की जयपुर और जोधपुर की दो टीमों ने श्रीगंगानगर स्थित साधुवाली छावनी में छापा मार कर सेना के 5 अधिकारियों व कर्मचारियों को 60,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। 
 
* 14 अप्रैल को जारी पी.आर.टी.सी. की एक विज्ञप्ति के अनुसार विभिन्न बस डिपुओं में तैनात इसके 100 से अधिक बस कंडक्टरों को 10 रुपए से 500 रुपए तक की टिकट चोरी करने के आरोप में पिछले 3 महीनों में रंगे हाथों पकड़ा गया। 
 
* 18 अप्रैल को लड़ाई के एक मामले में यथाशीघ्र चार्जशीट दायर करने के बदले में 35,000 रुपए रिश्वत लेते हुए दाभोल पुलिस चौकी के सब-इंस्पैक्टर पांडुरंग चवन को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के रत्नागिरी यूनिट ने गिरफ्तार किया।
 
* 19 अप्रैल को पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन, लुधियाना के फोकल प्वाइंट में तैनात जूनियर इंजीनियर रूपिंद्र सिंह को एक हौजरी व्यापारी से फैक्टरी का मीटर लगाने के बदले 10,000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। 
 
* 21 अप्रैल को वन विभाग के 2 पेड़ काटने की अनुमति देने के बदले में 40,000 रुपए रिश्वत लेते हुए दिल्ली सरकार में वन विभाग के कर्मचारी दिनेश कुमार को रंगे हाथ पकड़ा।
 
* 23 अप्रैल को सी.बी.आई. की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने उत्तरी रेलवे अम्बाला छावनी के टै्रक डिपो के एक सीनियर सैक्शन इंजीनियर हरमिंद्र सिंह को एक ठेकेदार से 25,000 रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा।
 
* 23 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के रायपुर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने राज्य के अनेक अधिकारियों और कर्मचारियों के यहां छापा मारकर करोड़ों रुपए की आय से अधिक सम्पत्ति का पता लगाया। 
 
एक अधिकारी के घर के बाथरूम में छिपाकर रखे 21 लाख रुपए व सेवानिवृत्त अधिकारी गुलाम मोहम्मद खान के पास 25 लाख रुपए के 3 मंजिला मकान और पत्नी, बेटी तथा स्वयं के नाम पर जमीन के दस्तावेज बरामद किए गए।  
 
अंबिकापुर में लोक निर्माण विभाग में कार्यपालन अभियंता फेबियन खेस के पास लगभग 4 करोड़ रुपए मूल्य के मकान और जमीन  के दस्तावेज तथा 1 लाख 85 हजार रुपए नकद बरामद किए गए।
 
जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता उमाशंकर राम के यहां से 3 लाख 55 हजार रुपए नकद, डेढ़ करोड़ रुपए कीमत की जमीन, 50 एकड़ के फार्म हाऊस के दस्तावेज और सोने, चांदी के जेवरात मिले। 
 
रायगढ़ के जिला शिक्षा अधिकारी एन.के. द्विवेदी से 50 हजार रुपए नकद व लगभग 2 करोड़ रुपए के मकान और जमीन के दस्तावेज मिले। इसी दिन राजनांद गांव में सिंचाई विभाग के डिप्टी इंजीनियर जी.आर. देवांगन के यहां छापे में 1 लाख रुपए नकद, उसकी पत्नी और बेटे के नाम पर प्लाट, बैंक के लॉकर के दस्तावेज, कार, दूसरे शहरों में अनेक प्लाटों और मकानों के स्वामित्व के दस्तावेज तथा भारी मात्रा में सोने-चांदी के गहने बरामद किए गए। 
 
ये तो लगभग एक मास में रिश्वत के मामलों के चंद उदाहरण मात्र हैं जबकि इनके अलावा भी असंख्य ऐसे मामले हुए होंगे जो प्रकाश में नहीं आ सके। यदि कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो स्पष्ट है कि मंत्रियों, राजनीतिज्ञों और उच्च पदासीन अधिकारियों की देखादेखी मातहत स्टाफ में भी भ्रष्टाचार कितनी गहरी जड़ें जमा चुका है। 
 
आज यह आशा ही समाप्त होती जा रही है कि भारत में रिश्वत दिए बिना भी काम करवाया जा सकता है। भ्रष्टाचार के मामलों के लगातार सामने आने से स्पष्ट है कि नई सरकार में भी यह बढ़ता ही जा रहा है।
 
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