छापे मारे जाते रहने चाहिएं सरकारी दफ्तरों, अस्पतालों व स्कूलों में

Saturday, Dec 21, 2019 - 01:09 AM (IST)

हम शुरू से ही लिखते आ रहे हैं कि हमारे मंत्रियों, नेताओं और अधिकारियों को अपने राज्यों में सड़क मार्ग से यात्रा करनी चाहिए तथा मार्ग में पडऩे वाले स्कूलों, अस्पतालों एवं सरकारी दफ्तरों में अचानक छापे मारने चाहिएं ताकि उन्हें उनकी वास्तविक स्थिति का पता चल सके। हमने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल से भी आग्रह किया था कि वह राज्य में कहीं आते-जाते समय सड़क मार्ग से यात्रा करें और इस दौरान वह किसी स्कूल, अस्पताल या सरकारी दफ्तर में बिना पूर्व सूचना के अचानक पहुंच जाएं तो उन्हें वहां की समस्याओं का पता चलेगा और साथ ही उस इलाके के अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों के कार्य में स्वत: ही कुछ सुधार हो जाएगा। 

हमारे सुझाव पर 2010 में यह सिलसिला शुरू तो किया गया परंतु विशेष तेजी नहीं पकड़ पाया। अब कुछ समय से इसमें कुछ तेजी आई है। अब अनेक राज्यों की सरकारों ने अपने मंत्रियों व अधिकारियों को सरकारी कार्यालयों, पुलिस थानों, अस्पतालों आदि के औचक निरीक्षण के निर्देश दिए हैं जिनके सार्थक नतीजे मिल रहे हैं। इसी कड़ी में लगभग एक महीने में : 

16 नवम्बर को हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने दिल्ली जाते हुए अचानक पानीपत सिटी थाने में पहुंचकर थाने के रिकार्ड आदि को देखा। उन्होंने एक महिला सब-इंस्पैक्टर निर्मला को अनुपस्थित पाने पर उसे निलंबित करने का आदेश दिया तथा अन्य पुलिस अधिकारियों की हाजिरी ली। 09 दिसम्बर को हरियाणा के परिवहन मंत्री मूल चंद शर्मा ने पलवल स्थित रोडवेज की वर्कशाप का औचक निरीक्षण किया और अनुपस्थित पाए जाने वाले 4 कर्मचारियों को निलंबित करने के आदेश दिए। 

11 दिसम्बर को फिरोजपुर में सहायक कमिश्नर रंजीत सिंह ने सरकारी दफ्तरों के औचक निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित पाए जाने वाले 35 अधिकारियों और कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए। 13 दिसम्बर को छत्तीसगढ़ के कवर्धा में कबीर धाम के कलैक्टर ने विभिन्न धान खरीद केंद्रों के औचक निरीक्षण के दौरान घटिया धान खरीदने पर ‘कोदवागोडान’ खरीद केंद्र के नोडल अधिकारी जीवन सिंह को निलंबित किया। 13 दिसम्बर को राजौरी के जिला आयुक्त मोहम्मद नजीर शेख ने अपने अधिकारियों के साथ टी.बी. अस्पताल का औचक निरीक्षण किया तथा 7 चिकित्सा कर्मचारियों को गैर हाजिर पाए जाने पर निलंबित कर दिया। 

इसी प्रकार उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ‘लाह’ में अनुपस्थित पाए जाने पर एक डाक्टर व अन्य कर्मचारियों को निलंबित करने के अलावा उनका वेतन रोकने के आदेश भी जारी किए। 13 दिसम्बर को ही बिहार के नवादा में पुलिस अधीक्षक हरि प्रसाद द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यक्रम स्थल के सुरक्षा प्रबंधों को जांचने के लिए औचक निरीक्षण किया गया तथा एक दारोगा, चार हवलदारों और 16 पुलिस कर्मचारियों को ड्यूटी से गायब पाने पर उन्हें निलंबित करने के आदेश दिए। 14 दिसम्बर को राजस्थान के सवाई माधोपुर में जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक ‘राम खिलाड़ी बैरवा’ ने अनेक सरकारी स्कूलों के निरीक्षण के दौरान ‘बाड़ोलास’ स्थित सरकारी स्कूल के अध्यापक पूनम चंद कोली को शराब पीकर स्कूल आने पर तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया। 

16 दिसम्बर को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कुछ लोगों द्वारा की गई भ्रष्टाचार और रजिस्टरी की एवज में पैसे मांगने आदि की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए अचानक लघु सचिवालय करनाल स्थित तहसील कार्यालय का निरीक्षण किया और तहसीलदार रविंद्र, नायब तहसीलदार हवा सिंह, रजिस्टरी क्लर्क राजबीर और पटवारी सलमा को निलंबित कर दिया।

16 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में मुख्य विकास अधिकारी अरविंद सिंह ने सदर ब्लाक कार्यालय का औचक निरीक्षण किया तो सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) अजय प्रकाश तथा कम्प्यूटर आप्रेटर आदि ड्यूटी से गायब पाए गए जिस पर उन्हें मौके पर ही निलंबित कर दिया गया। हमें खुशी है कि जो बात हम वर्षों से कहते आ रहे थे, उसकी ओर अब ध्यान देना शुरू हुआ है। सरकारी विभागों में अनियमितताओं का पता लगाने के लिए छापेमारी का सिलसिला सराहनीय है। अत: एक निश्चित कार्यशैली निर्धारित करके सुनियोजित ढंग से इन्हें तेज करने और नियमित रूप से जारी रखने की आवश्यकता है। जितने अधिक छापे मारे जाएंगे, सरकारी स्टाफ में उतनी ही मुस्तैदी आएगी और आम लोगों तथा जनता को राहत एवं सुविधा प्राप्त होगी।—विजय कुमार  

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